Nazro me in Hindi Moral Stories by Monty Khandelwal books and stories PDF | नजरों में

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नजरों में

चल विनोद बिजली बिल भर के आते हैं | हाँ चल |
वहा से रवाना होते समय याद आया अरे चल-चल - चल विनोद मेने नया चश्मा बनवाने दिया हैं | वोह भी लेके आते हैं |
विनोद - हा भाई चल पर कहाँ बनवाने दिया है |
अरुण - गोविन्द केे वहा
विनोद - ओह चल

जेसेही हम दोनो वहा पहुँच तो गोविन्द तुरंत बोला अरे यार हेमंत अच्छा हुआ तू आगया |
मुझे एक काम के लिए तुरंत बाहर जाना है | तू थोड़ी देर के लिए दुकान पर बैठ
विनोद - अरे भाई मेभी आता हूँ मुझे घर तक छोड़ देना

वे दोनों ही वहा से रवाना होगये
में वही बैठा तो चलो थोड़ा ज्ञान लेलु

सद गुरु की
प्राण-प्रतिष्ठा : एक केन्द्रित जीवन प्रक्रिया
को शांति से पढ़ा

इतने में गोविन्द आगया उसके आते ही उससे चश्मा ली भाई चलता हूं कहते हुए दरवाजे से बाहर चला गया |
जैसे ही गेट से बाहर निकला तो बारिश चालू हो गई उसी समय 4 लड़कियां भागते हुए दुकान के बाहर आकर खड़ी हो गई मैंने भी अपनी एक्टिवा चालू की मोड़ा और वहीं रुक गया क्योंकि ट्रैफिक बहुत था | पीछे से एक ऑटो आया जिसके अंदर तीन लड़के बैठे हुए थे | उसमें से जो ड्राइविंग कर रहा था उसके हाथ में एक गांजे से भरे हुए सिगरेट जिसे गोगा कहते हैं | वह फुक रहे थे | मुझे उसका पता उसकी सुगंध से लगा क्योंकि वह मेरे बाजू में ही थे | इन तीनों लड़कों ने उन 4 लड़कियों एक गलत सबसे पुकारा
एकाएक मेरा ध्यान जो ट्रैफिक पर था सीधा उन की आवाज पर गया जिन्होंने उनको गलत सबसे पुकारा
देखा तो वह उन लड़कियों को छेड़ रहे थे |

मैंने कुछ ना करते हुए सिर्फ उनको घूरना चालू कर दिया उन तीनों लड़कों की नजर फिर भी उन चार लड़कियों पर ही थी पर मैंने अपनी नजर उन तीनों से नहीं हटाई |
अब उनकी नजर भी मुझ पर पड़ गए तो वह मुझे घूरने लगे पर मैंने उनको गुरना नहीं छोड़ा जब तक कि उन्होंने अपनी नजरें ना घुमाई
लेकिन वह नजरें घुमा - घुमा कर फिर से उनको देख रहे थे |लेकिन मैंने उनको घूरना नहीं छोड़ा और अब उनकी नजर सिर्फ मुझ पर ही थी उसी समय मैंने अपने आंखों के गुस्से को और ज्यादा तेज कर दिया एवं आक्रोशित चेहरे से उनकी ओर देखा
उनको इस बात का एहसास हो गया कि मैं उनको क्यों घुर रहा हूं
ऐसा करते देख उन्होंने अपने रिक्शे को ट्रैफिक में आगे बढ़ा दीया .


आज मैं बहुत गर्व महसूस कर रहा हूं | क्योंकि मेरी वजह से किसी की नजरों में शर्म आई और किसी को शर्म के मारे अपनी नजरे ना चुकानी पड़ी |


अगर आप भी अपने आसपास कुछ ऐसा करते हुए लोगों को देखें तो आप भी उनका विरोध करें क्योंकि शायद जिस दिन आप किसी लड़की की या औरत की हिफाजत करेंगे उस दिन आप एक सच्चे नागरिक होने का फर्ज निभाओगे

हर नारी का सम्मान करें चाहे वह छोटी हो या बड़ी क्योंकि वह भी किसी की बहू बेटी बहन होती है धन्यवाद

मोंटी खंडेलवाल