Dil se mile dil in Hindi Moral Stories by Kishanlal Sharma books and stories PDF | दिल से मिले दिल

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दिल से मिले दिल



"मै मॉ बनने वाली हूं"।
ज्यो हीी संदीप ने मोबाइल हाथ मे लिया, उसकी नजर जूूूलिया के मैैसेज पर पडी।भारत से जाने के इतने दिनो बाद?
जूलिया का नाम पढते ही उसकी ऑखो मे चमक आ गई।चेहरा ऐसे खिल उठा, मानो वर्ष्षो बाद अपना कोई बिछुडा मिल गया हो।अतीत का पन्ना फडफडाकर उसकी ऑखो के सामने खुल गया।
"ट्रिन ट्रिन
की आवाज सुनकर उसकी नींद खुल गई थी।उसने घडी मे समय देखा।पांच बजने वाले थे।इतनी सुबह दरवाजे पर कौन हो सकता है?वह उठना नहीं चाहता था।लेकिन डोरबेल लगातार बज रही थी।इसलिए अनमने मन से उसे उठना पडा था।
दरवाजा खोलते ही उसकी नजर युवती पर पडी थी।अपरिचित विदेशी युवती को देखकर वह चौका था,"किससे मिलना है, आपको?"
"रोहित"।
"आप कौन है?रोहित को कैसे जानती है?रोहित से कया काम है?"संदीप ने कई सवाल उस युवती से कर डाले थे।
"मै जूूूलिया।फिलीपींस से आयी हूं।"अपना परिचय देते हुए जूूूलिया बोली,"रोहित मेरा फेसबुक फ्रेंड है।
रोहित औऱ संदीप श्रीनगर मे पासपोर्ट ऑफिस मे काम करते थे।रोहित को दोस्ती करने का बहुत शौक था।उसने सोशल मीडिया पर अनेक विदेशियों को भी अपना दोस्त बना रखा था।रोहित औऱ संदीप एक ही फलेट मे रहते थे।लेकिन संदीप कभी भी रोहित की निजी जिंदगी मे दखलंदाजी नहीं करता था।
"रोहित का तो तबादला हो गया"।
रोहित लखनऊ का रहने वाला था।उसके पापा का देहांत हो गया था।मॉ लखनऊ मे अकेली रहती थी।मॉ की तबियत खराब रहती थी।इसलिए उसने अपना ट्रासफर लखनऊ करा लिया था।
"रोहित का ट्रांसफर हो गया।अब मै कहां रहूंगी",रोहित के ट्रांसफर की बात सुनकर जूूूलिया उदास हो गई,"मै रोहित को सरप्राइज देना चाहती थी।इसलिए भारत आने से पहले मैंने उसे नहीं बताया था।"
"डोनट वरी।रोहित नहीं है, तो क्या हुआ?मै रोहित का दोस्त तो हूं।"जूूूलिया को उदास देखकर संदीप बोला,"आओ"।
संदीप, जूूूलिया को अंदर ले आया।जूूूलिया को बैठाकर वह चाय बनाकर लाया था।जूूूलिया को चाय देते हुए बोला,"गरमा गरम चाय पीओ।"
संदीप औऱ जूूूलिया चाय पीने लगे।चाय पीते हुए संदीप जूूूलिया से बातें करता रहा।चाय खत्म करके जूूूलिया बाथरूम मे चली गई।
संदीप ने फोन करके टैक्सी घर पर बुला ली थी।वह जूलिया को साथ लेकर निकल पडा।वह जूूूलिया को पहलगाम, गुलमर्ग ले गया था।कश्मीर की वादियों की खूबसूरती देखकर जूूूलिया मंत्रमुग्ध होकर बोली थी,"सचमुच दुनिया मे कहीं जन्नत है,तो यहीं है।"
वे दोनो देर रात को लौटे थे।अंदर आते ही जूूूलिया बोली,"थक गई हूं।सोना चाहती हूं।"
"तुम बेड पर सो जाओ।मे नीचे बिस्तर लगा लूगां।"
रोहित अकेला रहता था।इसलिए बेड एक ही था।
"नीचे कयों?संदीप की बात सुनकर जूूूलिया बोली,"हम दोनों शेयर कर लेगें।"
जूलिया कपडे बदलकर पलंग पर लेट गई थी।सचमुच वह थक गई थी।इसलिए लेटते ही उसे नींद आ गई।थक संदीप भी गया था।पर उसकी नीद उड गई थी।नींद आती भी कैसे उसे?पहली बार कोई जवान लडकी उसके बिस्तर मे सो रही थी।वह बगल मे सो रही जूूूलिया को निहार रहा था।उसके जिस्म की गर्मी ने उसकी रगों मे दौड रहे लहू को गर्म कर दिया।उसका मन जूूूलिया के तन को भोगने को लालायित हो उठा।
वह जानता था,ऐसा करना गलत होगा।इसलिए अपने मन को काबू मे रखने का भरसक प्रयास किया।पर व्यर्थ।और उसने अपना हाथ जूूूलिया के वक्ष पर रख दिया।हाथ रखकर वह शांत पडा रहा।जब जूूूलिया के शरीर में कोई हरकत नहीं हुई, तब उसका हाथ जूूूलिया के शरीर पर रेगने लगे।ऐसा करते समय मन मे डर भी समाया था।कहीं विदेशी युवती कोई बखेड़ा न खडा कर दे।कुछ घंटों की मुलाकात मे वह अभी उससें अच्छी तरह घुलमिल भी नहीं पाया था।इसके बावजूद वह अपने को ऐसा करने से रोक नहीं पा रहा था।
तभी जूूूलिया की नींद खुल गई।संदीप की हरकत देखकर वह गुस्से मे बोली,"यह कया कर रहे हो?एक औरत को मेहमान बनाकर उसकी इज्ज्त लूट लेना।कया यही तुम्हारे देश की परम्परा है।यही अतिथि भवो है?"।
जूूूलिया की बातें सुनकर संदीप को ऐसा लगा,मानो उसके सिर पर घडो पानी पड गया हो।वह जूूूलिया से माफी मांगते हुए बोला,"सॉरी।"
"ओके",संदीप के बार बार माफी मॉगने पर जूूूलिया ने उसे माफ कर दिया था।
जूूूलिया फिर सो गई थी।लेकिन उसकी ऑखो की नींद उड गई थी।जूूूलिया के तन को पाने की हवस मे वह कया कर बैठा।वह अपनी ही नजरों मे गिर गया था।सुबह जूूूलिया उठेगी, तो उससे कैसे नजरे मिला पायेगा?कया सोचेगी उसके बारे मे?यही सोचते सोचते न जाने कब उसकी ऑखे लग गई।
"संदीप उठो।चाय पी लो"।
जूूूलिया सुबह जल्दी उठ गई थी।चाय बनाकर उसने संदीप को उठाया था।रात वाली बात को शायद जूूूलिया ने भूला दिया था।संदीप ने भी.रात की घटना का जिक्र नहीं किया।चाय पीने के बाद दोनो तैयार होकर निकल पडे।
संदीप ने श्रीनगर और आसपास उसे घुमाया था।डलझील मे शिकारा की सैर करायी.थी।निशात बाग दिखाया था।साथ खाना खाया और संदीप ने उसे पशमीना शॉलं व अन्य चीजे गिफ्ट मे दी थी।
रात को वे देर से लौटें थे।आज जूूूलिया बिल्कुल बदलीं नजर आ रही थी।पलंग पर लेटते ही जूूूलिया बोली,"कल सुबह मेरी फलाइट है।"
"इतनी जल्दी कया है?अभी तो हमारा अच्छी तरह परिचय भी नही हुआ।कुछ दिन औऱ रूको।"
"नही संदीप।मैने टिकट बुक करा रखा है।मेरे वीजा की अवधि भी खत्म हो रही है"।
"किसी बात की चिंता मत करो।मै सब व्यस्था कर दूंगा।"संदीप ने कुछ दिन औऱ रुकने का आग्रह किया था।
"नहीं संदीप।रूक नहीं पाऊंगी।मै नौकरी भी करती हूं।इसलिए मुझे कल ही लौटना होगा।"
दो दिन की मुलाकात मे संदीप, जूूूलिया के इतने करीब आ गया था, मानो वर्षों से उसे जानता हो।जूूूलिया के जाने की बात सुनकर उदास होते हुए बोला,"तुम्हारे साथ गुजारे पल मुझे हमेशा तुम्हारी याद दिलाते रहेंगे।"
"कौन किसको याद रखता है।समय की धूल यादों पर पर्दा डाल देती है।"जूूूलिया बोली थी।
"कुछ लोग ऐसे होते है,जिन्हें भुलाया नहीं जा सकता।तुम मेरी जिदगी मे आने वाली पहली औरत हो।तुम्हें नहीं भुला पाऊंगा।'
और जूूूलिया चली गई थी।संदीप उसे याद करता रहता था।लेकिन जूलिया अपने देश जा कर उसे भूल गई थी।जाने के बाद न फोन, ना मैसेज।लगता था अपने देश पहुंच कर उसे भूल गई।
और जैसे ही संदीप ने जूूूलिया के मैसेज का प्रत्युत्तर दिया।जूूूलिया का फोन आ गया।फोन पर मैसेज वाली बात दोहराते हुए बोली,"संदीप,मै मॉ बनने वाली हूं।"
उसकी आवाज की खनक बता रही थी।मॉ बनने के एहसास से बहुत उत्साहित थी।उसकी खुशी मे शरीक होते हुए संदीप बोला,"तुमने शादी कब कर ली?"
"शादी,"संदीप की बात सुनकर जूूूलिया बोली,"मैंने शादी नहीं की है।"
"तुम्हारी शादी नहीं हुई?"संदीप आश्चर्य से बोला,"फिर तुम्हारे पेट मे बच्चा?"
"ओ। हो "संदीप की बात का आशय समझते हुए जूूूलिया बोली,"हमारे यहां औरत बिना शादी के भी मॉ बन सकती है।मै भी सिगल मॉम बनूगी।"
"लेकिन कोई तो बच्चे का पिता होगा।"
"कया पिता का नाम बताना जरुरी है?
"अगर तुम नहीं बताना चाहती,तो रहने दो।"
"संदीप ऐसी बात नहीं है।बच्चे के पिता का नाम जानकार शायद तुम्हें यकीन नाहो।"
"यकीन कयों नहीं होगा।सिर्फऔरत ही बता सकती है।उसके बच्चे का पिता कौन है?"संदीप बोला,"बताओ।"
"तो सुनो"जूूूलिया बोली,"मेरे बच्चे के पिता तुम हो।"
"मै?"संदीप आश्चर्य से बोला था।
"हॉ।तुम"जूूूलिया बोली,"भूल गये उस रात को?
और संदीप को वो रात याद आ गई।
जूूूलिया के जाने की बात सुनकर संदीप उदास हो गया था।उसे उदास देखकर जूूूलिया ने बॉहों मे भरकर चूम लिया था।पहले संदीप जूूूलिया के अप्रत्याशित व्यवहार से चौका था।फिर उसने भी जूूूलिया के होठों को चूम लिया।और संदीप ने जूूूलिया की ऑखो मे झॉककर देखा।कल संदीप ने उसे पाने का प्रयास किया, तो जूलिया ने फटकार दिया था।लेकिन आज वह स्वयं ही समर्पण को तैयार थी।जूूूलिया के हावभाव ने उसकी हिम्मत बढाई और उनके बीच की दूरी मिट गई थी।उस रात को याद करते हुए संदीप बोला,"तुम सिनगल मदर नहीं बनोगी।"
"मतलब?"
"यह बच्चा हमारा है।तुम मॉ मै पिता।,"मै तुम्हें अपनी बनाना चाहता हूं।करोगी मुझसे शादी?"
"सच?"संदीप की बात सुनकर जूूूलिया आश्चर्य से बोली,"हमारे देश मे मर्द औरत के.जिस्म से खेलते तो है।पर पिता का दायित्व उठाने से बचते है।"
"तुम्हारे देश की औरतो के साथ जो होता है ।तुम्हारे साथ नहीं होगा।,"संदीप बोला,"पहले हम शादी करेंगे।फिर तुम मॉ बनोगी।मै आ रहा हूं। तुम्हें लेने।"
जूूूलिया ने स्वप्न मे भी ऐसा नहीं सोचा था।वह संदीप के आने का इनतजार करते हुए।उसके साथ जीवन गुजारने के सपने बुनने लगी।