Sirf ek baar in Hindi Moral Stories by Kishanlal Sharma books and stories PDF | सिर्फ एक बार

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सिर्फ एक बार

एक लडकी-------
दो शब्द लिखने के बाद उसके हाथ रुक गए।उसे लडकी कहना सही नहीं।राजन ने एक क्षण के लिए सोचा और फिर कागज फाडकर फेेंक दिया।दूसरा कागज उठाकर लिखा।
एक नवयुवती
राजन लिखते हुए फिर रूक गया।एक क्षण को सोचा फिर नव शब्द को काट दिया।युवती शब्द सही रहेगा।सोचने के बाद उसे यह शब्द भी नही जमा।उसने इस कागज को भी फाडकर फेंक दिया।
एक के बाद एक कागज फाडकर वह फेेंक रहा था।किसी भी कागज पर दो तीन से ज्यादा शब्द नहीं लिख पा रहा था।अब मेज पर सिर्फ एक ही कागज बचा था।
राजन ने आखिरी कागज को भी उठा लिया।कुछ देर सोचने के बाद वह इस कागज़ पर लिखने लगा।
एक औरत पार्क में बेंच पर चुपचाप बैठी थी।
एक लाइन लिखने के बाद राजन की कलम फिर रुक गई।
वह औरत पार्क में अकेली बैठी क्या कर रही थी?राजन ने सोचा लेकिन आगे कुछ सोच नही पाया।कल उसे दैनिक के संपादक के पास कहानी पहुंचानी थी।लेकिन अभी तक लिख नही पाया था।
काफी देर सोचने के बाद भी कहानी न बनती देखकर वह उठ खड़ा हुआ।घर से बाहर निकलकर उसने सोचा।किसी दोस्त के घर या पिक्चर जाने से बेहतर उसे पार्क में जाना लगा।
संडे छुट्टी का दिन।आज पार्क में अन्य दिनों की अपेक्षा भीड़ ज्यादा थी।हर उम्र, हर वर्ग के लोग पार्क में मौजूद थे।लोग बेंचो पर या हरी घास पर जंहा तहां बैठे थे।बच्चे खेल रहे थे।राजन किसी बेंच पर बैठने की जगह तलाश करता हुआ, पार्क के अंतिम छोर पर चला आया।इधर इक्के दुक्के लोग ही थे।एक बेंच पर एक अकेली औरत बैठी थी।बेंच पर बैठने से पहले शिष्टाचार वश राजन ने औरत से पूछा,"क्या मैं यहांबैठ सकता हूं?"
औरत मुँह से नही बोली, लेकिन सिर हिलाकर स्वीकृति दे दी थी।
बेंच पर बैठते ही राजन ने चारों तरफ नज़ारे घुमाकर देखा।फिर बेंच पर बैठी औरत पर नज़र डाली।मंझले कद की वह सुंदर औरत थी।अचानक राजन की नज़र बेंच के पीछे लगे गुलाब के पेड़ पर गई।लाल रंग का गुलाब पेड़ पर खिला हुआ था।उसने हाथ बढ़ाकर डाली पर लगे फूल को तोड़ लिया।हाथ मे लिये फूल को वह ध्यान से देखने लगा।अचानक उसकी नज़रे बेंच पर बैठी औरत से टकराई, तो वह बोला,"आपको गुलाब का फूल कैसा लगता है?"
"गुलाब तो फूलों का राजा है।भीनी भीनी, मनमोहक, मदमस्त खुश्बू आती है,"राजन की बात सुनकर वह औरत बोली,"पेड़ में ही यह अच्छा लग रहा था।आपने इसे बेकार मे ही तोड़ा।"
"आप सही कह रही है।मेरे हाथ मे यह बिल्कुल अच्छा नही लग रहा।मेरे खयाल मे यह आपके जुड़े मे ज्यादा अच्छा लगेगा"राजन फूल उस औरत की तरफ बढ़ाते हुए बोला,"इसे अपने जुड़े मे लगा लीजिये।"
"अगर यह मेरे बालो मे अच्छा लगेगा, तो आप अपने हाथों से इसे मेरे जुड़े मे लगा दीजिये।"
उस औरत के कहने पर राजन ने फूल उसके जुड़े मे लगा दिया था।
"थैंक्स"।वह औरत मुस्कराकर बोली थी।
"आप क्या करती है?"राजन ने उस औरत से पूछा था।
"मै पढ़ाती हू"।
"आप टीचर है",राजन ने आश्चर्य से उस औरत को देखा था।
"आपको विश्वास नही हो रहा",वह औरत बोली,"मेरा नाम रीना है।मै सेंट मेरी स्कूल में टीचर हू।"
"फिर तो आपसे दूर रहना चाहिए।"
"कयों?मुझसे दूर रहने की बात कयोंकर रहे हो"? राजन की बात रीना की समझ में नही आयी थी।
"कंही आप मुझे अपना स्टूडेंट समझकर पढ़ाने ना लग जाये।"
"ओह"राजन की बात का आशय समझ में आने पर हंसते हुए बोली,"लगता है पढ़ने से डरते थे।"
"आप सही समझी।पढ़ाई के पीछे घर मे माँ से और स्कूल में मास्टरों से पिटता था"राजन बोला,"माँ चाहती थी खूब पढ़ लिखकर बड़ा अफसर बनू, लेकिन मै माँ की इच्छा पूरी नही कर पाया।"
"तो अब क्या करते हो?"
"दुनिया में एक ही काम ऐसा है, जिसे करने के लिए किसी डिग्री की जरूरत नहीं है।इस काम को अनपढ़ भी कर सकता है।"
"ऐसा कौनसा काम है जिसके लिए पढ़ाई जरूरी नही।"
"लिखना",राजन बोला,"कहानी,कविता, फीचर लिखना।"
"यानि तुम लेखक हो।"
"छोटा सा।"
"तुम्हारी राय मे लेखक पढ़ा होना जरूरी नही।"
"बिल्कुल नहीं",राजन बोला,"कबीर कौनसे पढ़े थे,लेकिन उनका लिखा स्कूल कॉलेजों मे पढ़ाया जाताहै।"
"तर्क अछे दे लेते हो,"रीना बोली,"यँहा क्या कहानी के प्लाट की तलाश में आये हो।"
"सही कहा तुमने।कमरे में बैठा सुबह से कहानी लिखने की कोशिश कर रहा था।लेकिन कोई कहानी नही बनी।इसलिए कहानी की तलाश में यँहा चला आया।"
"तो यँहा लिखने को कोई मसाला मिला।"
"मैंने सोचा भी नहीं था कि इतनी जल्दी कोई प्लाट मिल जायेगा।"
"क्या जान सकती हूं यँहा लिखने को कौन सा विषय मिल गया।"
"तुम।"
"मै?"रीना आस्चर्य से बोली।
"हॉ,तुम",राजन बोला,"मैं तुम्हारे ऊपर एक कहानी लिखूंगा।"
"मेरे बारे मे कुछ जानते नहीं फिर तुम कहानी कैसे लिखोगे?"
"कहानी लिखने के लिए पूरा इतिहास जानने की ज़रूरत नही रहती।मै अपनी कल्पना से तुम पर कहानी लिखूंगा।मेरी कहानी अखबार में छपे तब पढ़ना ज़रूर।"राजन बोला था।
"तुम खतरनाक आदमी लगते हो।तुम्हारे पास बैठना
खतरे से खाली नही।मुझे चलना चाहिए।"
"तो जा रही हो?राजन ने पूछा था
"मुझे काफी देर हो गई।घर में मॉ इन्तजार कर रही होगी।"
"एक बात कहूं।"
"कहो।"
"तुम सूंदर हो।तुम्हारे होंठ बहुत ही सुंदर है।गुलाब की पंखड़ी सदृश पतले गुलाबी और शहद से रसीले।"
"थैंक्यू।"
"जा तो रही हो लेकिन तुम्हारे जाने से पहले मै अपने दिल की बात तुमसे कहना चाहता हूं।"
"क्या?"
"तुम्हारे शहद से रसीले होंठो को मै एक बार चूमना चाहता हूं।"राजन ने बेहिचक अपनी इच्छा जाहिर कर दी थी।
राजन की बात सुनते ही रीना का चेहरा तमतमाये तवे सा लाल हो गया।आंखों से गुस्सा टपकने लगा।उसकी भृकुटी तनी देखकर राजन सहम गया।उसे अपनी गलती का एहसास हुआ।उसे ऐसा नही कहना चाहिए था।
कुछ क्षणों तक रीना की आंखों से शोले निकलते रहे और चेहरा गुस्से से लाल रहा।फिर अचानक उसके चेहरे का रंग बदल गया।रीना ने राजन के प्रस्ताव पर विचार किया, तो वह रोमांचित हो उठी।पहली बार किसी मर्द ने इतना बोल्ड और खुला प्रस्ताव उसके सामने रखा था।इस प्रस्ताव पर ठंडे दिमाग से विचार करने पर उसके गाल शर्म से लाल हो गये।आंखों मे चमक के साथ होंठों पर मुस्कराहट उभर आयी।
रीना,राजन के पास सरकते हुए बोली,"तुम अपने दिल की इच्छा पूरी कर सकते हो
लेकिन
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