chanderi-jhansi-orchha-gwalior ki sair 5 in Hindi Travel stories by राज बोहरे books and stories PDF | चन्देरी, झांसी-ओरछा और ग्वालियर की सैर 5

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चन्देरी, झांसी-ओरछा और ग्वालियर की सैर 5

चन्देरी, झांसी-ओरछा और ग्वालियर की सैर 5

chanderi-jhansi-orchha-gwalior ki sair 5

यात्रा वृत्तांत

चन्देरी परेश्वरन तालाब प्रसंग

लेखक

राजनारायण बोहरे

बत्तीसी बावड़ी को देखने के बाद बच्चे परेश्वरन तालाब देखने का लोभ छोड़ नही पाये। दूर से ही सफेद रंग से पुते मंदिरों और घाट के पास के खुले बरामदों की वजह से यह तालाब सबको खूब अच्छा लग रहा था।

पास जाकर हमने देखा कि परमेश्वरन तालाब एक ऐसा कुण्ड या तालाब है जो किसी नदी की बजह से बनी हुई झील या कुदरती पोखरा नही है। इसे इन्सानी हाथों द्वारा बनाया गया है। इसके चारों ओर घाट बनाये गये है जो कि कुदरती या जंगली तालाब में नही होते। हर घाट पर पहुंच कर कोई भी इस तालाब में कूद कर नहा सकता है। जिन्हे तैरना नही आता वे किनारों पर बैठ कर लोटा या मग में पानी लेकर नहा सकते है।

यह तालाब लगभग डेढ सौ फिट लंबा ओर पचास फिट चौड़ा है । इसमें घाट से उतर कर पानी तक जाने के लिए सीड़िया बनी हैं। तालाब के बीचांे बीच शिव जी का एक मंदिर बना हुआ है, जहॉं तक जाने के लिए किनारे से एक पुल है । लगभग तीन फिट चौड़े पत्थर का तालाब में खंबे गाडकर पुल बनाया गया है । शंकर जी पर जल चढा़ने वालों के लिए यह सुविधा दी गई है। तालाब किनारे भी बडे़ सुन्दर मंदिर बने हुए हैं ।

इस तालाब मे नहाने धोने वालों के लिए पूजा करने के वास्ते यह सुविधा दी गई हैं िकवे चाहे ंतो तालाब के बीच में शिवजी पर जल चढ़ायें या फिर किनारे के मंदिरों में जाकर पूजा भजन करें।

हमने बच्चों को बताया कि ंइस तालाब में नहाने वालों की खूब भीड़ रहती होगी , ऐसा इसलिए लगा क्यंोकि तालाब किनारे साबुन के रेपर, बीडी के ठूंठ और पौलिथिन की थैलियां बहुत बडी मात्रा में मौजूद थी। तालाब का पानी नीला पानी भी इस बात की गवाही दे रहा था कि उनका रोजाना उपयोग हो रहा है।

हमने घाट से नीचे उतर के बच्चों को बताया कि बहुत दिन तक नहाने धोने के बाद तालाब का पानी गंदा हो जाने पर बाहर छोडे जाने के लिए कुछ नालियां बनाई गई है।

यह तालाब देखकर इसको बड़ा अच्छा लगा। शाम हो गई थी वहॉं से हम लाग सीधे रेस्ट हॉउस सीधे रेस्ट हाउस आ गये ।

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साधन-दिल्ली मुम्बई के झांसी वाले रेल मार्ग पर बीना जंक्शन उतर कर यहां से रेल द्वारा अशोकनगर और वहां से बस द्वारा पहुंचा जा सकता हैा

चन्देरी तक पहुंचने के साधन-अशोकनगर, ललितपुर और शिवपुरी तीनों स्थान से बस चलती है या निजी किराये के टैक्सी वाहन

चंदेरी से ललितपूर की दूरी 34 किलामीटर है। ललितपुर रेलवे स्टेशन हमारे देश की दिल्ली भोपाल रेल लाईन पर झांसी के पास मौजुद है । चंदेरी से अशोंक नगर की दूरी 66 किलामीटर है ओर मुगांवली की दूरी 39 किलोमीटर। अशोकनगर और मुगांवली दोनो ही गुना जिला म0प्र0 की तहसीलें है। दोनो जगह रेल्वेस्टेशन है। चंदेरी पंहुचने के लिए ललितपुर, मुंगावली या अशोकनगर तीनो जगह में से किसी भी जगह से सड़क के रास्ते केा काम मे लाया जा सकता है। एक चौथा रास्ता चंदेरी से शिवपुरी के लिए भी है, यह सड़क मार्ग बामोर कलां, खनियाधाना-पिछोर ओर सिरसोद चौराहे से निकलता है। चंदेरी वर्तमान मे अलग तहसील है जो अशोकनगर जिले में आती है । यहॉं एक डिग्री कॉलेज दो इंटर कालेज और छः मिडिल स्कुल है। चंदेरी में विशिष्ट क्षेत्र प्राधिकारण गठित कियागया है। जिसका काम चंदेरी का विकास करना है।

ठहरने के लिए स्थान- चंदेरी में म0प्र0 पर्यटन विकास निगम का होटल ताना बाना, म0प्र0 लोक निर्माण विभाग का विश्राम गृह और 2 निजी होटल