Happy (7) in Hindi Children Stories by Asha Saraswat books and stories PDF | शुभि (7)

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शुभि (7)



शुभि (7)

सुबह से ही घर में चहल-पहल शुरू हो गई थी ।पिताजी एक व्यक्ति को लिस्ट देख कर सामान दे रहे थे तभी शुभि ने देखा कि घर के बाहर कार आकर रुकी ।

कार में बूआ जी,फूफाजी और बूआ जी के दोनों बच्चे मनुज ,अनुज थे ।सबआगये तो शुभि उनसे प्यार से मिली,बूआ जी के बच्चे उसके बहुत अच्छे दोस्त थे। थोड़ी देर बाद एक कार और दरवाज़े पर आकर रुकी,अरे..इसमें तो मामाजी,मामीजी और उनकी बेटी शैली दीदी है ।शुभि दौड़ कर उनके गले लग गई,दीदी उसे बहुत प्यार करती थी ।सब आ गये उनके लिए चाय नाश्ता लगा लगाया गया एक-दूसरे से सब बातें कर रहे थे ।

पिता जी बाहर ही थे आनेवाले मेहमानों का स्वागत कर रहे थे।शुभि ने देखा बाहर टेंट वाले भैया शामियाना लगा कर कुर्सियों को पंक्तियों में लगवा रहे हैं ।लाइट्स वाले भैया नन्हे वल्बों की झालरों को मकान के ऊपर सजा रहे हैं ।जिस व्यक्ति को पिताजी ने सामान दिया वह हलवाई का काम देख रहे हैं और अपने साथियों की मदद से तख़्त पर बैठकर सब्ज़ियों को साफ़ करके काट रहे हैं ।

आने वाले मेहमानों का सिलसिला जारी था ।हलवाई भैया ने बहुत सी मटर ऑगन में लाकर रख दी थी।दादी जी ने कहा—सभी बच्चे इधर आजाओ और बैठकर मटर का छिलका उतारो।शैली दीदी के साथ सभी बच्चे मटर छीलने लगे,शुभि को बहुत अच्छा लगा ।

मटर छीलते हुए मनुज ने एक दाना मुँह में रखा ही था कि दादी जी ने बाहर निकल वा दिया और बताया—-

बच्चों आज पूजा होगी यह खाना पूजा के लिए बन रहा है ।यदि तुम्हें भूख लगी है तो अन्दर नाश्ता रखा है वह लेकर खा सकते हो ।इसके बनने के बाद भगवान को भोग लगाकर ही सब लोग मेहमानों सहित खायेंगे ।

शुभि ने दादी जी से पूछा—दादी आज क्या होगा ?
दादी जी ने बताया—-आज सभी भगवान की पूजा होगी,फिर सुंदर कांड का पाठ फिर हनुमान चालीसा,आरती ।सभी के लिए प्रसाद और भोजन की व्यवस्था हो रही है ।

दोपहर के बाद पूजा शुरू हो गई पंडित जी ने सभी से पूजा कराई और सुंदर कांड के पाठ की शुरुआत हुई ।सभी मेहमानों के साथ घर के सब लोग बैठे ।कालोनी के लोग भी शुभि के घर पूजा में शामिल होने के लिए तैयार होकर आयें ।शुभि ने अपनी मन पसंद ड्रेस पहनी ।

जब सब पढ़ने में व्यस्त थे शुभि भी सबके साथ लय मिला कर पढ़ने की कोशिश कर रही थी ।

जब आरती हो गई तो सब को प्रसाद दिया,फिर सबने भोजन किया ।शुभि की दादी जी,पिताजी,माता जी आने वाले सभी लोगों से आग्रह कर भोजन करने को कह रहे थे।

बाद में सभी जाने को तैयार हो रहे थे ।मॉ ने सभी को उपहार दिए ।

दादी जी ने सभी दूर से आने वाले मेहमानों को भोजन के पैकेट बना कर दिए ।
शुभि को बहुत ही आनंद आया,पूरे दिन भाई-बहनों के साथ रही और अपने मित्रों के साथ भी खेलने का अवसर मिला और पूजा संपन्न हुई ।

पूजा में बैठते हुए सभी ने एक-दूसरे से पर्याप्त दूरी बना कर रखी।आने के बाद सभी सेनिटाइजर का प्रयोग करते हुए भोजन कर रहे थे ।सभी कुर्सियों में दूरी रखी गई ।

पूजा होने के बाद सभी को प्यार और सम्मान से विदा किया शुभि बहुत खुश थी ....

क्रमश:✍️


आशा सारस्वत