Vishya ka bhai - 7 in Hindi Classic Stories by Saroj Verma books and stories PDF | वेश्या का भाई - भाग(७)

Featured Books
  • The Devil (2025) - Comprehensive Explanation Analysis

     The Devil 11 दिसंबर 2025 को रिलीज़ हुई एक कन्नड़-भाषा की पॉ...

  • बेमिसाल यारी

    बेमिसाल यारी लेखक: विजय शर्मा एरीशब्द संख्या: लगभग १५००१गाँव...

  • दिल का रिश्ता - 2

    (Raj & Anushka)बारिश थम चुकी थी,लेकिन उनके दिलों की कशिश अभी...

  • Shadows Of Love - 15

    माँ ने दोनों को देखा और मुस्कुरा कर कहा—“करन बेटा, सच्ची मोह...

  • उड़ान (1)

    तीस साल की दिव्या, श्वेत साड़ी में लिपटी एक ऐसी लड़की, जिसके क...

Categories
Share

वेश्या का भाई - भाग(७)

केशर नहाकर आई तो शकीला उसके और अपने लिए खाना परोस लाई,दोनों ने मिलकर खाना खाया और कुछ देर बातें करने के बाद अपने अपने नृत्य का रियाज़ करने लगी तभी दोनों के पास गुलनार आकर बोली...
नवाबसाहब ने ख़बर भेजी है कि केशरबाई को मीना बाज़ार भेज दीजिए,जो भी लिबास़ और जेवरात पसन्द आएं तो वें ले सकतीं हैं....
लेकिन ख़ालाजान !मेरा मन नहीं है,केशर बोली।।
आप भी ग़जब करतीं हैं केशरबाईं!वें आपको इतनी इज्जत के साथ खरीदारी के लिए बुला रहें हैं और एक आप हैं कि उनकी तौहीन कर रहीं हैं,गुलनार ख़ालाजान बोलीं।।
लेकिन ख़ालाजान!सच ! मेरा बिल्कुल भी मन नहीं है,केशर बोली।।
तभी शकीला बोल पड़ी....
चलो ना! केशर! मैं भी चलती हूँ,बाहर खरीदारी करके थोड़ा मन बहल जाएगा,थोड़ा सुकून तो हम तवायफ़ों को भी चाहिए।।
शकीला सच कहती हैं,गुलनार बोली।।
ठीक है,तुम चलोगी तो मैं भी चलती हूँ,ख़ाला !आप नवाबसाहब को ख़बर कर दें कि हम दोनों मीना बाज़ार आ रहे हैं,केशरबाई बोली।।
ठीक है आप दोनों तैयार हो जाएं,हम उन्हें ख़बर कर देते हैं और इतना कहकर गुलनार चलीं गईं....
चल अब खड़ी क्या है ? तैयार हो जा ! तू ही सबसे ज्यादा उछल रही थी,बाज़ार जाने को ,केशर ने शकीला से कहा।।
हाँ! जाती हूँ,लेकिन क्या पहनूँ?शकीला ने पूछा।।
अरे!कोई सादा सा लिबास़ पहन लें,वहाँ मुजरा करने नहीं ,खरीदारी करने जाना है,केशर बोली।।
तू क्या पहन रही है? शकीला ने पूछा।।
मैं तो कोई सूती सा सादा सलवार कमीज़ पहन लूँगी,केशर बोली।।
तो फिर मैं भी सादा सा सलवार कमीज़ ही पहन लेती हूँ,शकीला बोली।।
और हाँ! ध्यान रहें वहाँ किसी को लटके-झटके मत दिखाना,ना सुरमा ,ना सुर्खी,एकदम सादा तरीके से चलना,समझीं कि नहींं,केशर बोली।।
ठीक है,मैं बस अभी आई,कपड़े बदलकर,शकीला बोली।।
ठीक है तू जा!मैं भी तैयार होती हूँ,केशरबाई बोली।।
और कुछ ही देर में दोनों तैयार होकर मीना बाज़ार जाने को निकल पड़ीं और फिर कुछ ही देर में पालकी मीना बाजा़र पहुँची,नवाबसाहब दोनों का इन्तज़ार ही कर रहे थें,दोनों पालकी से उतरीं और जैसे ही केशर ने मंगल को देखा तो उसका गुस्सा सातवें आसमान पर पहुँच गया और उसने नवाबसाहब से अकेले में जाकर कहा ....
नवाबसाहब! इस मंगल को साथ में लाने की क्या जुरूरत थी?
अरे! ये हमारा बहुत ही वफ़ादार नौकर है,इसके रहते हमें लगता है कि हम महफ़ूज़ हैं,नवाबसाहब बोले।।
फिर नवाबसाहब की बात सुनकर केशर कुछ ना बोल सकी,लेकिन उसका मन ख़राब हो गया था,उसका ख़राब़ मन देखकर शकीला बोली....
तू इतना क्यों चिढ़ती है मंगल से? अच्छा ख़ासा बाँका नौजवान तो है,इतना खूबसूरत भी है....
तो तू उससे निक़ाह क्यों नहीं कर लेती? केशर बोली।।
वो एक बार हाँ कर दे तो मैं उससे इसी वक़्त निकाह़ कर लूँ मेरी जान! शकीला बोली।।
लगता है तुझे बहुत भा गया है ये,केशर बोली।।
इतना खूबसूरत है वो कि कोई भी लड़की मर मिटे उस पर,शकीला बोली।।
अच्छा! अब चुपचाप मुँह बंद कर ले,खरीदारी में दिमाग़ लगा,केशर बोली।।
तू बहुत ही पत्थरदिल है कसम से,शकीला बोली।।
हाँ! हूँ मैं पत्थरदिल,ये प्यार ,इश़्क,मौहब्बत हम जैसी तवायफ़ों के लिए नहीं बने हैं,तू ये क्यों भूल जाती है कि कोई भी इज्जतदार खानद़ान का शख्स हमें नहीं ब्याहने वाला तो ये झूठे ख्वाब देखना बंद कर,केशर बोली।।
बिल्कुल सही कह रही है तू लेकिन ख्वाब नहीं देखेगें तो पूरे कैसें होगें?शकीला बोली।।
ऐसे ख्वाब मत देख जो कभी भी पूरे ना हों,केशर बोली।।
केशर और शक़ीला के बीच बातें चल ही रहीं थीं कि उनके पास नवाबसाहब आकर बोले....
हवेली से नौकर आया है ख़बर लेकर ,कुछ जुरूरी काम है,बेग़म साहिबा ने याद फ़रमाया है।।
तो आप भी डरते है अपनी बेग़म साहिबा से,शकीला बोली।।
नहीं...ऐसी कोई बात है,नवाबसाहब बोले।।
तो क्या उनको ख़बर हो गई कि हम दोनों बाज़ार में आपके साथ हैं?केशर ने पूछा।।
क्या मालूम? ना जाने क्या बात है?नवाबसाहब बोले।।
ठीक है तो आप जाइए हम भी लौट जाते हैं,शकीला बोली।।
नहीं...नहीं आप दोनों खरीदारी कीजिए,हम मंगल के हाथों में रूपया दिए जाते हैं,वो सब देख लेगा,नवाबसाहब बोले।।
मंगल के साथ खरीदारी,उस बददिमाग के साथ,केशर बोली।।
आप इसे गलत ना समझें,बहुत ही सही इन्सान है ये,भरोसे के लायक,नवाबसाहब बोले।।
तभी शकीला बोल पड़ी....
नवाबसाहब आप हवेली जाइए,हम दोनों खरीदारी कर लेगें।।
ठीक है तो हम जाते हैं और इतना कहकर नवाबसाहब चले गए.....
उनके जाते ही केशर ने शकीला से कहा.....
तूने ठीक नहीं किया,मेरा मन नहीं है इस मंगल के साथ रहकर खरीदारी करने का,केशर बोली।।
अभी चुप कर, देख वो हम दोनों की तरफ़ ही आ रहा है,शकीला बोली।।
और मंगल को अपने पास आता देखकर केशर चुप हो गई,तब मंगल बोला.....
आप लोंग खरीदारी कर लीजिए,मैं आपके पीछे पीछे ही रहूँगा ,जब रूपयों की जुरूरत हो तो बता दीजिएगा.....
और फिर दोनों खरीदारी करने में लग गई,दोनों ने काफ़ी देर तक खरीदारी की और इसके बाद वापस जाने को हुईं तो मंगल बोला....
सुनिए....
शकीला बोली,जी कहिए।।
जी! आप नहीं! मुझे इनसे बात करनी हैं,मंगल ने केशर की ओर इशारा करते हुए कहा...
लेकिन मुझे तुमसे कोई बात नहीं करनी,केशर बोली।।
लेकिन मुझे आपसे ही बात करनी हैं,मंगल ने जिद़ की।।
केशर का मिज़ाज देखते हुए शकीला बोली....
कर लें ना बात! इतना भी नखरे क्या दिखा रही है?
नखरे नहीं दिखा रही हूँ,केशर बोली।।
तो फिर कर ले ना बात! तेरे बात करने से कोई पहाड़ नहीं टूट जाएगा,शकीला बोली।।
शकीला के कहने पर केशर मान गई और मंगल से बोली...
जो कहना है जल्दी कहो,मेरे पास वक्त नहीं है,केशर बोली।।
तब मंगल बोला....
तुम कुशमा हो ना!
ये सुनकर केशर एक पल को खामोश़ हो गई और उसकी आँखें भर आईं लेकिन वो दूसरे ही पल बोली...
नहीं ! मेरा नाम केशर है और मैं किसी कुशमा को नहीं जानती ।।
बता दे! केशर! बता दें कि तू ही कुशमा है,तुझे अल्लाह का वास्ता ,शकीला बोली।।
नहीं! मैं केशर थी,केशर हूँ और केशर ही रहूँगी,केशर बोली।।
झूठ क्यों बोल रही है केशर?बता दें कि तू ही इसकी बहन कुशमा है,शकीला बोली।।
जब कह दिया कि मैं कुशमा नहीं केशर हूँ तो जिद़ क्यों करती है?केशर बोली।।
केशर की बात सुनकर मंगल बोला....
तू मुझे भूल गई कुशमा! मैं तेरा अभागा भाई मंगल हूँ,मंगल बोला।।
मेरा कोई भाई नहीं और ना मैं किसी की बहन हूँ,हम तवायफ़ों के ना तो भाई होते ,ना तो शौह़र होते और ना ही कोई परिवार होता है,होते हैं तो केवल हमारे खरीदार जो दाम चुकाकर हमें एक रात के लिए खरीद लेते हैं,केशर बोली।।
ये कैसी बातें कर रही है तू?शकीला बोली।।
मैं सही कहती हूँ,देर हो रही है,चल यहाँ से और इतना कहकर केशर ने शकीला का हाथ पकड़ा फिर एक ताँगा रोककर उसमें बैठकर चली गई,
और मंगल उन्हें जाता हुआ देखता रहा.....
ताँगें में शकीला ने केशर पर गुस्सा करते हुए कहा...
ये क्या तूने? तेरा भाई तुझे ढूढ़ते हुए आया और तूने उसे भाई मानने से इनकार कर दिया,कहीं तेरा दिमाग़ तो ख़राब नहीं हो गया,होश़ में तो है ना तू।।
मुझे सब ख़बर है और मैं पूरे होश-ओ-हवाश़ में हूँ,केशर बोली।।
तो फिर तूने ये क्यों कहा कि मंगल तेरा भाई नहीं है,शकीला ने पूछा।।
मैं तुझसे बाद में बात करूँगी,भगवान के लिए मुझसे अभी कुछ मत पूछ,केशर बोली।।
ठीक है और इतना कहकर शकीला चुप हो गई......

क्रमशः.....
सरोज वर्मा...