Redimed Swarg - 14 in Hindi Detective stories by S Bhagyam Sharma books and stories PDF | रेडीमेड स्वर्ग - 14

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रेडीमेड स्वर्ग - 14

अध्याय 14

रात 10:30 बजे।

बाथरूम में छुपा के रखे दस लाख रुपए, एक सूटकेस में रखकर पोर्टिको में जो गाड़ी खड़ी थी उसमें सुंदरेसन ने रखा। उसके पीछे ही दामू और रंजीता भी आए। दामू ने पूछा।

"जीजा जी आप कहो तो आपके साथ मैं भी चलूं।'

"नहीं..."  "वह आदमी मुझे अकेला ही आने को बोला है। तुम साथ आओगे तो उसे गुस्सा आ जाएगा।"

"पिस्तौल रख लिया आपने ?"

"रखा है।"

कार में बैठकर - सूटकेस को अपने पास में रखकर स्टेरिंग को पकड़ा। और रवाना हुए। सुंदरेसन ने कंपाउंड के गेट को पार करते ही एक्सीलेटर को दबाया ।

चेन्नई के सड़क पर आवा-जाही कम हो गई थी । बहुत सी दुकानों के  शटर बंद हो गए थे। सिर्फ कॉर्पोरेशन की लाइटें ही जल रही थी।

बीस मिनट की यात्रा में धर्मआणि को जाने के रास्ते में अंधेरा था। दोनों तरफ होटल की लाइट यहां-वहां दिखाई दे रही थी और घरों से छोटी-छोटी रोशनी आ रही थी।

'धर्मआणि' आपका स्वागत कर रही है! पीले पेंट में काले पत्थर पर लिखा हुआ था। उसे देख कार के गति को सुंदरेसन ने कम किया।

कार और दो मिनट दौड़ी फिर सड़क के बायी ओर वह फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया वेयर हाउस बिल्डिंग तारों की रोशनी में साफ दिखाई दिया।

सुंदरेसन ने कार को एक तरफ खडा किया ।

अंधेरा आंखों में परेशान कर रहा था।

दूर एक जगह रोशनी दिखाई दी।

रास्ते का अनुमान लगाकर – धीरे-धीरे चले। उन्होंने बायेँ कमर में रखे रिवाल्वर को छूकर देखा।

छोटे-छोटे पौधे - उनके पैरों के नीचे दब रहे थे। वेयरहाउस के पास आ गए -

एक बहुत बड़ा सीमेंट का पाइप उन पौधों के बीच में अलग से दिख रहा था।

"यह सीमेंट का पाइप ही है ?"

"या कोई दूसरा....?"

सुंदरेसन आसपास में देखा।

कोई दूसरा सीमेंट का पाइप नहीं दिखा। धीरे से जाकर हॉर्स पाइप के पास गए। झुककर सूटकेस को उसके अंदर रखकर सुंदरेसन बिना मुड़े कार की तरफ चलना शुरू कर दिया |

"दस कदम चले होंगे।

पैरों की आवाज आनी शुरू हो गई।

'पीछे मुड़ कर देखे क्या....?'

'नहीं... धमकी देने वाला जैसे बोला । सीमेंट के पाइप के अंदर सूटकेस को रख दिया। अब कार को लेकर चल देना चाहिए।'

कार की तरफ जल्दी-जल्दी चलना शुरू कर दिया।

पैरों की आवाज तेज हुई।