Ziddi Ishq - 15 in Hindi Anything by Sabreen FA books and stories PDF | ज़िद्दी इश्क़ - 15

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ज़िद्दी इश्क़ - 15

"मॉम"

माहेरा ने घबरा कर चीखते हुए अपनी आंखें खोली तो माज़ उसे अपने गले लगाते हुए बोला।

"माहेरा सब ठीक है।"

माहेरा ने कस कर उसे पकड़ लिया।

माज़ की नज़र माहेरा के पैरों पर पड़ी तो वोह उस को बिठाने लगा लेकिन माहेरा उसे छोड़ने का नाम ही नही ले रही थी।

"माहेरा मैं बस फर्स्ट एड किट ले कर आता हूं तुम बस दो मिनट रुको।"

वोह माहेरा का बाज़ू अपनी गर्दन से निकालते हुए उसके माथे पर किस करके बोला।

वोह माहेरा को बेड पर बिठा कर जल्दी से फर्स्ट ऐड किट ले कर आया और उसके पैर जहाँ पर अब सूजन हो गयी थी उस पर ट्यूब लगाने लगा।

माहेरा बस खामोशी से उसे देख रही थी।

माज़ ने ट्यूब लगा कर माहेरा के सूखे होंठो को देखा। वोह उठा और साइड से पानी का गिलास उठा कर उसके मुंह मे लगा दिया।

माहेरा ने जल्दी से पानी पिया।

माज़ पानी का गिलास साइड में रखते हुए बोला।

"दोबारा कभी मुझ से दूर जाने की कोशिश मत करना। अभी तो सिर्फ दो घण्टे के लिए तुम्हे बंद किया था तो तुम्हारी येह हालत हो गयी। अगर तुमने दोबारा ऐसा कुछ किया तो मैं तुम्हे पूरे दिन के लिए बंद करूँगा।"

माहेरा ने उसकी बात सुनकर जल्दी से अपना सिर ना में हिलाया और उसकी तरफ देखे बिना ही बेड पर लेट गयी।

माज़ ने उसे ऐसे लेटते देखा तो खामोशी से फर्स्ट ऐड किट ले कर वाशरूम में चला गया और वापस आ कर माहेरा को ब्लैंकेट उढा कर उसे अपनी बाहों में ले कर उसका सिर अपने सीने पर रख कर धीरे धीरे उसके बालो के हाथ फेर ने लगा।

माहेरा जो बे सुकुनी से ऐसे ही लेती थी खुद को माज़ की बाहों में महसूस करते हुए वोह चुप चाप लेटी रही और उसकी उंगलियों के स्पर्श अपने बालों में महसूस करते हुए धीरे धीरे नीद की वादियों में खो गयी।

..............

इंडिया, मुंबई:

"रामिश सर ने एक फोटो भेजा है हमें सुबह तक इस लड़की की सारी इंफॉर्मेशन उन्हें देनी है।"

एक आदमी ने कहा।

"फ़ोटो दिखाओ।"

सामने खड़े एक पुलिस वाले ने कहा।

उस आदमी ने उसे माहेरा की फ़ोटो दी और बोला।

"कोई गलती ना हो यह लड़की उन के लिए बहोत खास है। सिर्फ एक छोटी सी गलती की वाजह से तुम्हारी जान भी जा सकती है।"

"ठीक है मैं समझ गया।"

पुलिस वाले ने कहा और वहां से चला गया।

.............

माहेरा की सुबह जब आंख खुली तो उस ने खुद को माज़ की बाहों में पाया। उसने माज़ की तरफ देखा तो वोह सुकून से सो रहा था।

रात को माज़ ने उसके साथ जो किया वोह कभी इस बारे में सोच भी नही सकती थी। उसे लगता था मेंशन से बाहर निकलना उसके लिए बहोत आसान होगा लेकिन उसकी सिक्युरिटी देख कर माहेरा को यकीन हो गया था वोह कभी भी माज़ की परमिशन के बिना यहां से बाहर नही जा सकती।

माहेरा ने माज़ का हाथ अपने ऊपर से उठाया और अपने सिर दर्द के साथ उठ कर बैठ गई।
वोह बेड से उतरी तो उसके पैर में तेज दर्द उठा। वोह अपने दर्द को नज़र अंदाज़ करके वाशरूम में चली गयी।

शावर लेने के बाद जब वोह धीरे से चलते हुए वाशरूम से बाहर आई तो माज़ बेड के क्राउन से टेक लगा कर अपना फ़ोन यूज़ कर रहा था।

वोह खामोशी से उसे एक नज़र देख कर ड्रेसिंग रूम में अपने बाल ड्राई करने चलो गयी।

माहेरा अपने बाल ड्राई करने के बाद ड्रेसिंग रूम में ही बैठी रही ताकि माज़ कमरे से बाहर चला जाये। फिलहाल वोह माज़ का सामना नही करना चाहती थी।

बीस मिनट अपने नाखूनों से खेलने और सोचो में गुम होने के बाद जब उसे लगा कि माज़ अब कमरे से चला गया होगा। तब वोह अपनी जगह से उठी। अचानक उठने की वाजह से उसके पैर में दर्द की एक लहर उठी जिसे नज़र अंदाज़ करते हुए वोह ड्रेसिंग रूम के दरवाज़े की तरफ जाने लगी। उसने जैसे ही दरवाज़ा खोला और बाहर जाने लगी तभी माज़ अंदर आने लगा और दोनो की ज़ोरदार टक्कर हो गयी।

माहेरा जो अपने एक पैर पर वज़न डाले चल रही थी टक्कर होने की वाजह से अपना बैलेंस बराबर नही रख सकी। वोह ज़मीन पर गिरने ही वाली थी कि तभी दो मज़बूत बाज़ुओं ने उसे पकड़ लिया।

माहेरा ने जो नीचे गिरने के डर से आंखे कस कर बंद की थी खुद को नीचे न गिरते देख उसने अपनी आंखें खोली तो उसकी नज़र माज़ के हैंडसम चेहरे पर पड़ी जो उसे ही देख रहा था।

माहेरा धीरे से खड़ी हो कर उसकी पकड़ से बाहर निकलने ही लगी थी कि माज़ ने उसे अपनी बाहों में उठा लाया।

"अगर तुम्हारा पैर अभी ठीक नही हुआ था तो तुम्हे बेड से उठने की क्या ज़रूरत थी। कभी कभार आराम से एक जगह पर बैठ भी जाया करो और वैसे भी अगर तुमने अपने पैर पर ज़्यादा ज़ोर दिया तो फिर से सूजन हो जाएगी।"

माज़ ने उसे उठा कर चलते हुए नरमी से कहा।

जबकि उसकी बात सुनकर माहेरा ने घूर कर उसे देखा और बोली।

"यह सब तुम्हारी वाजह से हुआ है ना ही तुम अपने कुत्ते को खुला छोड़ते ना ही मैं उससे बचने के लिए भागती, येह सब तुम्हारी ही गलती है।"

"आह हाँ.........मैं ने ही तुम्हे रात को भागने के लिए कहा था ना जिस की वाजह से यह सब हुआ। माहेरा मैं तुम्हे आखिरी बार बता रहा मुझ से दूर जाने की कोशिश क्या सोचना भी मत नही तो मैं बहोत बुरी तरह पेश आऊँगा।"

माज़ ने उसे बेड पर बिठाया और माहेरा का बाल उसके चेहरे से हटाते हुए सीरियस हो कर बोला।

"मुझे नही पसंद इस कैद खाने में रहना। मैं पिछले तीन हफ्ते से यहां इस मेंशन में बंद हु। तुम्हे मेरा ज़रा भी ख्याल नही है। तुम खुद तो बाहर घूमते फिरते हो और मुझे यहां अकेला छोड़ जाते हो। ना ही तुम मुझे लॉन में जाने देते हो और सोफ़िया से भी हफ्ते में सिर्फ एक ही बार मिलने देते हो। इन सब वाजह से मेरा यह दम घुटता है और मैं यहां से भागना चाहती हु।"

माहेरा भी उसकी बात सुनकर अपनी सारी सज़ा याद करके सीरियस हो कर बोली।

उस सज़ा के बाद अब वोह यहां से भागना नही चाहती थी। माज़ का क्या भरोसा अगली बार वोह उसे कुत्ते के आगे ही डाल देता।

"ह्म्म्म....ठीक है अब से तुम लॉन में जा सकती हो और तैयार रहना शाम को हम डिनर के लिए बाहर जाएंगे। अगर इसके बाद भी तुम ने लॉन में जा कर भागने की कोशिश की तो याद रखना तुम दुनिया के किसी भी कोने में क्यों ना चली जाओ मैं तुम्हे ढूंढ लूंगा।"

माज़ उसकी बात सुनकर सोचते हुए बोला।

"आह......शुक्र है अब मैं यहां से बाहर तो जा सकती हूं और तुम फिक्र मत करो जितनी टाइट तुम्हारी सिक्युरिटी है ना मैं यहां से कभी भाग नही सकती हूं। वैसे हम शाम को कहा जा रहे है?"

माहेरा उसकी बात सुनकर खुश होते हुए बोली।

"यह तो सरप्राइज है तुम शाम को तैयार रहना।"

माज़ उसके माथे पर किस करते हुए बोला। वोह बस माहेरा के मूड को ठीक करना चाहता था तो रात से बस चुप चाप बैठी थी।

"अच्छा ठीक है।"

माहेरा ने उसकी बात सुनकर मुंह बना कर कहा।

अभी माज़ कुछ कहने ही वाला था कि उसके फ़ोन की रिंग बजी।

रामिश का नम्बर देख कर माज़ ने फोन उठाया।

"हेलो।"

माज़ ने फ़ोन उठाते ही कहा।

"माज़ हमें माहेरा के बारे में कुछ पता चला है जो तुमहारा जानना बहोत ज़रूरी है।"

रामिश ने कहा।

आखिर रामिश को माहेरा के बारे में ऐसा क्या पता चला है??

कहानी जारी है.......