Shoharat ka Ghamand - 7 in Hindi Fiction Stories by shama parveen books and stories PDF | शोहरत का घमंड - 7

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शोहरत का घमंड - 7

आलिया की मम्मी चौक जाती है और बोलती है, "तुम ये क्या बोल रही हो, इतनी जल्दी कमरा केसे खाली कर दिया"।

तब आलिया बोलती है, "मम्मी हमने अकेले नही किया है ये सब कुछ इन सब में रीतू और उसके घर वाले भी हमारे साथ थे और देखिए उन्होने खुद खाना बना कर भी दिया है"।

तब आलिया की मम्मी बोलती है, "सच में ये लोग इंसान नही बल्कि भगवान का रूप है वरना हम जैसे लोगो को कोन पूछता है, जहा एक तरफ़ सारे रिश्तेदार ने हमसे सारे रिश्ते नाते तोड़ दिए हैं, तो दूसरी तरफ़ ये लोग हमारी कितनी मदद कर रहे हैं"।

तब आलिया बोलती है, "हा मम्मी घर की टेंशन तो खत्म हो गई है मगर अब घर का गुजर बसर केसे चलेगा क्योंकि अब तो पापा की नौकरी भी नही है और हमारे पास इसके अलावा कोई और पैसे का जरिया भी नहीं है"।

तभी पीछे से नरेश अंकल आते हैं और बोलते है, "बेटा फिक्र मत करों उसका भी इंतजाम हो गया है, क्योंकि मेने साहब से बात कर ली है और उन्होने बोला है कि जब तक तुम्हारे पापा पूरी तरह से ठीक नहीं हो जाते है तब तक वो तुम्हारे पापा की पूरी सैलरी देंगे और उन्होने ये बीस हजार रुपए भी भिजवाए है "।

ये देख कर आलिया की मम्मी बहुत ही खुश होती है और साहब को दुआए देती हैं। पर ये सब आलिया को अच्छा नहीं लगता है और वो बोलती है, "अंकल जब पापा उनका काम करेंगे ही नहीं तो फिर वो पापा को किस चीज के पैसे देंगे"।

तब अंकल बोलते है, "बेटा हमारे साहब बहुत ही अच्छे हैं और वो तुम्हारी मजबूरी भी समझते हैं इसलिए वो तुम्हारी मदद करना चाहते हैं"।

ये बातें आलिया को बिल्कुल भी अच्छी नही लगती हैं और वो बोलती है, "अंकल हम मजबूर जरूर है मगर हम किसी का एहसान नही लेते है और भला ले भी क्यों, देखिए आप उन्हे पेसो के लिए मना कर दीजीए और अगर उन्हे हम पर इतना ही तरस आ रहा है तो उनसे बोल दिजिए की मुझे कोई छोटी मोटी नौकरी दे दे"।

तब ये सुन कर आलिया की मम्मी बहुत गुस्सा होती है और बोलती है, "आलिया तुम ये किस तरह से बात कर रही हो, एक तो वो तुम्हारी मदद कर रहे हैं और तुम हो की बदतमीजी कर रही हो"।

तब आलिया बोलती है, "मम्मी मैं कोई बदतमीजी नही कर रही हू जो सच है वहीं बोल रही हूं, देखिए हम कब तक किसी पर डिपेंड रहेंगे और रहे भी क्यों, और अंकल को मेरे बारे में सब कुछ पता है और वो समझ चुके हैं कि मैं क्या चाहती हु "।

तब अंकल बोलते है, "हा मेरी खुद्दार बिटिया रानी मैं तुम्हे बचपन से जानता हूं की तुम कितनी खुद्दार हो और ये अच्छी बात है बेटा इंसान को खुद्दार ही होना चाहिए बिलकुल तुम्हारी तरह "।

तब आलिया बोलती है, "थैंक्स अंकल मुझे समझने के लिए "।

तब नरेश अंकल बोलते हैं, "अच्छा ठीक है बेटा मैं आज ही जा कर तुम्हारी नौकरी की बात करता हूं "।

तब आलिया बोलती है, "चलिए अंकल आप भी हमारे साथ खाना खा लीजिए "।

तब अंकल बोलते हैं, "नही बेटा तुम मैने खाना खा लिया है, तुम सब खा लो अब "।

तब वो तीनो मिल कर खाना खाने लगते है। तभी आलिया की मम्मी बोलती है, "बेटा तुम्हे लगता है कि क्या वो तुम्हे नौकरी देंगे "।

तब आलिया बोलती है, "पता नहीं मम्मी पर नौकरी तो ढूंढनी है न "।

तब आलिया की मम्मी बोलती है, "मुझे तो ये समझ में नही आ रहा है कि मैं तुम्हारे पापा को ये सब कैसे बताऊंगी "।

तब आलिया बोलती है, "आप परेशान मत होइए और पापा से अभी कुछ भी मत बोलिए जब वक्त आएगा तब सब कुछ बता देंगे..........