Shrimad Bhagwat Geeta gyaanmarg in Hindi Motivational Stories by Shakti Pandya books and stories PDF | श्रीमद भागवत गीता ज्ञानमार्ग - एक हिरन की गाथा

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श्रीमद भागवत गीता ज्ञानमार्ग - एक हिरन की गाथा

घाढ जंगल के अंजान हिस्से में एक प्यासा हिरण पानी की तलाश में काफी देर से इधर-उधर भटक रहा था । जंगल का रास्ता भुल जाने की वजह से उस कोई जल स्त्रोत नही मिल पा रहा था ।


काफी देर की थकान और प्यास के कारण हिरन एक पेड़ के निचे बैठ गया पर जैसे ही हीरन बैठा की उसे कही से पानी बेहने की हल्की हल्की आवाज सुनाई देने लगी ।


हिरन वहां से उठकर आवाज की तरफ जाने लगा। थोड़ी ही आगे जाने के बाद उसे एक बहुत बड़ी नदी दिखाई देती है। हिरन उस नदी को देखकर बहुत ही खुश हो जाता है । मानो उसे एक नई जिंदगी मिल गई हो।

वह दौड़ते हुए नदी के पास जाता है हीरन जैसे ही पानी पीने के लिए अपना सिर झुकाता है तभी उसकी नजर दाहिनी तरफ पड़ती है। उसे एक शिकारी नजर आता है, जो अपने हाथ में एक धनुष लिए हुए उस पर निशाना तानके खड़ा था।


हीरन शिकारी को देख ही रहा था की बाएनी और से झाड़ीओ की आवाज सुनाई देती है । हीरन ने उस तरफ नजर की तो वहाँ झाड़ी के पीछे एक शेर उसे अपना आहार बनाने की फिराक में बैठा था।

इस तरह अचानक आती मुसीबतो से हीरन घडबडा जाता है वो ये भी भुल गया की उसे प्यास लगी है और यहाँ पानी पीने आया है । अब हिरन भागने के इरादे से पीछे पलटकर देखता है तो उसके पेरो तले से जमीन खिसक जाती है ।


जंगल में एक भयानक आग लगी हुई है, जो धीरे-धीरे उसकी तरफ बढ़ रही होती है।

हीरन मानो जैसे शुन्य पर था। दाहिनी तरफ शिकारी, बाहिनी तरफ शेर, पीछे भयानक आग और आगे गहेरी और लंबी नदी । चारो तरफ सिर्फ मृत्यु ।



हिरन गेहरी सोच में पड़ जाता है और चुपचाप वहां खड़ा रहे जाता है कुछ क्षण बाद हिरन के भीतर से एक आवाज आती है – “जब चारो और मुसीबत है और मुझे मरना ही है तो मैं अपना कर्म पूरा करके क्यों न मरू। हा, मैं अपनी प्यास बुझाके ही मरूंगा । ”


हिरन सब कुछ भुलाकर आराम से पानी पिने लग जाता है। लेकिन थोड़ी ही देर बाद मानो एक चमत्कार सा होता है। हिरण पानी पी रहा था की तभी अचानक आसमान में बिजली कड़कती है, काले बादल छा जाते है और अचानक जबरदस्त बारिश भी शुरु हो जाती है ।

शिकारी हीरन पर तीर छोडने ही वाला था की तभी बिजली के तेज कडकने से शिकारी का निशाना चुक जाता है और तीर जाके सीधा शेर को लगता है अचानक हुए हमले से शेर को गुस्सा आता है और शेर हीरन से नजर हटाकर शिकारी को मारने के लिए दहाड लगाता है । शिकारी शेर को अपनी और आते देख डर के मारे अपनी जान बचाकर तेजी से भागने लगता है ।


इस तरफ जबरदस्त बारीश के कारण जंगल में लगी विकराल आग कुछ ही मिनिटो में बुझ जाती है ।

थोडी देर पहेले हिरन पर मृत्यु की तलवार लटक रही थी पर अब चारो तरफ सिर्फ निरंतर शांति व्याप्त हो गई थी ।

भीगा हीरन अपना शिर उठाके आसमान की और देखता रहेता है वक्त थम सा जाता है । मानो जैसे, हीरन की आंखे कुदरत का धन्यवाद कर रही थी ।

हमारे जीवन में भी ऐसा वक्त आता है जब मुसीबते चारो और से हमें घेर लेती है और हम भी हिरन की तरह असहाय हो जाते है । अब उस वक्त हमे क्या करना है ? तो उतर है श्रीमदभागवत गीता ।


गीता के अध्याय २
श्र्लोक ४८


योगस्थः कुरु कर्माणि सङ्गं त्यक्त्वा धनञ्जय ।
सिद्ध्यसिद्धयोः समो भूत्वा समत्वं योग उच्यते ॥48॥


भगवान श्री कृष्ण अर्जुन को कहेते है," हे धनंजय आसक्ति को त्याग कर तथा सिद्धि और असिद्धि में समभाव होकर योग में स्थित हुये तुम कर्म करो। यही समभाव योग है।

जीवन का सूत्र :-

यह श्लोक जीवन की उथल-पुथल का सटीक समाधान है। समता का भाव जो हमें सभी परिस्थितियों को शांतिपूर्वक स्वीकार करने के योग्य बनाता है और भगवान ने इसे 'योग' अर्थात भगवान के साथ एकत्व होना बताया है।

जब हम यह जान जाते हैं कि परिणाम सुनिश्चित करना हमारे नियंत्रण मे नहीं है पर प्रयास करना हमारे हाथ में है तब हम केवल अपने कर्तव्यों के पालन की ओर ध्यान देना हैं। फलो की प्राप्ति हमें इश्वर को अर्पण करनी चाहिए।

जब ऐसी स्थिति में हम भय - मृत्यु ,हार - जीत, यश - अपयश, सफलता - असफलता, सुख और दुख को समान रूप से भगवान की इच्छा मानते हुए ग्रहण करना सीख लेते हैं तब हमारे भीतर ऐसा समभाव विकसित होता है जिसकी व्याख्या भगवान श्रीकृष्ण के द्वारा की गयी है।



यदि हम अपने मार्ग में आने वाली सभी कठिनाईयों का सामना करना सीख लेते हैं और उन्हें भगवान की इच्छा पर छोड़ देते हैं तब इसे ही वास्तविक 'योग' कहा जाएगा और चमत्कार नाम का साक्षात्कार भी तब ही होगा ।

कहानी में हिरन ने भी यही योग का अनुसरण कीया हिरन को पता था अब जीवन - मरण मेरे बस में नही है पर पानी की प्यास बुझाना मेरे बस में है कयो ना में वही कर्म करु । इस तरह हीरन ने सब भुलाकर अपने कर्म को करना उचित समझा और बाकी सब कुदरत को अर्पित कर दिया और परिणाम क्या आया ? वो आप जानते ही है।