swarg ki oar in Hindi Anything by Dikshadixit books and stories PDF | स्वर्ग की ओर

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स्वर्ग की ओर

आज जब मैं अपने स्कूल से छुट्टी के बाद बाहर आई तो मेने देखा की आज पापा मुझे लेने नही आए हैं। पापा रोज मुझे लेने आते थे आज क्यू नही आए, मैं स्कूल के बाहर घंटो इंतजार करने लगी बहुत देर होने के बाद मैं सोची शायद किसी काम एम फस गए होंगे। इसी लिए नही आए मेने फोन करने की कहा सर ने पापा को कॉल लगाया पापा उठाए नही सर बोले बेटा तुमको मैं छोड़ के आऊं किया घर मेने कहा भी सर मैं चली जाऊंगी छोटी बच्ची थोड़े हूं जो अकेले घर नही जा सकती, सर हसे और बोले ठीक है जाओ संभल कर जाना ।।
मैं स्कूल से बाहर आ गई और कई दिनों बाद घर से अकेली निकली थी तो फुल मस्ती में चली जा रही थी, मेने वो सब जगह देखी जो पापा मुझे नही लेके जाया करते थे आज मैं बहुत खुश हूं फिर साम होने को आई अब मुझे घर चलना चाहिए, मैं घर की ओर बड़ रही थी तभी देखा कि एक छोटा पिल्ला गद्दे में है, वो निकल नही पा रहा है, मैं उसे निकालने के लिए आगे बड़ी ही थी कि मेरी आंखो के आगे अंधेरा हो गया मैं जब अपनी आंखे खोली तो देखा मैं एक अजीब सी जगह पर हूं, उस जगह पर दो लोग मेरे लिए लड़ रहे हैं कह रहे हैं इसको मैं लूंगा कि इसको मैं ले जाऊंगा, उस जगह पर दो औरत भी है जब वो दो लोग मुझे ए जाने को लड़ रहें हैं तो उनमें से एक औरत मुझे बहुत ही प्यार से सहमी सी आंखों से देख रही है,
पर उन दोनो लोगो का झगड़ा खत्म नही होता। उन दोनो का झगड़ा मुझे गुस्सा दिला देता है, मैं चिल्ला कर कहती हूं बस करो किया हुआ आप दोनो कोन है। मैं कहा आ गई क्यू लड़ रहे हो, मुझे घर जाना है मुझे घर छोड़ कर आयो, तभी मेरी बात सुन कर वो दोनो जोर जोर से हसने लगते हैं । मुझे और गुस्सा आता है में फिर बही कहती हूं, तब उनमें से एक आदमी बोलता है कि तुम घर भी जा सकती तुम यहीं रहोगी स्वर्ग में
उनकी बातें मुझे मजाक लगी मैं हस दी और बोली स्वर्ग किया टीवी में जो आता है और बाह मैं स्वर्ग आ गई चलो मुझे स्वर्ग की सैर कराओ अब मैं भआई घूमना चाहती हूं, उनमें से एक आदमी बोला नही तुम सच में स्वर्ग में हो तुम मर चुकी हो तभी मुझे गुस्सा आता है, मैं चिल्ला देती हूं और आगे बढ़ती हूं, जैसे
ही मैंने अपना कदम बड़ाया मेने देखा की मेरे पैर के नीचे जमीन हो तब खिसके मैं तो हवा में हूं।
मैं डर गई, और रो दी मैं सच में मर गई मुझे मार डाला तुम लोगो ने अभी तो मैं छोटी हूं इतनी जल्दी कैसे मर गई। एक
आदमी बोला कि हमने नही मारा तुम खुद मरी हो देखो जब तुम उस पिल्ले को बचाने जा रही थी तब तुमको एक कार वाहन टक्कर दे दिया और तुम मर गई। पर जब तुम पिल्ले को बचा रही थी तो तुम्हारा मासूम दिल देख मैं तुमको चाहता हूं मेरे साथ चलो, तभी दूसरा आदमी बोला य बहुत झुटी बोलती है पैसे चोरी करती है इसको मैं लेके जाऊंगा तुम नही, मैं फिर
गुस्से में आ गई बोली रुको जिंदा थी तो लोग चैन नही लेने देते थे, जिससे दो मिनट बात कर लूं बह मुझसे शादी कर अपना बनाना चाहता था, जिस लड़की से बात करती बह अपने भाई की सेटिंग करना चाहती थी, जिस औरत से बात करूं बह अपने बेटे से या किसी रिश्तेदार से शादी कर अपना बनाना चाहती मुझे इतना अच्छा क्यू बना दिया। अब मर गई तो आप दोनो लड़ रहे हो कि मैं लूंगा कि मैं लूंगा, मुझे कही नही जाना अकेला छोड़ दो और मैं रोने लगी।
मेरा रोता चेहरा देख एक औरत आगे आई और अपने दोनो हाथ जोड़ कर बैठ गई और उन दोनो आदमियों से बोली प्रभु इस कन्या को आप मुझे देने की कृपा करें आपकी अति कृपा होगी य कन्या में अपना ना चाहती हूं मैं इसको अपने साथ रखूंगी, आपसे आज तक कुछ नही मांगा आज कुछ मांग रही हु मना नही करिएगा प्रभु।
तब दोनो लोगो का झगड़ा खत्म हुआ, वो औरत मुझे अपने साथ ले गई। उसने मुझे प्यार से खाना खिलाया और कपड़े भी दिए और अब बह अपने घर ले गई बोली आओ ये तुम्हारा कमरा है, तुम यहां रहोगी मम्मी पापा को याद आए तो मुझे याद करना और इस यंत्र को हाथ में पकड़ कर मुझे बुलाना मैं आ जाऊंगी। ऐसा कह कर बह जाने लगी मैं बोली ये सच में स्वर्ग है किया, बह बोली हां बेटी सच में, "मैं बोली तो मुझे आप स्वर्ग और नर्क लोक दिखाएंगी, बह बोली क्यों नही अभी तुम आराम कर लो बाद में जायेंगे। और बह चली गई "मैं कमरा देख खुश थी, मैं मम्मी पापा के बारे सोचते सोचते सो गई अचानक से बह यंत्र अपने आप बजा और मेने आधी आंखो से खोल के देखा और अपने कान पर रखा, उसमे से आवाज आई
"अरे महारानी साम के सात बजे हैं उठ जाओ पापा आ गए है नीचे बुला रहे है उठ के कोप भवन से निकल आ अब" ये सुन मैं भरभरा कर नींद से उठी और चारो ओर देखा।
"अरे भगवान मैं सपना देख रही थी बह फोन मेरे भाई ने नीचे से किया था मैं जल्दी में उठी और चिल्लाती नीचे आई और कहा मैं जिंदा हूं"
पर एक अफ़सोस रहा की मेरा भाई मुझे फोन नही करता तो मैं स्वर्ग और नर्क की सैर पर जाने बाली थी, और कहानी बहुत बड़ी होती।।
"राधे कृष्णा"


दीक्षा दिक्षित
मथुरा उत्तर प्रदेश