Jaadu Jaisa Tera Pyar - 12 in Hindi Love Stories by anirudh Singh books and stories PDF | जादू जैसा तेरा प्यार - (भाग 12)

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जादू जैसा तेरा प्यार - (भाग 12)

और फिर मरहम पट्टी के बाद हॉस्पिटल से मेरी छुट्टी हो गई......घाव की वजह से चलने में काफी दिक्कत हो रही थी.....पर प्रिया का साथ भी किसी दवा से कम न था,काफी ठीक महसूस कर रहा था मैं अब......

कॉलेज खत्म हो जाने के कारण अब आगे हॉस्टल में रहना भी अब सम्भव न था.....मिहिर मुझे अपने साथ अपने रूम पर ले आया।

"तुझे भी तो यह रूम खाली करना होगा न....जॉब लोकेशन देहली मिली है न तुझे.....कब जा रहा है ज्वाइन करने"
मिहिर से मैंने उसकी जॉब के बारे में पूंछा।

मिहिर- "मेरा छोड़ो,तुम बताओ.....तुम्हारे बिजिनेस का प्लान कुछ आगे बढ़ा?"

मैं- "नही यार अभी तो सिर्फ इतना ही आगे बढ़ सका है कि एक पार्टनर मिल गया है बस....प्रिया.......आगे क्या करना है,अभी सोचा नही"

मिहिर- "यार ये बता.....ये तेरे पार्टनर अगर एक कि जगह दो हो जाएं तो चलेगा क्या?"

मैं- "समझा नही यार....दूसरा पार्टनर मतलब?'

मिहिर-" दूसरा पार्टनर मतलब मैं।"

मिहिर भी मेरे साथ आ चुका था, यह एक सरप्राइज जैसा था मेरे लिए.....भरी हुई आंखों के साथ गले से लगा लिया उसे मैंने।

उधर प्रिया अपने घर पर थी.....उसे मैं फोन पर मिहिर द्वारा हमारे साथ आने का डिसीजन बता चुका था.....हमने बिजिनेस का प्लान डिस्कस करने के लिए अगली सुबह कॉफी शॉप पर मिलने का प्लान बनाया।
मिहिर के हमे ज्वाइन करने की खुशी को सेलिब्रेट करती हुई प्रिया को अचानक उसके डैड ने आवाज देकर अपने पास बुलाया।

"मेरी प्यारी बिटिया.....अब तो बता दो न अपने डैड को....कौन है वो?"

इस बार डैड के सवाल ने प्रिया को विचलित नहीं किया था.....उनके सवाल से वह शरमा गयी थी....और बिना कोई जबाब दिए वहां से जाकर सीधा अपने रूम में जा पहुंची।

प्रिया मेरे बारे में ही सोच रही थी...तभी देखा कि उसकी मॉम सामने खड़ी है।

मॉम-"प्रिया बेटा"

प्रिया-"हां मॉम"

मॉम-"अभी तुम बाप बेटी की बात सुनी....तो सोचा तुझ से बात करूँ......बता क्यूं नही देती अपने डैड को....वैभव के बारे में।"

मॉम के मुंह से सच सुनकर प्रिया दंग रह गयी थी....मॉम को यह सब कैसे पता..अब क्या जबाब दूं मैं उनको

लड़खड़ाती जुबां से प्रिया ने बोलने की कोशिश की

"न..नही मॉम ऐसा कुछ नही।"

मॉम- "बेटा.....तुझे लगता है क्या कि तू मुझसे झूठ बोल सकती है?....मां हूँ तुम्हारी.....सब खबर रखती हूं...समझी"

सच ही तो कह रही थी वह बेटी के हर सुख दुख की खबर रहती है एक माँ को।
नजरें झुका ली थी प्रिया ने,अपनी माँ के सामने।

"वैसे बेटा......,अच्छा लड़का है वैभब.....जज किया है मैने उसको ...खुश रहोगी तुम उसके साथ"

मॉम ने तो फाइनल मोहर भी लगा दी थी मुझ पर.......
पर प्रिया को पता था कि उसके पापा काफी प्रैक्टिकली पर्सन है......वह तब तक तैयार नही होंगे....जब तक मैं अच्छे से सेटल्ड नही हो जाता......इसलिए भी वह चाहती थी कि मैं बिना किसी सपोर्ट के खुद को एक ब्रांड के तौर पर स्थापित करूँ।

अगले दिन कॉफी शॉप पर....हम तीनो बिजिनेस प्लान पर डिस्कस कर रहे थे, मुझे ढंग से चलने में अभी कुछ दिक्कत हो रही थी,पर फिर भी मिहिर का सपोर्ट लेकर मैं आसानी से यहां तक आ चुका था।

"रात भर जाग कर मैंने यह सोचा है कि क्यो न हम कोई ऐसा ऑनलाइन स्टार्टअप स्टार्ट करें,जिसमें हमारी भूमिका एक ब्रोकर की हो......जोमैटो,स्विगी,ओला टाइप कोई सर्विस....इसमें इन्वेस्टमेंट भी कम होगा और इसका लांग टाइम एडवांटेज काफी मिलेगा।"
प्रिया ने अपने दिमाग पर जोर डालते हुए अपना आइडिया हम सबके सामने रखा।

मिहिर- 'हां अच्छा है आइडिया तो....पर फ़ूड डिलीवरी,रेस्टोरेंट्स और रेंटल टैक्सीज की फील्ड में तो पहले से ही क़ई सर्विस प्रोवाइडर्स काम कर रहे है.....कुछ नया करना होगा हमें"

मैं-" हाँ.....कोई ऐसी सर्विस ,जिसकी जरूरत हर तबके के लोगो को पड़ती हो।"

उसके बाद हम तीनों काफी देर माथा पच्ची करते रहे......फिर हम तीनो ने मिलकर तय किया कि हम एक ऐसी सर्विस तैयार करेंगे....जो जरूरत मंद स्टूडेंट्स एवं एम्प्लॉयीज को पुणे शहर में रेंट पर रूम व फ्लैट्स उपलब्ध कराएगी....चूंकि पुणे में हमारी तरह बाहर के बहुत से स्टूडेंट्स और एम्प्लॉयीज का आना बना रहता है....यहां आने के बाद उनकी बेसिक नीड होती है रहने के किये किराए का घर......इसको लेकर वह काफी परेशान भी होते है व ठगे भी जाते है.......हमने तय किया कि एक एप के माध्यम से हम ऐसे लोगों को रेंटेड प्रॉपर्टी दिलवाने में मदद करेंगे,जिसका सर्विस चार्ज भी लेंगे......

तो इस तरह से हमारे एक आइडिया ने बिजिनेस स्टार्टअप का रूप ले लिया था.......और हम तीनों इस आइडिया को धरातल पर लाने की मेहनत में जुट गए........

प्रिया और मिहिर ने अपना सारा जेब खर्च इस स्टार्टअप पर लगा दिया था......मुझ पर तो इन्वेस्ट करने को तो कुछ था नही......सो बस मैं अपना दिमाग इस स्टार्टअप में इन्वेस्ट करने में ही लगा हुआ था।

(कहानी आगे जारी रहेगी)