sense of relationships in Hindi Moral Stories by DINESH KUMAR KEER books and stories PDF | एहसास रिश्तों का

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एहसास रिश्तों का

एहसास रिश्तों का
 
पिता बेटी के सर पर, हाथ रख कर बोला :-
"मैं तेरे लिए ऐसा पति खोजकर लाऊंगा,
जो तुझे बहुत सारा प्यार करे,
तेरी भावनाओं का सम्मान करे,
तेरे दुख सुख को समझ सके,
तेरी आँखो में आँसू न आने दे,
तेरी हर छोटी छोटी ख्वाइशों को पूरा कर सके"।
 
बेटी ने पूछा :- क्यो पापा?
 
पिता बोला :- बेटा हर बाप का सपना होता है, की उसकी बेटी को राजकुमार जैसा पति मिले जो उसे बहुत प्यार दे, और उसे हमेशा सुखी रखे।
 
बेटी :- तो पापा नानाजी ने भी आपको मम्मी का हाथ यही सोचकर दिया होगा न की आप भी राजकुमार हो, फिर आप मम्मी को हमेशा क्यो रुलाते हो, कही बाहर भी नही ले जाते और प्यार भी नही करते और हमेशा चिल्लाते रहते हो तो क्या आप अच्छे वाले राजकुमार नही निकले?
 
ये सुन पिता को एहसास हुआ की मुझे भी किसी ने राजकुमार समझ कर अपने कलेजे का टुकड़ा दिया और मैं खुद तो राजकुमार बना रहा पर अपनी पत्नी को कभी राजकुमारी नही समझा।
 
आज खुद बाप बनने के बाद एहसास हुआ की अपने दिल के टुकड़े को सही हाथ मे नही सौपा तो उसके दिल के टुकड़े हो जायेगे जो कोई भी बाप नही सहेगा।
 
इसलिए जैसा आप अपनी बेटी के लिए सोचते है वैसा ही अपनी पत्नी के लिए सोचिये।
 
आखिर वो भी किसी की बेटी है, किसी का आँख का तारा है।
उसे दुख होगा तो उसके पिता को भी दुख होगा।
 
एहसास रिश्तों का नामक कहानी में पिता पुत्री का संवाद...
 
लेखक दिनेश कुमार कीर