Prem Ratan Dhan Payo - 24 in Hindi Fiction Stories by Anjali Jha books and stories PDF | Prem Ratan Dhan Payo - 24

Featured Books
  • Fatty to Transfer Thin in Time Travel - 13

    Hello guys God bless you  Let's start it...कार्तिक ने रश...

  • Chai ki Pyali - 1

    Part: 1अर्णव शर्मा, एक आम सा सीधा सादा लड़का, एक ऑफिस मे काम...

  • हालात का सहारा

    भूमिका कहते हैं कि इंसान अपनी किस्मत खुद बनाता है, लेकिन अगर...

  • Dastane - ishq - 4

    उन सबको देखकर लड़के ने पूछा की क्या वो सब अब तैयार है तो उन...

  • हर कदम एक नई जंग है - 1

    टाइटल: हर कदम एक नई जंग है अर्थ: यह टाइटल जीवन की उन कठिनाइय...

Categories
Share

Prem Ratan Dhan Payo - 24







" ये क्या बदतमीजी थी राकेश , सब कैसी कैसी बाते बनाएंगे मेरे बारे में । ' ये बोल दिशा जाने के लिए आगे बढ गयी । वो कुछ ही कदम चली थी , की तभी राकेश ने फिर से उसका रास्ता रोक लिया । " वो लोग क्या सोचते हैं मुझे इससे फर्क नही पडता । मुझे सिर्फ तुमसे फर्क पडता हैं । मैंने तुमसे पूछा था फिल्म देखने चलोगी या नही और तुमने कुछ जवाब ही नही दिया । "

" नही " दिशा ने सपाट लहजे में कहा ।

राकेश अपनी आंखें छोटी कर बोला " ये क्या बात हुई इतनी बेरहमी से कोई न करता हैं क्या ? बायफ्रेंड हूं तुम्हारा मेरे साथ चलने में क्या प्रोब्लम है ? "

" दिमाग खराब हो गया हैं तुम्हारे कालेज के बाहर मेरे आदमी नजरें गडाए बैठे हैं । उन्होंने तूमहारे साथ मुझे देख लिया न तों ...... तो कुछ नही होगा " राकेश उसकी बात बीच में काटते हुए बोला ।

" तुमने अभी मुझे जाना ही कहा हैं । देखती जाओ तुम्हारे आदमियों के सामने से तुम्हें लेकर जाऊगा । " राकेश के ये कहते ही दिशा अजीब सा मूंह बनाते हुए बोली " सपने में ..... अगर ऐसा हैं तों वो भी पूरा नही होगा । " राकेश दिशा का हाथ पकड़ अपनज साथ ले जाते हुए बोला " प्यार हकीकत में किया हैं और आगे जो करूंगा वो भी हकीकत होगा । "

" लेकिन तुम मुझे कहा लेकर जा रहे हो ,््? "

" बस चुपचाप मेरे साथ चलती जाओ । " ये बोल राकेश उसे लाइब्रेरी के पास वाले रूम में ले आया । यहां दो लड़कियां पहले से ही मौजूद थी । राकेश उन दोनों को देखते हुए बोला " हे फ्रेंड्स तुम लोगों को पता हैं न क्या करना हैं ? "

" अफकोर्स यार तेरी जी एफ का हूलिया चेंज करना हैं । सिर्फ दस मिनट के लिए बाहर जा काम हो जाएगा ? " वहां खडी एक लडकी ने मुस्कुराते हुए कहा । राकेश रूम से बाहर चला गया । जाते वक्त उसने रूम लॉक कर दिया था , वही दिशा को तो ये सब कुछ समझ नही आ रहा था । पूरे दस मिनट बाद रूम का दरवाजा खुला और राकेश के सामने बुर्का पहने एक लडकी निकलकर आई । उसके पीछे से वो दोनों लड़कियां निकलकर आई ।

" देखो राकेश अब ये सर है लेकर पांव तक ढकी हुई है । कोई नही पहचान पाएगा । "

थैंक्स यार मैं ऊपर वाले से दुआ करूगा तुम्हें अच्छा सा हसबैंड मिले । " राकेश ने कहा तों वो लडकी मुस्कुराते हुए बोली " नो थैंक्स हमारे पास ऑल रेडी बी एफ हैं और हम दोनों खुश हैं । तुम जाओ नही तो पता चला फिल्म का इंटरवल हो गया और जनाव अभी तक रास्ते में है । " राकेश ने दिशा का हाथ पकडा और उसे कालेज के बाहर ले आया । यहां दिशा के आदमी कालेज के बाहर ही जीप के पास खडे थे । दिशा ने घबराहट के मारे राकेश का हाथ कसकर पकड़ लिया । राकेश उसके डर को अच्छे से समझ गया गया । वो उसे लेकर अपनी बाइक के पास चला आया ।

" हम बाइक से जाएंगे । " दिशा के ऐसे कहने पर राकेश बोला " क्यों तुम्हें कोई प्रोब्लम हैं ? "

" नही वो मैं आज से पहले कभी बाइक पर नही बैठी । " दिशा ने धीमे स्वर में कहा । राकेश तो हैरानी से उसे देखने लगा । दिशा उसकी कलाई पकड़ते हुए बोली " जल्दी चलो यहां से नही तो मेरे आदमियों को शक हो जाएगा । " राकेश ने हां में सिर हिलाया और बाइक स्टार्ट की । उसने दिशा को बैठने के लिए कहा । पहली बार वो बाइक पर बैठ रही थी वरना तो घर की चारदीवारी से बाहर उसने कार या जीप में ही सफर तय किया था । दिशा ने राकेश के दोनों कंधों को कसकर पकड़ लिया । राकेश उसके डर को अच्छे से समझ रहा था । उसने दिशा से कहा " दिशू डोंट वरी मैं गिराऊगा नही । तुम चाहो तो मेरे कमर पर हाथ रख सकती हो डर थोडा कम लगेगा । " उसने बस इतना कहा ही था की तभी दिशा ने अपने दोनों हाथ आगे कर उसके कमर पर घेरा बना लिया । राकेश के होंठों पर हल्की मुस्कुराहट तैर गई । वो बाइक स्टार्ट कर आगे बढ़ गया । पूरे रास्ते राकेश ने बाइक की स्पीड धीमी रखी । वैसे तो वो अच्छे से ड्राइव कर रहा था , लेकिन दिशा के डर को ध्यान में रखकर वो और भी ज्यादा केअर फुली बाइक चला रहा था । कुछ ही देर में दोनों सिनेमा हॉल के आगे आकर रूके । दिशा सिनेमा हॉल की तरफ देखते ही बोली " ये सिनेमा हॉल हैं । "

" अफकोर्स यही हैं तुम तो ऐसे बोल रही हो जैसे पहली बार देखा हो । " राकेश के ये कहते ही दिशा ने हां में अपना सिर हिला दिया । राकेश हैरान होकर बोला " दिशु या सब तो हम लोगों खी जिंदगी में नोर्मल सी बात है और तुम आज पहली बार ये सब चीजे देख रही हो । "

दिशा उसका हाथ पकडते हुए बोली " बाहर की दुनिया मैने उतनी ही देखी हैं , जितना मेरे घरवालों ने मुझे दिखाया हैं । मैंने जिस चीज की मांग की तो उसका रिप्लेसमेंट मेरे सामने लाकर पेश कर दिया गया । बाहर दोस्तों के साथ ट्यूशन पढने जाना चाहती थी , तो घर में टीचर रख लिया । फिल्म देखने की जिद की तो बडा सा टीवी लाकर घर में होम थियेटर बना दिया । " दिशा की बातें सुनकर राकेश उसका दर्द अच्छे से समझ पा रहा था । वो उसका हाथ अपने हाथ में लेकर बोला " तुम अब उन सभी पलो को जीयोगी जिनके सपने तुमने सजाकर रखे हैं । जो खाना हैं खा सकती हो । जहां घूमना हैं घूम सकती हो । मैं तुम्हरी सारी ख्वाहिशें पूरी करूंग । शुरूआत आज से करते हैं । अंदर चले नही तो सचमुच इंटरवल हो जाएगा ।‌‌"' राकेश के ये कहने पर दिशा को हंसी आ गयी । दोनों फिल्म देखने के लिए अंदर चले गए ।

____________

शाम का वक्त , रघुवंशी मेंशन




परी अपने रूम में सो रही थी । करूणा इस वक्त हॉल में बैठी किताब पढ रही थी । जानकी नीचे आई तो उसे संध्या किचन से बाहर आती हुई दिखाई दी । उसके हाथो में चाय का कप था जो शायद वो करूणा के लिए ला रही थी । संध्या उसे देखते हुए बोली " मैं तेरे ही रूम में आ रही थी चाय लेकर । पहले भाभी को देकर आती हैं तब तू बैठ । " ये बोलते हुए संध्या हॉल की तरफ बढ गयी ।‌। जानकी उसे पीछे से टोकते हुए बोली " नही संध्या अभी हमे चाय नही चाहिए । "

करूणा संध्या के हाथों से चाय का कप लेते हुए बोली " क्यों जानकी तुम्हें संध्या के हाथ की चाय पसंद नही हैं क्या ? "

" नही भाभी मां ऐसी कोई बात नहीं है । बह हमारा मन नही हैं चाय पीने का । कमरे में बैठे बैठे बोर हो रहें थे तो ऐसे ही उठकर चले आए । " जानकी ने कहा ।

करूणा चाय का एक घूंट पीकर बोली " बोर क्यों हो रही हो ? आओ हमारे पास बैठो । " करूणा के ये कहने पर जानकी सामने वाले सोफे पर आकर बैठ गई । करूणा संध्या से बोली " तुम क्या ऐसे ही खडी रहोगी या फिर बैठने के लिए मुझे इन्विटेशन कार्ड देना पडेगा । "

" भाभी गैस पर दूध चढ़ाकर आई हूं । पहले उसे बंद करके आती हूं । " ये बोल संध्या किचन की ओर भाग गयी । करूणा जानकी से पूछते हुए बोली " अपने बारे में में कुछ बताओ जानू । यही बता दो घर में कौन कौन हैं ? "

जानकी ने नजरें नीची कर लीं । कुछ पल बाद रूककर उसने कहा ' मेरे पास बताने के लिए कुछ भी नही हैं भाभी मां । मां का साथ बचपन में छूट गया था । पांच साल पहले पापा की भी कार ऐक्सिडेंट में मौत हो गयी । "

करूणा को ये सुनकर बहुत दुख हुआ । वो जानकी से बोली " हमे माफ़ कर दो जानू , शायद ये बात पूछकर हमने फिर से आपके जख्मों को हरा कर दिया । "

" नही भाभी मां आप मॉफी मत मांगिए । इसमें आपकी थोडी न कोई गलती हैं । वैसे भी जो सच है सो सच हैं ।‌"

" तो क्या तुम घर में अकेली हो ? " करूणा के ये पूछने पर जानकी बोली " नही भाभी मां , हमारी एक छोटी बहन हैं अट्ठारह साल की । यूं समझिए वो हमारी पूरी दुनिया हैं ‌‌। यही प्रयागराज में पढ़ती हैं । इस साल बारहवीं की परीक्षा देने वाली हैं । बहुत नटखट है । आप मिलेंगी न तब आप जानेगी । उसका स्वाभाव ही ऐसा हैं की सब उसके बहुत जल्दी दोस्त बन जाते हैं । जहां भी रहती हैं अपने चारों ओर सबको हंसाकर रखती हैं । "

" किसकी बातें हो रही है मीठी की । " संध्या ने पीछे से आते हुए कहा । जानकी ने हां में सिर हिला दिया । करूणा आगे बोली " अब तो हमारा भी मन कर रहा हैं उनसे मिलने का । हमारी मुलाकात जरूर करवाइएगा उनसे । "

" जरूर भाभी मां ' अच्छा हम परी को जगाकर आते हैं बहुत वक्त हो गया हैं । " ये बोल जानकी उठकर वहां से चली गई ।

__________

शाम का वक्त , सिनेमा हॉल




दिशा आज बेहद खुश थी । पहली बार बाहर जाकर उसने फिल्म देखी थी । आज काफी कुछ अलग महसूस किया था उसने । दोनों इस वक्त थियेटर के बाहर पार्किंग एरिया में खडे थे । राकेश बाइक से टिककर खडा था और दिशा उसके सामने खडी अपनी खुशी जाहिर कर रही थीं । इस वक्त उसने चेहरे का नकाब ऊपर कर रखा था ।

" तुम्हें पता हैं राकेश आज से पहले मैंने इतना अच्छा कभी महसूस ही नही किया । इस तरह थियेटर में आकर फिल्म देखने का मजा ही कुछ और होता हैं । "

" तुम्हें पसन्द आया । " राकेश ने पूछा तो दिशा ने तुरंत हां में अपना सिर हिला दिया । दिशा की नज़र राकेश की हाथ में बंधी घडी पर गयी । उसने जब उसने वक्त देखा तो घबराते हुए बोली " बाप रे कॉलेज की छुट्टी का टाइम भी हो गया हैं । आज तो मैं पक्का मारी जाऊगी । क्या करू कुछ समझ नही आ रहा । " दिशा को घबराते देख राकेश ने उसके दोनों कंधों को पकड लिया । " रिलेक्स दिशा कुछ नही होगा । आधा घंटा हैं हमारे पास । यूं डोंट वरी अगले बीस मिनट में मैं तुम्हें कॉलेज ड्राप कर दूगा । चलो आओ बैठो । " ये बोल राकेश ने बाइक स्टार्ट की । दिशा ने बुर्का नीचे किया और संभलकर बाइक पर बैठ गयी । राकेश ने इस वक्त बाईक की स्पीड तेज कर रखी थी । दिशा को डर तो लग रहा था लेकिन पहले के मुकाबले इस बार डर कम था । राकेश ने जैसा कहा वैसा किया । अगले बीस मिनट में दोनों कॉलेज पहुंच गए । बच्चों की फीड कॉलेज से निकल रही थी । उसी भीड के सहारे दोनों कॉलेज के अंदर दाखिल हुए । दिशा ने सबसे पहले जाकर बुर्का चेंज किया । वो उसी रूम में गयी थी जहां राकेश उसे पहले लेकर गया था । दिशा चेंज कर रूम से बाहर आई । राकेश बाहर ही उसका वेट कर रहा था । दिशा उसके गलू लगकर बोली " थैंक्यू .....

राकेश उसे बाहों में भरकर बोला " फिर तो आदत डाल लो मिस दिशा ठाकुर क्योंकि तुम हर रोज मुझे इसी तरीके से थैंक्यू बोलने वाली हो । '

दिशा उससे अलग होकर हैरानी से बोली " वो कैसे .... ? "

" अभी तुम घर जाओ , बाकी का कल बताऊंगा । " राकेश ने कहा । दिशा उसे बाय बोलकर वहां से चली गई ।

ख़ुद मेरी आँखों से ओझल मेरी हस्ती हो गई,

आईना तो साफ़ है तस्वीर धुँदली हो गई,

साँस लेता हूँ तो चुभती हैं बदन में हड्डियाँ,

रूह भी शायद मेरी अब मुझ से बाग़ी हो गई ।


**********

दिशा और राकेश की मोहब्बत कौन सा रंग लाएगी । सच जानकार मोहब्बत जैसा गुनाह तो दिशा कर चुकी हैं । घर वाले जब जानेंगे तो क्या अंजाम होगा ? क्या ये मोहब्बत परवान चढेगी या खत्म हो जाएगी ये कहानी शुरी होने से पहले ही ।‌। अब ये तो आना वाला वक्त ही बताएगा जानने के लिए आगे का भाग पढना न भूलें

प्रेम रत्न धन पायो

( अंजलि झा )


*********