Agenda in Hindi Anything by Kishanlal Sharma books and stories PDF | एजेंडा

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एजेंडा

जाति तोड़ो समाज जोड़ो
हर भारतीय जाति के खिलाफ है और वह जाति की बात नही करता।
फिर जाति की बात कौन करता है?
जाति की बात करते है हमारे राजनेता।जब वे सत्ता में होते है तब उन्हें अपना धर्म और जाति का ख्याल नही आता।लेकिन सत्ता से हटते ही हिन्दू धर्म को कोसने लगते है।उसमें तमाम तरह की बीमारी उन्हें नजर आने लगती है।जाति वाद नजर आने लगता है।जातियों की दुर्दशा के लिए ब्राह्मणों को कोसने लगते है।और तभी उन्हें जाति जनगणना की याद आती है।खुद सत्ता में थे, तब याद नही आई
जाति पर बात करने से पहले
हिन्दू धर्म सबसे प्राचीन है या दूसरे शब्दों में दुनिया मे धर्म ही एक है।हिन्दू और इसीलिये इसे सनातन कहा जाता है।जो हमेशा से है और रहेगा।बाकी तो सब पंथ है।
सब से पहले धर्म और जाति
हमारा समाज या विश्व का समाज सिर्फ चार वर्णों के अंदर बंटा हुआ था।ये चार वर्ण है
ब्राह्मण,छत्रिय,वैश्य और शूद्र
ब्राह्मण सिर्फ वो नही थे जो पूजा पाठ कराते थे।धार्मिक अनुष्ठान के साथ शिक्षा देना भी इनका काम था।ऋषि लोग सिर्फ शिक्षा ही नही देते थे,बड़े बड़े वैज्ञानिक भी थे।जो अस्त्र शस्त्र का निर्माण करते थे।उस समय के अस्त्र चक्र या ब्रह्मास्त्र हर एक राजा के पास नही होते थे।
क्षत्रिय का काम था,देश रक्षा।बाह्य और आंतरिक शत्रुओं से
वैश्य का काम था व्यापार,व्यसाय यानी कल कारखाने व सब तरह का व्यापार
शुद्र में वे आते थे जो किसी ने किसी रूप में समाज की सेवा करते थे।
अब क्या वर्ण मिट गए है।इस पर विचार करने से पहले जाति की बात
जब पहले समाज वर्ण में बंटा हुआ था तो फिर जाति कहा से आई
पहले सनातन ही था बाद में अनेक धर्मो की उत्पत्ति हुई।हमारे देश मे मुस्लिम शासकों के आने के साथ ही जाति की नींव पड़ी।मुसलमानों ने काम के हिसाब से हर वर्ग को एक जाति का नाम दे दिया।मसलन लुहार,बढ़ाई, नाई, कारीगर आदि।
कालांतर में इसी तरह जाति बनती गयी और उनकी संख्या बढ़ती ही चली गयी।आज जाति की संख्या हजारों में है।शायद 6000 से ज्यादा
अब राजनेताओं को हिन्दू धर्म मे अनेक बुराई नजर आने लगी है।और उनका मानना है कि हिंदुओं में छुआछूत है और अछूतों और दलितों पर बहुत अत्यचार हुए है।इसके लिए वे सवर्णों और ऊंची जाति के लोगो विशेषता ब्राह्मणों को गाली देते है।ये लोग समाज को जोड़ने नही तोड़ने की बात करते है।ये लोग चाहते है कि समाज जातियों में विभाजित रहे ताकि ये लोग जाती की राजनीति करते रहे।मुलायम,लालू की पार्टी यही करती रही है।और ओबेसी के बारे में बताने की जरूरत नही है कि उनकी राजनीति कैसी है।
आखिर ये लोग समाज मे समरसता लाने की बात क्यो नही करते।पढ़ लिखकर लड़के लडकिया जाति से ऊपर उठकर एक दूसरे का हाथ थाम रहे है और ये इस नही चाहते।जाति को जिंदा रखना चाहते है ताकि इनकी दुकान चलती रहे।
अब अत्याचारों की बात करते हे।सातवी शताब्दी से ही आक्रांता हमारे देश मे आने लगे थे।और करीब 1000 साल हमारा देश गुलाम रहा।इस देश के शासक मुगल या अंग्रेज रहे।जुल्म तो वो करता है जो शासन में होता हे।फिर ये क्यो खोखला तथ्य देकर लोगो को बरगलाते है।
अगर हमारे देश के नेता जनता की भलाई चाहते है तो धर्म और जाति से ऊपर उठकर राजनीति करे