Uljhan - Part - 6 in Hindi Fiction Stories by Ratna Pandey books and stories PDF | उलझन - भाग - 6

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उलझन - भाग - 6

निर्मला उसके दिल की बात कहकर रोते-रोते अपने कमरे में चली गई।

प्रतीक भी गुस्सा होते हुए बाहर निकल कर सीधे बुलबुल के पास चला गया।

बुलबुल अपने कमरे में अकेली ही रहती थी इसलिए वह आराम से साथ में बेफिक्र होकर समय गुजारते थे। आज इस समय प्रतीक को देखकर, उसके चेहरे के हाव-भाव से, बुलबुल को भी लग गया कि आज तो प्रतीक घर से झगड़ा करके आया है।

उसने पूछा, "क्या हुआ प्रतीक?"

प्रतीक ने उसके कंधे पर अपना सर रख दिया और रोने लगा।

बुलबुल ने कस कर उसे अपनी बाँहों में भरते हुए कहा, "जो भी हुआ है मुझे बताओ प्रतीक, हम मिलकर सोच लेंगे कि आगे क्या करना है?"

प्रतीक ने कहा, "आज घर में सबसे झगड़ा करके आ रहा हूँ।"

"सबसे? क्या तुम्हारी पत्नी ...?"

"हाँ आज उसे पता चल गया कि मैं उसे तलाक देने वाला हूँ।"

"क्या बोली फिर वह?"

"तुम आज़ाद हो वही घिसा-पिटा डायलॉग लेकिन मुझे नहीं लगता कि वह इतनी आसानी से हमारा पीछा छोड़ेगी।"

"फिर हम क्या करेंगे प्रतीक?"

"हम तो शादी करेंगे बुलबुल चाहे अब जो भी हो जाए।"

आज पूरी रात प्रतीक बुलबुल की बाँहों में ही था। दूसरे दिन अचानक प्रतीक को ऑफिस के काम से लगभग 20 दिनों के लिए भारत से बाहर टूर पर जाने का आदेश आ गया।

प्रतीक अपने टूर पर जाने से पहले बुलबुल से मिलने उसके घर गया और कहा, "बुलबुल बस मुझे वापस आ जाने दो, मेरे वापस आते ही हम मंदिर में विवाह कर लेंगे। जब हम प्यार करते हैं तो फिर डर किस बात का। बिना विवाह साथ में रहने से अच्छा है कि डंके की चोट पर शादी करके हम जीवनसाथी बनकर साथ रहें ताकि कोई भी हम पर उंगली ना उठा सके।"

"ठीक है प्रतीक मैं तुम्हारा इंतज़ार करूंगी, बस तुम जल्दी से वापस आ जाना। मैं तब तक हमारी शादी का जोड़ा बनवा कर रखूंगी। तुम्हें मुझ पर लाल रंग बहुत अच्छा लगता है ना, बस उसी कलर का लहंगा बनवाऊंगी। तुम वहीं से कुछ अपनी पसंद का ले आना ताकि हमें और ज़्यादा इंतज़ार ना करना पड़े।"

"बुलबुल इतनी जल्दी है तुम्हें भी, बहुत प्यार करती हो ना मुझे?"

"हाँ करती हूँ, दुनिया में सबसे ज़्यादा प्यार तुम्हीं से करती हूँ।"

"आई लव यू बुलबुल।"

"आई लव यू टू प्रतीक," कहते हुए दोनों ने एक दूसरे को बाँहों में भर लिया और फिर 20 दिनों के लिए प्रतीक उससे दूर चला गया।

उधर बुलबुल के पापा मम्मी को बुलबुल के विषय में यह पता चल चुका था कि वह किसी से प्यार करती है।

यह मालूम पड़ते ही उसकी मम्मी ने कहा, "अशोक चलो, चल कर उससे बात करते हैं।"

"अरे प्रिया, इतनी भी क्या जल्दी है?"

"क्या जल्दी है? यह क्या कह रहे हो आप? आजकल लड़कियाँ ऐसे ही साथ में रहने लगती हैं। मुझे वह सब नहीं पसंद।"

"कैसी बात कर रही हो प्रिया? क्या तुम्हें अपनी बेटी पर विश्वास नहीं है।"

"विश्वास है अशोक लेकिन इस उम्र पर भरोसा करना ठीक नहीं है। कभी-कभी पाँव बहक ही जाते हैं। ऐसा कुछ भी हो उससे अच्छा है कि हम पहले ही सावधान हो जाएँ। मुझे डर लगता है कि कहीं देर ना हो जाए।"

"हाँ प्रिया तुम ठीक कह रही हो। हम चल कर उससे बात करते हैं, सब कुछ ठीक लगा तो वहीं सगाई कर देंगे। फिर डरने की कोई बात नहीं रहेगी।"

"हाँ ठीक है, चलो चलते हैं।"

रत्ना पांडे, वडोदरा (गुजरात)
स्वरचित और मौलिक
क्रमशः