The Author नंदलाल मणि त्रिपाठी Follow Current Read विश्व एव ज्योतिष By नंदलाल मणि त्रिपाठी Hindi Astrology Share Facebook Twitter Whatsapp Featured Books Split Personality - 136 Split Personality A romantic, paranormal and psychological t... Surfing in Timeline with my Bro - 11 Martin:- "Zombie oblitrons, run guys... Run.."Soldiers opene... THE UNTOLD JOURNEY Mehnat Ka Nasha – The Untold JourneyDreams are beautiful, bu... THE GOLDEN SHROUD - 5 Chapter 5Morning - around 11:30 a.m.Chaos filled the house.R... IF I FAIL TODAY DOESN'T MEAN I WIL FAIL FOREVER ---In a quiet, small village, there lived a boy named Aryan.... Categories Short Stories Spiritual Stories Fiction Stories Motivational Stories Classic Stories Children Stories Comedy stories Magazine Poems Travel stories Women Focused Drama Love Stories Detective stories Moral Stories Adventure Stories Human Science Philosophy Health Biography Cooking Recipe Letter Horror Stories Film Reviews Mythological Stories Book Reviews Thriller Science-Fiction Business Sports Animals Astrology Science Anything Crime Stories Share विश्व एव ज्योतिष (434) 2.2k 6k 1 आधुनिक विज्ञान में विज्ञान खगोल विज्ञन के अनुसार ब्रह्मांड में स्थित अनेको ग्रहों की उपस्थिति गति ब्रह्मांड को प्रभावित करती है एव प्रकृति के स्वरूप का भी निधार्रण करती है निश्चित रूप से यदि ब्रह्मांड में उपस्थिति ग्रह पिंड यदि प्रकृति को प्रभावित करते है तो ब्रह्मांड की प्रबृत्ति और उसमें उपस्थित समस्त चराचर प्राणी को भी प्रभावित करते रहते है भारतीय ज्योतिष का मूल सिद्धान्त भी यही कहता है कि खगोलीय गति और परिवर्तन प्राणी विशेष और समस्त प्राणियों के विचार सोच संस्कृति संस्कार क्रिया कलाप में परिवर्तन के कारक कारण बनते है तदानुसार परिवर्तन की प्रेरणा के साथ परिणाम स्वरूप परिलक्षित होते है और प्राणी और युग संसार अपने ही प्रेरणा के परिवर्तन के सुख दुख की अनुभूति करता पुनः इसी प्रक्रिया और ब्रह्मांडीय परम्परा प्रक्रिया का हिस्सा बन नए आवरण कलेवर की अनुभूति के लिये आगे बढ़ता है तो पुराने अनुभतियो के आवरण को उतार फेकने की नए खगोलीय परिवर्तन की अनजानी प्रेरणा के अनुरूप चलने लगता है।आने वाले इसी प्रक्रिया परम्परा की सत्यता के विषय मे चर्चा करना चाहूँगा जो लगभग निश्चय निश्चित है इक्कीसवीं सदी की सर्वाधिक परिवर्तन मौन शासन प्रणाली में होना अवश्यसंभावी है। सनातन धर्म के अति आदर्श और सर्व स्वीकार धर्म ग्रंथ श्रीमद भागवत में मौन राज्य का मतलब कम्युनिस्ट शासन से बताया गया है ।मौन इसलिये कहा गया है कि इस शासन प्रणाली में आम जन गूंगा होता है और शासन शासक की मंशा जनता के लिए ईश्वरीय आदेश होता है इसी कारण कम्युनिस्ट शासन में तानाशाही प्रबृत्ति का प्रबलतम समावेश होता है कम्युनिस्ट शासन व्यवस्था का जन्म ही राज तंत्र के तानाशाही प्रबृत्ति के धरातल पर हुआ था फिर भी कम्युनिस्ट शासन द्वारा तानाशाही प्रबृत्ति का त्याग न कर आत्म साथ किया गया यह कम्युनिस्ट शासन व्यवस्था के प्रादुर्भाव के साथ ही उसके पतन का अदृश्य कारण शासन व्यवस्था में तत्कालीक खगोलीय ग्रहों के कारण ही हुआ जो उसके पतन का भविष्य में कारण बनाना था जिसकी शुरुआत बीसवीं सदी के अतिंम दसक में स्पष्ठ रूप से दुनिया ने देखाइक्कीस सदी मौन शासन व्यवस्था के सम्पूर्ण समापन का गवाह बनेगा आने वाले अठ्ठाईस वर्षों में कम्युनिस्ट सम्पूर्ण विश्व मे कम्युनिस्ट शासन व्यवस्था कही कभी मजबूत तो कही कमजोर होती प्रतीत अवश्य होगी मगर अंततः उसका समापन ही होगाजिसके परिणामस्वरूप इक्कसवीं सदी में दुनिया को महत्वपूर्ण घटनाओं से रूबरू होना होगा जो विश्व इतिहास का महत्वपूर्ण हिस्सा बनेंगी इस क्रम में स्वतंत्र तिब्बत राष्ट्र का अस्तित्व दुनियां में आएगा साथ ही साथ उत्तरी कोरिया दक्षिणी कोरिया वियतनाम का एकीकरण विश्व समुदाय को बर्लिन की दीवार गिरने की याद का एहसास कराएगी साथ ही साथ कम्युनिस्ट शासन का समापन बहुत रक्तरंजित होगा और न जाने कितने लोगों को जान गवानी पड़ेगी मगर इस सत्य भविष्य घटना को कोई भी रोक नही पायेगा और यह परिवर्तन अनिवार्य होगा जो सम्पूर्ण विश्व समुदाय के लिये सुखद और नई ऊर्जा उत्साह का संचार करेगा।।नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बरआदर्णीय -यह अंक ज्योतिष के लिये अति महत्वपूर्ण कालम है जो विश्व समुदाय को अवश्यसंभावी भविष्य की घटनाओं से परिचित कराएगा जो वर्तमान में लगभग असंभव लगती है। Download Our App