Yaado ki Asarfiya - 6 in Hindi Biography by Urvi Vaghela books and stories PDF | यादों की अशर्फियाँ - 6. स्वतंत्रता दिन

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यादों की अशर्फियाँ - 6. स्वतंत्रता दिन

6. स्वतंत्रता दिन


देशभक्ति को जगाने का उत्तम साधन बचपन का स्वतंत्रता दिन ही होता है जो स्कूल में मनाया जाता है। वह अनुभव ही कुछ रोमांचक होता है क्योंकि बड़े हो कर हम ही स्वतंत्रता दिन को सिर्फ एक छूटी की तरह ही देखते है। स्कूल में टीचर्स का वह भाषण ही था जो हमे उत्साहित करता था की इस दिन हम छूटी न माने। मेरे अनुसार तो बचपन के स्कूल के दिनों में ही हम देश को सच्चा प्यार कर सकते है क्योंकि हम तब राजनीति के ज्ञाता नहीं होते, सरकार के उज्जवल कामों की लिस्ट नहीं होती और सबसे जरूरी न वोटिंग का अधिकार भी।


मेरी स्कूल में तो स्वतंत्रता दिन दो ही चीजों के लिए उनका इंतज़ार किया जाता है एक तो रैली और दूसरा सांस्कृतिक कार्यक्रम। स्वतंत्रता के कुछ ही दिनों पहले शुरू हो जाती है कनक टीचर की परेड। यह परेड की खासियत या करूणता यह थी की जब कनक टीचर प्रैक्टिस करवाते थे तब सब शानदार करते है लेकिन जब रैली निकाली जाती है तो सिर्फ चलकर ही जाते थे क्योंकि पूरी जिम्मेदारी तो बड़े स्टूडेंट की होती थी जो आर्मी के कपड़ो में सज्ज़ होते थे। हमे तो इसी लिए अच्छा लगता था की जब हमारी रैली निकालते थे तब हमे देखने जेसी कोई सेलिब्रिटी हो वैसे हमे देखने लोग घर के बाहर या छत पर चढ़ जाते थे।


9th का स्वतंत्रता दिन शानदार और यादगार इस लिए था की तब निशांत सर की शुभ वाणी में एंकरिंग हुआ था। यहां शुभ वाणी का अर्थ कुछ और ही होता है जैसे पीरियड की बाते की वह मज़ा। और साथ में दीपिका मेम का भी एंकरिंग था इस लिए सोने पे सुहागा था।

* * *


अब आ गया वह दिन - गौरव का दिन - 15 वी अगस्त। सुबह का वह वक्त जहां हर स्टीरियो में से देशभक्ति बह रही होती है और हर मुख से वंदे मातरम् का नारा। धीरेन सर के कपड़ो मे कोई नयापन नहीं न ही स्कूल के यूनिफॉर्म वाले बच्चों में। चमक होती थी तो उन मुस्कानों में जो रंगबीरंगी कपड़े में लिपटे , डांस के लिए उत्साहित और जोश से भरे तिरंगे के रंग में जकड़े उन पैरो की परेड में। मुझे हमेशा लगता की में लेट ही हो गई हूं। पर जब में पहुंचती थी तब स्पीकर में “मेरे देश की धरती…” बजाता था और हम सब लाईन में खड़े होते थे। सभी टीचर हरी, केसरी या सफेद साड़ी में दिखाई देते थे। आज तो अमी दीदी के क्लास की लड़कियां भी सफेद साड़ी में आई थी। हम उत्सुक थे यह जानने के लिए की वह क्या परफॉर्म करने वाले है की उन्होंने सफेद साड़ी धारण की है।


फिर हम सब कुछ इस तरह से धीरेन सर द्वारा अरेंज होते है की देखने वाले चकित रह जाए। फिर गौरवशाली ध्वजवंदन होता है। भाषण तब तक भाषण लगेगा जब तक निशांत सर की बात शुरू न हो। फिर भाषण स्पीच में बदल जाता है।

दीपिका मेम और तृषा टीचर ने संचालन का दौर संभाला। सब प्रतीक्षा कर रहे थे उस सफेद साड़ी पहने हुए लड़कियों के डांस की। यह डांस कनक टीचर के द्वारा करवाया था। हम बहुत उत्सुक थे लेकिन डांस में उतना दम नहीं था की हमारी उत्सुकता को खुशी में बदल सकें।


15 वी अगस्त में डांस के साथ गाना भी होता था और इसमें सबसे पहले नाम होता था रीति का। जिसको बिना पूछे ही नाम लिख दिया करते थे।


और अंत में स्वतंत्रता मिलने की खुशी में बिस्किट का पैकेट देते थे जिसके लिए बड़े होने के बावजूद भी हम इंतज़ार करते थे।

स्वतंत्रता दिन में ज्यादातर सभी फ्रेंड्स नहीं आते थे। माही जैसे तो स्कूल में मुश्किल से आते थे तो यहाँ उम्मीद करना ही बेकार था। पर जब रैली होती थी तब सबको आना पड़ता था। और रैली कम बातें और मस्ती ज्यादा करते थे।