Headless Saint in Hindi Short Stories by ABHAY SINGH books and stories PDF | हेड लेस सेंट

Featured Books
  • तुझ्यावाचून करमेना - भाग 1

    "अक्षय आज बघायचा कार्यक्रम आहे हे फायनल आहे कळलं ना? कामं जर...

  • भजी ?

    भजी म्हणजे अगदी सर्वांचा आवडता  पदार्थ...!. भजी आवडत नसलेला...

  • दंगा - भाग 10

    १०          संभाजी महाराज अर्थात संभूराजे....... छावा चित्रप...

  • शाल्मली

    "हॅलो!" ओह, व्हॉट ए surprise.. " - चैतन्य ला दारात बघून शाल्...

  • पापक्षालन - भाग 3

                             पापक्षालन  भाग 3          पित्याचे...

Categories
Share

हेड लेस सेंट

हेडलेस सेंट...

हाथ मे कटा हुआ सर लेकर घूमते हुए, ये संत डेनिस हैं। सन्तजी, पेरिस शहर के स्थापक सन्त माने जाते हैं।
●●
पर ये सदा से अपना सर हाथ मे लेकर नही घूमते थे।

एक समय जब उनका सर, गर्दन पर ही था, तब वे प्रीस्ट हुआ करते थे। इटली वासी थे, और उन्हें दो साथियों के साथ, क्रिस्चियनिटी का प्रसार करने गॉल की तरफ भेजा गया।

यह इलाका अब फ्रांस में पड़ता है। तो यहां सन्त जी, क्रिस्चियनिटी का प्रचार प्रसार करने लगे। उनके प्रवचनों से प्रभावित होकर, भर- भर के लोग अपना धर्म बदलने लगे।

यह बात लोकल पंडितों पुरोहितों, और लोकल राजा साहब को हजम नही हुई।
●●
तीनो को पकड़ लिया गया। खूब टॉर्चर किया गया और उन्हें क्रिस्चियनिटी छोड़कर लोकल पेगन गॉड्स की पूजा करने, धर्म बदलने पर मजबूर किया गया।

मगर सन्तजी टस से मस न हुए। आखिर में उन्हें सजा-ए-मौत तजवीज की गई। शहर में की सबसे ऊंची पहाड़ी पे ले जाकर तीनो का सर काट डाला गया।

सन्त डेनिस की महानता के लिए, उनका कर्तव्य से न डिगना और निर्भय होकर शहादत दे देना पर्याप्त होता। कहानी खत्म हो जानी चाहिए।
●●
लेकिन पिक्चर, अभी बाकी है मेरे दोस्त।

कथा के मुताबिक, सन्तजी ईश्वर की भक्ति में इतने लीन थे, की उन्हें सर कटने के फर्क नही पड़ा।

उन्होंने अपना कटा सर उठाया, और उसे एक नदी में प्रवाहित कर दिया। फिर 6 मील तक प्रभु का नाम जपते हुए चलते रहे।

अंततः एक जगह गिर गए।
वहीं उनकी श्राइन बनाई गई है।
●●
कहानी में यह एक्स्ट्रा ट्विस्ट, उन्हें यूनिक पहचान देता है। जहां चार सन्त की तस्वीर या मूर्ति लगी हो, वहां सेंट डेनिस को कटा सर, अपने हाथ मे पकड़े देखकर पहचाना जा सकता है।

लेकिन आगे यह ट्रिक कुछ और लोगो ने भी अपनायी। तो अब यूरोप में आधा दर्जन, दूसरे भी इलाकाई सन्तो के किस्से हैं, जो कटा सर हाथ मे लेकर घूमते है।
●●
ऐसी कहानियां भारत मे भी खूब हैं।

कुछ सजीव वीर थे, तो कुछ लोग मिथक है। सिर कटने के बाद घण्टो बाद तक लड़ते है। सौ दो सौ किलोमीटर घोड़ा दौड़ा लेते हैं।

यह बातें, कायदे से अनसाईंटिफिक हैं।

फिक्शन है, और वास्तविकता से दूर हैं। हैरी पॉटर, स्पाइडरमैन, सुपरमैन जैसे किस्से है। ऐसे आख्यानक को सुना, माना, आनंद लिया, और धार्मिक किस्सा है, तो प्रणाम किया।

फिर भूल जा भई!!
●●
पर गर्व नाम के हशीश की खेती हमारे देश मे ऐसी चल पड़ी है, कि जहां से जितना मिले, उसे लूट लेने की होड़ है।

दरअसल जिन कौम, जिन जातियों, जिन धर्मो के युवाओ की टाँगें .. किसान, जवान, छात्र, गरीब के साथ खड़े होने के नाम पर थर-थर कांपती है...

वही खोखले, कायर लोग अपनी पोल ढांपने की कोशिश में, सरकटे योद्धाओ की कहानियां सुना सुनाकर, मुफ्त का जातीय गर्व गांठ रहे हैं।
●●
जिन लोगो ने इस देश पर, कौम ओर, समाज के लिये जान दी। लड़े, पीछे न हटे.. वे तो धर्म जाति और भाषा की सीमाओं से परे, हर जगह पूजे जाते हैं।

उन्हें पहचान का संकट नही। वे भारत के पुरोधा है, सबके पुरखे है, सबका गर्व हैं।

पर आपके पास, कोई ऐसे सरकटे लड़ाके का किस्सा, और उसके नाम पर जातीय गर्व करने के आव्हान का फार्वर्ड भेजे।

तो उस पागल को तुरन्त ब्लॉक करें।
●●
इसलिए कि वह खोखला प्राणी है। मेंटली डिस्टर्ब है। सस्ते गर्व की हशीश के, गहरे कश लगाकर, किसी और ही दुनिया मे विचरता हुआ..

एक हेडलेस डेमन है।