Indraprastha - 2 in Hindi Classic Stories by Shakti books and stories PDF | इंद्रप्रस्थ - 2

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इंद्रप्रस्थ - 2

परम पराक्रमी युधिष्ठिर नगरी के राजा बने। भीम मुख्य सेनापति बने। अर्जुन नकुल सहदेव मंत्री बने। युधिष्ठिर के राज्य में सब सुखी थे। अगल-बगल के गरीब लोग भी आकर युधिस्ठिर की नगरी में बस गये। वहां जाकर वे भी खुशहाल और सुखी हो गये। सभी चारों भाइयों ने युधिस्टिर को अपना राज्य बढ़ाने की सलाह दी। श्री कृष्ण का वरद हस्त इन पांचो भाइयों के सर पर था। युधिष्ठिर ने इंद्रप्रस्थ की कमान संभाली और चारों भाइयों को चारों दिशाओं को जीतने के लिए भेज दिया। कुछ दिनों में ही परमपराक्रमी इन चारों भाइयों ने सारे विश्व को जीत लिया। जीत कर और धन वसूल कर वे इंद्रप्रस्थ वापस लौटे। जीत की खुशी में महान हवन का आयोजन हुआ। सारे विश्व के राजा ऋषि मुनि इस महान यज्ञ में भाग लेने के लिए आये। सभी ने युधिष्ठिर का साथ दिया। बड़े बुजुर्गों और ऋषि मुनियों ने युधिष्ठर को आशीर्वाद दिया। हवन संपन्न हुआ।


अब युधिस्टिर सारी पृथ्वी के सम्राट थे। पृथ्वी के सभी राजा युधिष्ठिर को टैक्स देने लगे। वे अब महाराज अर्थात सम्राट थे। इसके बाद महाभारत का खतरनाक युद्ध हुआ। सारे कोरव मारे गए। पांडव जीते और उन्होंने अपनी राजधानी हस्तिनापुर बनाई। फिर पांडव स्वर्ग को चले गये और फिर पांडवों के वंसजों ने राज्य किया। सन 2024 अर्जुन एक 48 वर्ष का जवान है। उसने कई जगह अपनी सेवा दी है अर्थात कई नौकरियां की हैं। सरकारी प्राइवेट आदि। उसके पास धन की कोई कमी नहीं है।वह दिल्ली में एक भव्य भवन में रहता है। अर्जुन को बार-बार सपने में महाभारत का युद्ध दिखाई देता। बार-बार उसे इंद्रप्रस्थ नगरी दिखाई देती। इस प्रकार अर्जुन सपने में बार-बार परेशान होता। आखिर उसे पता चल गया कि वह महाभारत के असली अर्जुन का ही अंश है और अर्जुन के वंश अर्जुनायन में उत्पन्न हुआ है।




अर्जुनायनो ने सिकंदर से भी युद्ध किया था। अर्जुनायन अर्जुन के वंश से थे। नया अर्जुन भी अर्जुनायन वंश से ही था। सिकंदर से युद्ध में अर्जुनायनो की बहुत हानि हुई थी। इस हानि के कारण अर्जुनायनो की संख्या बहुत कम हो गई थी और वह इधर-उधर बिखर गए थे। अर्जुन ने सारी दुनिया में बिखरे अर्जुनायनों को इकट्ठा किया। उसने समुद्र में एक बड़ा सा द्वीप लिया। उसे समतल किया और वहां एक विशाल सुंदर आधुनिक नगर का निर्माण किया। फिर इन अर्जुनायनो को उस द्वीप में बसाया। सभी को रोजगार दिया। अच्छा जीवन स्तर दिया। भोजन शिक्षा मेडिकल सुविधाएं उपलब्ध कराई।

द्वीप के प्रशासन के लिए अच्छी व्यवस्था की। द्वीप को एजुकेशन हब बनाया। अब यह द्वीप देश दुनिया के किसी भी देश से किसी भी चीज में कम नहीं था। आयात निर्यात को संतुलित किया। द्वीप राष्ट्र को कर्ज मुक्त रखा। द्वीप का खजाना भरा रहे इसका ध्यान रखा।


द्वीप राष्ट्र का नाम रखा न्यू इंद्रप्रस्थ। अर्जुन ने प्राचीन अमृत की तर्ज पर एक नये सॉल्यूशन का निर्माण किया। इस सॉल्यूशन के पान करने से मनुष्य एक तरफ से अमर ही हो जाता था। अर्जुन ने एक बड़े उत्सव का आयोजन किया। इसमें अमृत तत्व को पानी में घोलकर रखा गया। सबको एक-एक गिलास पीने के लिए दिया गया। अमृत तत्व का प्रभाव शुरू हो गया। पहले दिन में सभी का कद 6 फीट का हो गया। अगले दिन अमृत तत्व के कारण सभी का रंग गोरा हो गया। तीसरे दिन सभी का शरीर सुगठित और चेहरे के नाक नक्श अच्छे हो गए। इसके अगले दिन अमृत तत्व के प्रभाव से सभी की सभी बीमारियां दूर हो गई और इसके अगले दिन इसके प्रभाव से अपंग लोगों की अपंगता दूर हो गई। इसी तरह अमृत तत्व के अन्य कई फायदे हुए। अब इस इंद्रप्रस्थ नगरी के सभी लोग देवता तुल्य हो गये। उनकी उम्र भी कई गुना ज्यादा हो गई। सभी जवान ऋष्ट पुष्ट और सुंदर हो गये। इस प्रकार अर्जुन ने इंद्रप्रस्थ नगरी के लोगों को देवता तुल्य बना दिया। यह लोग दुनिया की सभी विधाओं में निपुण थे। अर्जुन इस समय इंद्रप्रस्थ के घने जंगलों में गोलीबारी का अभ्यास कर रहा है। उसका एक अनुचर जगह-जगह पर आवाज करता है और अर्जुन उस आवाज वाली जगह को गोली चला कर भेद देता है। इसी प्रकार अर्जुन प्राचीन अस्त्रों और नवीन अस्त्र शस्त्रों का भी अभ्यास करता है। अर्जुन को धनुष से भी बान छोड़ने में बड़ा मजा आता है। उसके पास कई किस्म के धनुष हैं। इसी प्रकार उसके पास तलवार ढाल गदा आदि प्राचीन अस्त्र-शस्त्र हैं। साथ ही उसके पास नवीन अस्त्र-शस्त्रों बंदूक राइफल पिस्टल आदि का भी अंबार है।