BARISH KI BOONDE AUR WO - 6 in Hindi Love Stories by ANOKHI JHA books and stories PDF | बारिश की बूंदें और वो - भाग 6

Featured Books
  • Fatty to Transfer Thin in Time Travel - 13

    Hello guys God bless you  Let's start it...कार्तिक ने रश...

  • Chai ki Pyali - 1

    Part: 1अर्णव शर्मा, एक आम सा सीधा सादा लड़का, एक ऑफिस मे काम...

  • हालात का सहारा

    भूमिका कहते हैं कि इंसान अपनी किस्मत खुद बनाता है, लेकिन अगर...

  • Dastane - ishq - 4

    उन सबको देखकर लड़के ने पूछा की क्या वो सब अब तैयार है तो उन...

  • हर कदम एक नई जंग है - 1

    टाइटल: हर कदम एक नई जंग है अर्थ: यह टाइटल जीवन की उन कठिनाइय...

Categories
Share

बारिश की बूंदें और वो - भाग 6

तकरार

एक दिन, आदित्य ने स्नेहा से गंभीरता से कहा, "क्या हम इसे खत्म कर दें? यह सब कुछ सही नहीं है।"

स्नेहा की आँखों में आंसू आ गए। "लेकिन मैं आपको चाहती हूँ," उसने कहा, उसकी आवाज़ हलकी थी। "क्या हमें अपने दिल की सुननी चाहिए? क्या यह इतना आसान है कि हम एक-दूसरे को छोड़ दें?"

आदित्य ने उसे देखा, और उसके मन में द्वंद्व उभरने लगा। वह स्नेहा को खोना नहीं चाहता था, लेकिन उसे अपनी ज़िम्मेदारियों का भी ख्याल था। "मैं समझता हूँ, लेकिन यह सब कुछ इतना जटिल है। मेरा परिवार है, मेरी पत्नी है। क्या मैं उन सभी को ऐसे छोड़ सकता हूँ?"

स्नेहा ने उसकी बात सुनकर एक गहरी साँस ली। "आदित्य, मैं जानती हूँ कि यह मुश्किल है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आप अपनी खुशी को कैसे हासिल कर सकते हैं? क्या आप हर दिन अपने दिल को दुखी करना चाहते हैं?"

आदित्य ने सिर झुकाया। "मुझे नहीं पता। कभी-कभी मैं सोचता हूँ कि अगर मैं स्नेहा के साथ रहूँ तो क्या मेरी ज़िंदगी बेहतर होगी। लेकिन फिर प्रिया का चेहरा मेरे सामने आ जाता है। वह मेरे लिए हमेशा से वहाँ रही है।"

स्नेहा ने उसकी ओर एक करुणा भरी नज़र से देखा। "मैं आपको नहीं रोकना चाहती, लेकिन क्या आप सच में खुश हैं? क्या आपकी शादी आपको वह खुशी देती है, जिसकी आपको तलाश है?"

"यह सच है कि मैं खुश नहीं हूँ," आदित्य ने कहा, उसकी आवाज़ में हिचकिचाहट थी। "लेकिन मैं जानता हूँ कि प्रिया मेरी ज़िंदगी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। मैं उसे चोट नहीं पहुँचा सकता।"

"लेकिन क्या आप खुद को भी चोट पहुँचा रहे हैं?" स्नेहा ने पूछा, "आपकी खुशियाँ महत्वपूर्ण हैं। क्या आप सच में यह नहीं समझते?"

आदित्य ने चुप्पी साध ली, उसकी आँखों में संघर्ष था। "मैं नहीं जानता। मैं अपनी ज़िंदगी में एक नया मोड़ नहीं लेना चाहता।"

स्नेहा ने उसे देखा और एक गहरी साँस ली। "कभी-कभी हमें अपने दिल की सुननी पड़ती है। अगर आप सच्चे प्यार को छोड़ देंगे, तो क्या आप वास्तव में खुश रहेंगे? क्या आपकी शादी केवल एक जिम्मेदारी बनकर रह गई है?"

आदित्य ने अपनी आँखें बंद कर लीं। "आप सच कह रही हैं, लेकिन क्या मैं यह कदम उठा सकता हूँ? क्या मैं एक नया जीवन शुरू कर सकता हूँ?"

"आपको खुद पर विश्वास करना होगा," स्नेहा ने कहा। "आपके दिल में जो है, उसे समझें। प्यार का मतलब केवल एक-दूसरे के साथ होना नहीं है, बल्कि एक-दूसरे की खुशी की कद्र करना भी है।"

आदित्य के दिल में एक हलचल थी। "लेकिन मुझे डर है, स्नेहा। मैं डरता हूँ कि क्या होगा अगर मैं यह कदम उठाऊँ।"

"डरना स्वाभाविक है," स्नेहा ने कहा। "लेकिन कभी-कभी, हमें अपने डर का सामना करना पड़ता है। अगर आप हमेशा अपने डर में जीते रहेंगे, तो आप कभी भी खुशी नहीं पा सकेंगे।"

तकरार के इस पल ने आदित्य के मन में एक नया संघर्ष पैदा कर दिया। वह स्नेहा के साथ रहना चाहता था, लेकिन अपने परिवार को छोड़ने का विचार उसे परेशान कर रहा था। क्या वह सच में अपने दिल की सुनकर एक नया रास्ता चुन सकता था? या फिर उसे अपनी जिम्मेदारियों को निभाते हुए अपनी भावनाओं को दबाना होगा? यह सवाल उसे सोने नहीं दे रहा था।

Top of Form
Bottom of Form