Take me from the city to the village in Hindi Short Stories by Piyush Goel books and stories PDF | मुझे ले चलो - शहर से गाँव की ओर

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मुझे ले चलो - शहर से गाँव की ओर

एक गाँव में १२ वी कक्षा के सरकारी स्कूल में एक बहुत ही कर्मठ ईमानदार प्रधानाचार्य  अपने परिवार के साथ रहते थे,जिनके एक बेटा और एक बेटी थी जो बहुत ही होशियार थे.समय बीतता रहा,बिटिया का चुनाव सिविल सर्विस में हो गया और बेटे की भी नौकरी एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में कंप्यूटर अभियंता की लग गई.प्रधानाचार्य ने अपनी बेटी की शादी बड़े ही धूम धाम से की,बेटा भी नौकरी के लिए शहर चला गया,अब गाँव में सिर्फ़ प्रधानाचार्य व उनकी पत्नी रह गये.प्रधानाचार्य जी की ज़िद थी कि मैं दामाद व बहु गाँव से ही लूँगा और उन्होंने ऐसा ही किया,स्वाभाविक हैं दोनों पढ़े लिखे ही लिए होंगे.एक दिन अचानक प्रधानाचार्य जी की पत्नी का स्वर्गवास हो गया,पूरे गाँव में जैसे मातम सा छा गया,सब कुछ सामान्य होने में समय लगा,बेटा,बहु,दामाद व बेटी बड़े ही भावुक मन से पिता जी से बोले, पिता जी अब आप अकेले कैसे रहोगे,आप कुछ समय भाई के पास रहना और कुछ समय मेरे पास…. सभी फूट फूट कर रो रहे थे.पिता जी ने अपने बच्चों की बात मान ली, हाँ बेटा जैसा तुम लोग कहो.बड़े ही कच्चे मन से बेटे के साथ चल दिये उस शहर की और जिस शहर में बेटा नौकरी करता था.बहु और बेटा दोनों बहुत ख़्याल रखते थे,एक दिन अचानक प्रधानाचार्य जी की तबियत ख़राब हो गईं,अस्पताल में भर्ती कराया गया,कई दिनों बाद होश आया और अपने लायक़ बेटे और बहु को बुलाया बेटा शहर में तो मैं जल्दी मर जाऊँगा,तुम लोग ८वी मंज़िल पर रहते हो, लिफ्ट से आना जाना( मैं तो चलाना भी नहीं जानता),और तुम दोनों नौकरी पर चले जाते हो,पूरे दिन अकेला ही रहता हूँ.बेटा अगर तुम मुझे और जिंदा देखना चाहता हो तो तुम मुझे ले चलो “शहर से गाँव की ओर”.                                             लेखक परिचय:श्री पीयूष कुमार गोयल, मध्यम परिवार में जन्मे, यांत्रिक अभियंता, ५७ वर्षीय, २७ साल के अनुभव, आपने नौकरी के साथ-साथ वो काम किया हैं, वो शायद आपने पहले कभी सुना हो, गोयल ने ईश्वर के आशीर्वाद से १७ पुस्तकें हाथ से लिख अपने देश हिंदुस्तान का नाम विश्व में ऊँचा किया हैं,क्या आपने पहले कभी सुना था, कोई व्यक्ति सुई से, कार्बन पेपर से,मेहंदी कोन से,फ्लूइड पेन से,फैब्रिक कोन लाइनर से,और आयरन नेल से पुस्तकें लिख सकता हैं, जी हाँ आपने सही सुना, और पीयूष की तीन पुस्तकें वृंदावन में “वृंदावन शोध संस्थान” में रखी गई हैं, सुई से लिखी पुस्तक ने वर्ल्ड रिकॉर्ड(World Record Association)बनाया हैं उनके नाम दो लिम्का बुक ऑफ़ रिकॉर्ड्स भी हैं,पीयूष की १० पुस्तकें भी प्रकाशित हो चुकी हैं, पीयूष के इस काम को कई संस्थानों द्वारा सम्मानित भी किया हैं,क्षेत्रीय स्तर पर क्रिकेट अम्पायरिंग करने वाले पीयूष गोयल गणित पर भी काम कर चुके हैं उनके तीन पेपर रिसर्च जर्नल में प्रकाशित हो चुके हैं, आज कल पीयूष २ पत्रिकाओं के लिए लघु कथा लिख रहे हैं,आज कल पीयूष मोटिवेशनल स्पीकर का काम कर रहे हैं जो बिलकुल निःशुल्क हैं  क़रीब ३००० छात्र छात्राओं को अपने मोटिवेशन से मोटीवेट कर चुके हैं और कर रहें हैं.पीयूष आजकल १८वी पुस्तक रंगीन पेन्सिल से दर्पण छवि में हाथ से लिख रहें हैं वो उनके सबसे मनपसंद लेखक “रामधारी सिंह दिनकर” जी की “रश्मिरथी” को लिख रहें हैं.अंत में उनका लिखा हुआ एक प्रसिद्ध कथन”मैं एक दीया हूँ मेरा काम हैं चमकना,हो सकता हैं मेरी रोशनी कम हो पर दिखाई बहुत दूर से दूँगा”.