Anamika - 3 in Hindi Love Stories by R B Chavda books and stories PDF | अनामिका - 3

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अनामिका - 3


सूरज की ज़िंदगी में हर तरफ एक ही नाम गूंज रहा था—अनामिका। उसकी कविताओं ने न सिर्फ सूरज के दिल को छुआ था, बल्कि उसकी सोच और ज़िंदगी का हिस्सा बन चुकी थीं। सूरज के लिए अनामिका सिर्फ एक लेखिका नहीं, बल्कि एक ऐसा अहसास थी जिसने उसकी खाली और बेजान दुनिया में रोशनी भर दी थी।

हर सुबह सूरज अनामिका की कविताएं पढ़कर शुरुआत करता और रात को उन्हीं शब्दों में खोकर सो जाता। ऐसा लगता था कि उसकी कविताओं ने सूरज के भीतर एक नया जीवन भर दिया है।

"तेरे लफ्ज़ों में जो बात है, वो किसी सितारे में नहीं,
तेरी मौजूदगी के ख्वाब ने, मेरी हर रात सवारी है।"

जहां पहले सूरज ऑफिस में एक शांत और अकेला व्यक्ति माना जाता था, अब उसकी ऊर्जा और खुशमिजाजी हर किसी को महसूस होने लगी थी। वह अब हर किसी के साथ मुस्कान और स्नेह के साथ पेश आता। कर्मचारी भी उसकी इस नई आदत से प्रभावित थे।

दिवाली का त्यौहार नज़दीक था। सूरज ने इस बार अपने कर्मचारियों के लिए कुछ अलग करने की सोची। उसने न सिर्फ सभी को दिवाली बोनस और मिठाई दी, बल्कि हर किसी को अनामिका की नई किताब उपहार में दी।

जब उसने यह किताब सबको दी, तो उसकी आंखों में एक अलग सी चमक थी। उसने कहा,
"यह किताब मेरे लिए सिर्फ शब्दों का संग्रह नहीं है, बल्कि एक ऐसी भावना है, जिसने मुझे मेरी ज़िंदगी के मायने सिखाए हैं।"

कर्मचारी भी उसकी इस बात को समझ गए थे। यह साफ हो गया था कि सूरज के दिल में अनामिका के लिए खास जगह थी।

सूरज अब तक यह नहीं जान पाया था कि अनामिका कौन है। वह कभी-कभी सोचता,
"क्या वह सचमुच कोई लड़की है? क्या वह किसी शहर में रहती है, या यह सिर्फ एक नाम है?"

लेकिन सूरज का दिल कहता था कि अनामिका कोई कल्पना नहीं, बल्कि हकीकत है। उसके शब्द इतने जीवंत थे कि उनमें किसी सच्ची आत्मा का वास होना तय था।

"हर लफ्ज़ तेरा मुझे ज़िंदा रखता है,
तू जो मिले तो शायद मेरी सांसें मुकम्मल हों।"

एक सुबह सूरज हमेशा की तरह अपने बिस्तर पर बैठा अखबार पढ़ रहा था। उसकी नजर एक छोटे-से विज्ञापन पर पड़ी। उसमें लिखा था:
"प्रसिद्ध लेखिका अनामिका को इस वर्ष साहित्य सम्मान से नवाजा जाएगा।"

यह खबर पढ़ते ही सूरज की आंखें चमक उठीं। उसका दिल तेजी से धड़कने लगा। उसने मन ही मन कहा,
"यही वह मौका है। मुझे अपनी अनामिका से मिलना ही होगा।"

सूरज उस कार्यक्रम में जाने के लिए तैयार हो गया। वह वहां समय से पहले ही पहुंच गया और हॉल के अंदर हर चेहरे को ध्यान से देखने लगा। उसकी नजरें अनामिका को खोज रही थीं।

कार्यक्रम शुरू हुआ। स्टेज पर कई वक्ताओं ने अपनी बात रखी। सूरज का ध्यान सिर्फ एक बात पर था—अनामिका कब आएगी?
आखिरकार, अनाउंसर ने अनामिका का नाम पुकारा। सूरज की धड़कनें रुकने लगीं। उसने सोचा,
"क्या वह वैसी ही है, जैसी मैंने उसे अपनी कल्पनाओं में देखा है?"

जब अनामिका स्टेज पर आई, तो सूरज उसकी झलक पाने के लिए अपनी कुर्सी से उठा। लेकिन तभी तारा की एक आवाज ने उसके सपने को तोड़ दिया।
"भाई, उठो! तुम्हें ऑफिस के लिए देर हो जाएगी।"

सूरज चौंककर जाग गया। वह अपने बिस्तर पर था। उसने इधर-उधर देखा। वह समारोह, वह भीड़, वह अनामिका—सब एक सपना था।

उसका दिल टूट गया। उसने खुद से कहा,
"क्या मेरी अनामिका सिर्फ एक सपना बनकर रह जाएगी? क्या मैं उसे कभी हकीकत में देख पाऊंगा?"

लेकिन सूरज ने हार नहीं मानी। उसने खुद से वादा किया कि वह अनामिका को खोजेगा, चाहे इसमें कितना भी समय लगे।

उस दिन सूरज ने अनामिका की कविताओं को एक नए नजरिए से पढ़ना शुरू किया। उसने हर पंक्ति में सुराग तलाशना शुरू कर दिया। वह हर शब्द, हर भावना में उसे खोजने लगा।

"जिसे मैं हर लफ्ज़ में ढूंढता हूं,
क्या वो मेरी दुनिया में कहीं है?"

सूरज की तलाश जारी है। क्या वह अनामिका को ढूंढ पाएगा? क्या उसकी यह प्रेम कहानी हकीकत बन सकेगी? या अनामिका उसकी ज़िंदगी का एक अधूरा सपना बनकर रह जाएगी?

इस सफर में एक नया मोड़ आने वाला है। जानने के लिए जुड़े रहिए, क्योंकि कहानी अब और गहराई तक जाएगी।

"ख्वाब टूटे तो हकीकत बन जाते हैं,
सच्चे दिल से चाहो तो रास्ते मिल जाते हैं।"

(जारी...)