Ishq da Mara - 59 in Hindi Love Stories by shama parveen books and stories PDF | इश्क दा मारा - 59

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इश्क दा मारा - 59

यूवी के पापा के पास कुछ लोग आते हैं और उन्हें बोलते हैं कि, "ऐसा कैसे चलेगा मालिक, छोटे मालिक तो बिल्कुल भी शराब नहीं पीते हैं और सब उनका कितना मजाक उड़ाते हैं कि कालू सिंह का बेटा हो कर ये शराब नहीं पीता"।

तब यूवी के पापा बोलते हैं, "हा तो पिलाओ उसे शराब, किसने मना किया है "।

तब वो लोग बोलते हैं, "मगर वो पीते ही नहीं हैं, बस बोलते हैं कि मां ने अपनी कसम दे रखी है "। 

ये सुनते ही यूवी के पापा को गुस्सा आ जाता है और वो बोलते हैं, "आज मैं इन दोनों मां बेटे के प्यार का किस्सा ही खत्म कर दूंगा, अब जाओ तुम यहां से "।

तब वो आदमी बोलते हैं, "अच्छा ठीक है मालिक "।

उसके बाद वो वहां से चले जाते हैं और बाहर जा कर एक आदमी को कॉल करते हैं और बोलते हैं, "मालिक हमने अपना काम कर दिया है"।

ये सुनते ही वो आदमी जोर जोर से हंसने लगता है और बोलता है, "अब देखता हूं कि उस युवान को मुझ से कौन बचाता है"।

ये बोल कर वो फोन रख देते हैं।

गीतिका खा रही होती है। तभी मीरा वहां पर आ जाती है और बोलती है, "अगर आपका मिलना हो गया हो तो हम चले अब घर "।

ये सुनते ही यूवी मीरा को देखने लगता है और बोलता है, "अभी तो आई है ये, और अब तुम ले जाने की बात कर रहे हो "।

तब मीरा बोलती है, "भाई दो घंटे हो चुके हैं, और अब अगर ज्यादा देर रहे तो पापा किसी को भेज देंगे घर से, क्योंकि सबको इन मैडम की बहुत फिक्र रहती है "।

तब यूवी बोलता है, "बोल दो सबको की अब इसकी फिक्र करने की किसी को कोई जरूरत नहीं है, मैं हूं अपनी गीती के लिए "।

तब मीरा यूवी की देखने लगती है और बोलती है, "भाई आप ये क्या बोल रहे हैं "।

तब यूवी बोलता है, "तुम बेहरी हो गई हो क्या, तुम्हे सुनाई नहीं देता है।

यूवी और मीरा बाते कर रहे होते हैं और सबसे बेखबर हो कर गीतिका आराम से खा रही होती है, उसे किसी की बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता है।

तब मीरा गीतिका की तरफ देख कर बोलती है, "भाई आप जिसकी इतनी फिक्र कर रहे हैं, वो तो आपकी तरफ ध्यान भी नहीं दे रही है, बस खाने में लगी हुई है"।

तब यूवी बोलता है, "कितनी भूखखड़ है ये, मीरा तुम लोग इसे कुछ खाने को नहीं देते हो क्या, ऐसे खा रही है जैसे कभी कुछ खाया ही ना हो "।

तब गीतिका यूवी की तरफ गुस्से में देखने लगती है और बोलती है, "आपको मेरे खाने से क्या प्रॉब्लम है, अब जब खाने की इतनी टेस्टी टेस्टी चीजें होंगी तो मन तो करेगा ही ना खाने का "।

तब मीरा बोलती है, "जल्दी खाओ, हमे घर जाना है "।

तब यूवी बोलता है, "मीरा तुम ये कैसी गुंडा गर्दी कर रही हो मेरे सामने, मैने अभी बात तक नहीं की है"।

तब मीरा बोलती है, "नंबर है तो आपके पास इसका, आराम से सारा दिन बात करते रहना "।

तब यूवी बोलता है, "नहीं मुझे उसे जी भर कर देखना है "।

तब मीरा बोलती है, "हा तो वीडियो कॉल पर देख लेना"।

उसके बाद यूवी मीरा को गुस्से से देखने लगता है और बोलता है, "तुम क्यों मुझे परेशान कर रही हों"।

तब मीरा बोलती है, "मैं आपको परेशान नहीं कर रही हूं, बस इसे ले कर जा रही हूं"।

तब गीतिका बोलती है, "मैं नहीं जा रही हूं अभी कही, मैं अभी यही पर ही रहूंगी यूवी के पास "।

ये सुनते ही यूवी मुस्कुराने लगता है और मीरा की तरफ देखने लगता है।

तब मीरा बोलती है, "गीतिका तुम ये कैसे बच्चों की तरह जिद कर रही हो, तुम जानती नहीं हो पापा और भाई को, देखो मान लो मेरी बात प्लीज, मैं तुम्हे बाद में खुद मिलवाने ले कर आऊंगी, पक्का प्रॉमिस"।

तभी यूवी का फोन बजता है और वो देखता है कि उसके पापा की कॉल आ रही होती है। तभी वो कॉल उठाता है। तब उसके पापा बोलते हैं, "कहा हो तुम ???

तब यूवी बोलता है, "बाहर हू "।

तब यूवी के पापा बोलते हैं, "जल्दी आओ घर"।

तब यूवी बोलता है, "मगर क्यों ????

तब यूवी के पापा बोलते हैं, "तुम्हारी मां मर गई है, उसे अर्थी देने के लिए आओ जल्दी से"।

ये सुनते ही यूवी के पैरों तले जमीन खिसक जाती है......