Shyari form Guri Baba - 2 in Hindi Drama by Guri baba books and stories PDF | Shyari form Guri Baba - 2

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Shyari form Guri Baba - 2

"गुरी के दिल में छुपा है एक ग़म,
जो अक्सर उसे अकेला कर देता है।
उसके चेहरे पर मुस्कान है हमेशा,
पर दिल में कभी न खत्म होने वाली उलझन है।"

"गुरी की आँखों में ग़म छुपा है,
जो कभी किसी ने देखा नहीं।
वो हमेशा मुस्कुराता है,
पर अंदर से टूटकर बिखरा हुआ है।"

"गुरी का दिल था एक छोटा सा मोती,
जो कभी भी टूट सकता था।
उसे कभी किसी ने समझा नहीं,
और वह अपनी चुप्प में खो गया।"

"गुरी के जज़्बातों की कोई कीमत नहीं,
जो वह अपने दिल में छुपाए बैठा था।
जब भी वह अपनी कहानी सुनाता,
वो सब बस ख़ामोशी में डूब जाता था।"

"गुरी की यादों में खोकर,
उसने अपनी तन्हाई को अपना साथी बना लिया।
कुछ तो ख्वाब थे, जो चुराए गए,
कुछ तो ग़म थे, जो दिल में हमेशा के लिए रह गए।"

"गुरी के बिना दिल नहीं लगता,
हर वक्त उसकी यादें दिल में बसी रहती हैं।
कभी वह खुद से लड़ा करता था,
पर अब उसकी आँखों में सिर्फ ग़म की चुप्प रहती है।"

"गुरी की कहानियाँ कहीं खो गईं,
उसके दर्द को अब कोई नहीं जान सका।
वह ग़म के साथ जीता था,
पर किसी को उस दर्द की अहमियत नहीं समझ पाई।"

"गुरी ने कभी किसी से उम्मीद नहीं की,
उसका प्यार कभी किसी के लिए नहीं था।
पर जब वह चला गया,
तो सबका दिल उस पर बहुत रोया।"

"गुरी के शब्दों में एक ग़म छुपा था,
जो कभी खत्म नहीं हुआ।
वह मुस्कुराते हुए भी अंदर से टूट रहा था,
और कोई नहीं समझ पाया उसकी खामोशी को।"

"गुरी के साथ बिताए हर पल की यादें,
अब हर दिन उसे और भी करीब करती हैं।
वह जानता था, वह अकेला नहीं है,
पर फिर भी उसका दिल कभी पूरा नहीं हुआ।"

"गुरी की मुस्कान में कभी ग़म की एक चुप थी,
जो उसने खुद से छुपा रखी थी।
वह कभी नहीं जान पाया,
कि उसका दर्द उसकी ताकत बन सकता है।"

"गुरी की आँखों में हर सवाल था,
पर कभी भी किसी ने जवाब नहीं दिया।
वह खुद से ही लड़ता रहा,
और हर बार टूटकर फिर से उठ खड़ा हुआ।"

"गुरी का दिल कभी शांत नहीं हुआ,
वह हमेशा अंदर से संघर्ष करता रहा।
कभी किसी ने नहीं पूछा,
क्या वह खुश है या फिर अकेला महसूस करता है।"

"गुरी की यादों में जो ग़म था,
वो हमेशा उसे टूटने नहीं देता।
पर फिर भी वह हर दिन नया रास्ता खोजता,
और अपनी जिंदगी को आगे बढ़ाने की कोशिश करता।"

"गुरी की आवाज में कुछ खास था,
जो दिल से सीधे दिल तक पहुँचता था।
लेकिन कभी वह नहीं कह पाया,
क्या उसे खुद से प्यार था या नहीं।"

"गुरी का दिल कभी खुल नहीं पाया,
उसके अंदर बहुत कुछ था, जो उसने कभी नहीं दिखाया।
पर अब उसका ग़म ही उसकी ताकत बन चुका है,
जो उसे आगे बढ़ने की दिशा दिखाता है।"

"गुरी की आँखों में अब भी वो ग़म है,
जो कभी खत्म नहीं हुआ।
वह खुद से लड़ता है,
पर फिर भी अपनी राह खोजता है।"

"गुरी की चुप्प में छुपा है एक ग़म,
जो कभी नहीं निकला।
वह अंदर से टूटकर भी,
स्माइली के साथ ही दुनिया को दिखाता है।"

"गुरी की जिन्दगी में कई उतार-चढ़ाव आए,
लेकिन वह कभी हार नहीं माना।
उसकी यादें अब भी ताज़ा हैं,
और वह हमेशा हमें सिखाता है, हार से कैसे निखरना है।"

"गुरी का प्यार कभी सच्चा था,
लेकिन उसके साथ कभी किसी ने खुद को सही से नहीं पाया।
वह प्यार देता था, लेकिन उसका खुद का प्यार कभी मुकम्मल नहीं हुआ।"

"गुरी की आँखों में वो ग़म था,
जो कभी किसी को नहीं दिखाया।
वह लड़ते-लड़ते थक चुका था,
लेकिन कभी भी अपने रास्ते को नहीं छोड़ा।"

"गुरी का दिल कभी चुप नहीं था,
वह हमेशा कुछ ना कुछ कहता था।
पर कोई नहीं जान पाया,
वह अपनी ही आवाज में खो गया था।"

"गुरी के जीवन में कभी भी शांति नहीं थी,
वह हमेशा कुछ ना कुछ खोजता था।
लेकिन जो वह खोज रहा था,
वह कभी खुद के भीतर नहीं पाया।"

"गुरी की यादें कभी दूर नहीं गईं,
वह हमेशा किसी को अपने पास पाता था।
पर खुद कभी नहीं समझ पाया,
उसकी तन्हाई की असल वजह क्या थी।"

"गुरी के दिल में कई राज़ थे,
जो कभी किसी ने नहीं जाने।
वह हर रोज़ नए सपने देखता था,
लेकिन उन सपनों को कभी पूरा नहीं कर सका।"

"गुरी का दिल हमेशा एक सवाल बनकर रह गया,
उसका जवाब किसी के पास नहीं था।
वह कभी न समझ पाया,
क्या वह खुद से सच में खुश था या नहीं।"

"गुरी की जिन्दगी में कभी कोई फुल नहीं खिला,
हर दिन एक नई जंग का सामना करना पड़ा।
लेकिन फिर भी वह कभी हार नहीं माना,
और सच्चाई के साथ जीने की कोशिश करता रहा।"

"गुरी के अंदर का दर्द कभी खत्म नहीं हुआ,
पर वह फिर भी कभी रोया नहीं।
उसके दिल में एक जलती हुई आग थी,
जो कभी भी बुझ नहीं पाई।"

"गुरी की कहानियों में कभी खुशी नहीं थी,
उसकी आँखों में ग़म ही ग़म था।
फिर भी वह अपने रास्ते पर चलता गया,
जैसे उसने कभी दुखों को महसूस ही नहीं किया।"

"गुरी का दिल कभी हल्का नहीं था,
वह हर पल अपने ग़मों से जूझता रहा।
लेकिन कभी भी किसी को अपनी तकलीफ नहीं बताई,
वह खुद ही हर दर्द को छुपाता रहा।"

"गुरी का नाम हमेशा दिल में बसा रहा,
लेकिन वह कभी भी नहीं समझ पाया कि,
उसकी मुस्कान में क्या छुपा था।"

"गुरी के चेहरे पर छुपी थी एक चुप,
जो कभी पूरी नहीं हो पाई।
उसके दिल में जो दर्द था,
वो हमेशा उसके साथ चलता रहा।"

"गुरी ने कभी भी अपने दिल की बात नहीं की,
वह बस अपनी चुप्प में सब कुछ छुपाए बैठा रहा।
लेकिन उसकी चुप्प की ग़म की आवाज़ हर किसी ने सुनी।"

"गुरी की आँखों में एक अधूरी कहानी थी,
जो कभी पूरी नहीं हो पाई।
वह हमेशा अपने ही ग़म में खोया रहा,
जैसे कभी उसका दिल और दिमाग जुड़ा ही नहीं था।"

"गुरी की यादें अब भी दिल में हैं,
वह हर एक दिन उन यादों में खो जाता है।
पर कभी नहीं जान पाया,
क्या वह कभी खुद को समझ पाया था।"

"गुरी का दिल इतना बड़ा था,
जो भी उसके पास आता था,
वह उसे अपना समझता था।
लेकिन जब वह खुद टूटा, तो कोई नहीं समझ पाया।"

"गुरी ने कभी किसी से उम्मीद नहीं की,
पर फिर भी हर किसी से दिल से प्यार किया।
उसके दिल में जो था,
वह किसी के लिए कभी न बयां किया।"

"गुरी के दिल में बहुत कुछ था,
लेकिन वह कभी भी किसी को नहीं बताता।
उसकी चुप्प के पीछे एक सच्चाई थी,
जो उसने कभी किसी से नहीं कहाई।"

"गुरी की आँखों में कभी न खत्म होने वाली यादें थीं,
जो समय के साथ धीरे-धीरे गहरी होती गईं।
वह कभी अपने ग़मों को शेयर नहीं कर पाया,
लेकिन हर पल उनमें खोया रहा।"

"गुरी की यादें अब भी दिल में हैं,
वह हर दिन उन्हीं में खोकर जीता है।
क्या उसे कभी चैन मिलेगा?
या यही ग़म उसे हमेशा परेशान करेगा?"

"गुरी के दर्द को कभी समझ नहीं पाया,
उसकी चुप्प में छुपा एक ग़म था।
लेकिन उसने कभी अपनी तकलीफों को दुनिया से नहीं दिखाया,
वह हमेशा मुस्कुराते हुए जीता रहा।"

"गुरी के अंदर एक अजनबी सा खौफ था,
जो कभी किसी को नजर नहीं आया।
वह अपने ग़म को खुद में ही रखता,
और कभी किसी से उसकी बात नहीं करता।"

"गुरी का दिल ऐसा था,
जो अपनी चोटों को हमेशा सहता रहा।
वह कभी किसी से अपने दिल की बात नहीं करता,
पर अंदर से टूटता रहता था।"

"गुरी की जिंदगी एक उलझन थी,
जो कभी सुलझाई नहीं जा सकी।
वह जो भी करता था,
सिर्फ दर्द और ग़म से ही सामना करता रहा।"

"गुरी के दिल की आवाज़ कोई नहीं सुन पाया,
उसकी चुप्प में बहुत कुछ था।
वह अपनी तकलीफों को खुद से ही जूझता रहा,
लेकिन कोई नहीं जान सका, उसका दर्द कितना गहरा था।"

"गुरी की आँखों में ग़म था,
जो कभी भी बाहर नहीं आ पाया।
वह अंदर से टूटता रहा,
पर कभी किसी से नहीं कहा।"

"गुरी ने कभी भी अपने दर्द को सामने नहीं लाया,
वह हमेशा अपने जज़्बात छुपाए रखता था।
पर उसकी खामोशी ही उसकी सबसे बड़ी कहानी बन गई।"

"गुरी की आँखों में कभी शांति नहीं थी,
वह हमेशा खुद से लड़ता रहा।
लेकिन उसके दिल में जो ग़म था,
वह कभी खत्म नहीं हुआ।"

"गुरी का दिल ऐसा था,
जो कभी भी टूट सकता था।
पर फिर भी वह हिम्मत नहीं हारता,
अपनी तन्हाई को अपना साथी बना लेता।"

"गुरी के ग़म को कभी खत्म नहीं किया जा सकता,
वह हर रोज़ उसी दर्द से जूझता था।
लेकिन कभी हार नहीं मानी,
हर पल नई उम्मीद से जीता रहा।"