TOOTE HUE DILON KA ASHPATAAL - 19 in Hindi Love Stories by Mehul Pasaya books and stories PDF | टूटे हुए दिलों का अश्पताल - 19

Featured Books
  • فطرت

    خزاں   خزاں میں مرجھائے ہوئے پھولوں کے کھلنے کی توقع نہ...

  • زندگی ایک کھلونا ہے

    زندگی ایک کھلونا ہے ایک لمحے میں ہنس کر روؤں گا نیکی کی راہ...

  • سدا بہار جشن

    میرے اپنے لوگ میرے وجود کی نشانی مانگتے ہیں۔ مجھ سے میری پرا...

  • دکھوں کی سرگوشیاں

        دکھوں کی سرگوشیاںتحریر  شے امین فون کے الارم کی کرخت اور...

  • نیا راگ

    والدین کا سایہ ہمیشہ بچوں کے ساتھ رہتا ہے۔ اس کی برکت سے زند...

Categories
Share

टूटे हुए दिलों का अश्पताल - 19

टूटे हुए दिलों का अस्पताल – एपिसोड 19


अस्पताल में नया तूफान


रात के साढ़े ग्यारह बज चुके थे। अस्पताल के गलियारे में हल्की हलचल थी, लेकिन इमरजेंसी वार्ड के बाहर माहौल अलग ही था। वहाँ तनाव पसरा हुआ था। डॉक्टर आदित्य तेजी से ऑपरेशन थिएटर की ओर बढ़ रहा था। स्टाफ नर्स रीमा ने घबराए हुए स्वर में कहा, "सर, मामला काफी गंभीर है... मरीज को जल्द ही ऑपरेशन की जरूरत है।"


आदित्य ने गहरी सांस ली और वार्ड के अंदर दाखिल हुआ। लेकिन जैसे ही उसने स्ट्रेचर पर पड़े मरीज का चेहरा देखा, उसके कदम ठिठक गए। चेहरा जाना-पहचाना था। वो कोई और नहीं, भावेश था—आदित्य का पुराना दोस्त, जो अब उसका सबसे बड़ा दुश्मन बन चुका था।


पुरानी दुश्मनी, नई परीक्षा


आदित्य के दिमाग में पुरानी यादें उमड़ने लगीं। कॉलेज के दिनों में भावेश और वह बेस्ट फ्रेंड हुआ करते थे, लेकिन एक दिन सब बदल गया। भावेश ने विश्वासघात किया था, आदित्य को धोखा दिया था, और उसकी ज़िंदगी को बर्बाद करने की कसम खाई थी। और अब, वही इंसान उसके सामने ज़िंदगी और मौत के बीच झूल रहा था।


"डॉक्टर, हमें जल्द ही ऑपरेशन करना होगा," जूनियर डॉक्टर साहिल ने कहा।


आदित्य को समझ नहीं आ रहा था कि क्या करे। क्या वो भावेश को बचाने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दे, या फिर अतीत के दर्द को याद रखकर उसे उसकी हालत पर छोड़ दे?


भावेश की हालत बिगड़ती है


भावेश को गोली लगी थी। ऑपरेशन मुश्किल था, लेकिन असंभव नहीं। आदित्य को अपनी काबिलियत पर पूरा भरोसा था, लेकिन उसका मन झिझक रहा था।


"अगर मैंने इसे बचा लिया, तो क्या ये फिर से मेरे खिलाफ साजिश करेगा?"


लेकिन डॉक्टर का फर्ज हर भावना से बड़ा होता है। उसने अपने गुस्से को दबाया और ऑपरेशन के लिए तैयार हो गया।


ऑपरेशन थिएटर में संघर्ष


ऑपरेशन शुरू हुआ। भावेश की हालत बहुत नाजुक थी। ब्लीडिंग ज्यादा हो चुकी थी, और पल-पल उसकी धड़कनें कमजोर हो रही थीं। आदित्य पूरी कोशिश कर रहा था, लेकिन यह मामला आसान नहीं था।


"ब्लड प्रेशर गिर रहा है!" नर्स ने घबराते हुए कहा।


आदित्य ने अपनी पूरी ताकत लगा दी। वो जानता था कि एक भी गलती, एक भी सेकंड की देरी जानलेवा हो सकती है। उसने अपना ध्यान सिर्फ ऑपरेशन पर लगाया और लगभग दो घंटे की कड़ी मेहनत के बाद, आखिरकार...


"वो अब स्थिर है," आदित्य ने गहरी सांस लेते हुए कहा। ऑपरेशन सफल रहा था।


भावेश को होश आता है


सुबह के चार बज चुके थे। ऑपरेशन के बाद, भावेश को आईसीयू में शिफ्ट कर दिया गया। आदित्य थककर कुर्सी पर बैठ गया, लेकिन उसकी आँखों में नींद नहीं थी।


तभी नर्स ने आकर बताया, "सर, भावेश को होश आ गया है। वो आपसे मिलना चाहता है।"


आदित्य धीरे-धीरे आईसीयू की ओर बढ़ा। भावेश के चेहरे पर कमजोरी थी, लेकिन उसकी आँखों में वही पुरानी चालाकी झलक रही थी।


"तुमने... मेरी जान बचा ली?" भावेश ने हल्की आवाज़ में पूछा।


"मैं डॉक्टर हूँ," आदित्य ने ठंडे स्वर में कहा। "मेरा काम ज़िंदगी बचाना है, दुश्मनी निभाना नहीं।"


भावेश हल्का-सा मुस्कुराया। "लेकिन आदित्य, यह कहानी यहीं खत्म नहीं होती... तुमने मुझे बचाकर शायद अपनी सबसे बड़ी गलती कर दी है।"


आदित्य ने उसे गहरी नजरों से देखा। वह जानता था कि भावेश की वापसी सिर्फ एक संयोग नहीं थी। यह कोई नई साजिश थी, कोई नया तूफान, जो उसके अस्पताल और ज़िंदगी को

हिला कर रख सकता था।


(अगले एपिसोड में जारी...)