BTH (Behind The Hill) - 15 in Hindi Thriller by Aisha Diwan books and stories PDF | BTH (Behind The Hill) - 15

Featured Books
  • فطرت

    خزاں   خزاں میں مرجھائے ہوئے پھولوں کے کھلنے کی توقع نہ...

  • زندگی ایک کھلونا ہے

    زندگی ایک کھلونا ہے ایک لمحے میں ہنس کر روؤں گا نیکی کی راہ...

  • سدا بہار جشن

    میرے اپنے لوگ میرے وجود کی نشانی مانگتے ہیں۔ مجھ سے میری پرا...

  • دکھوں کی سرگوشیاں

        دکھوں کی سرگوشیاںتحریر  شے امین فون کے الارم کی کرخت اور...

  • نیا راگ

    والدین کا سایہ ہمیشہ بچوں کے ساتھ رہتا ہے۔ اس کی برکت سے زند...

Categories
Share

BTH (Behind The Hill) - 15

दिन ढलने लगा था। घर में एक सन्नाटा पसरा हुआ पर दो धड़कते दिल आमने सामने बैठे थे। एक का दिल सिसक रहा था तो दूसरा अपने जज़्बातों में उलझा जा रहा था। शिजिन ने गहरी सांस ले कर कहा :" तुम एक मज़बूत लड़की हो! तुम पर तरस नहीं खाया जा सकता, तुम से मुतासिर हुआ जा सकता है और मैं तुम से इंप्रेस हूं इस लिए तुम यहां हो!"

बेला ने एक लंबी सांस लेकर अपने अंदर की सारी हिम्मत जुटाई और कहने लगी :" तुम बखूबी जानते होंगे जब मग़रिबी मुल्क ने हम पर हमला कर दिया था और एक लंबी जंग छिड़ी हुई थी। उस जंग में मै हमारा घर बचा हुआ था क्यों के हमारा घर सरहद के बहुत क़रीब था। वहां पर बम बारी करने पर उनको भी नुकसान हो सकता था। जंग खत्म हुई और सीज़फायर हो गया। देश में तबाही मची थी पर हम शुक्र गुज़ार थे कि हमें कुछ नहीं हुआ पर हमारी खुशी पर उन ग्यारह दरिंदो की नज़र पड़ गई जिनका एक अलग संगठन बना हुआ था। उन लोगों ने अपना एक काले धन का ग्रुप बनाया था। हमारे देश से लूटे गए दौलत को उन्होंने छुपाने के लिए पाइन फॉरेस्ट में वह किला बनवाया था। मैं सोलह साल की मासूम लड़की थी। तब मेरा नाम बेला नहीं बल्कि लाला ए गुल था। मेरे मां बाबा, बड़े भाई भाभी और उनका छोटा सा दो साल का बेटा यानी मेरा भतीजा और एक बड़ी बहन थी साथ में दादा दादी थे। हम खुशहाल परिवार थे। मैं बचपन से ही कार्टून देखने और बनाने की शौकीन थी इस लिए मैं अलग से क्लास करती थी वेबटून आर्टिस्ट बनने के लिए, उस दिन जब हमारे घर में हमला हुआ तब मैं शाम को क्लास करने ही गई थी और जब वापस आई तो मेरे सामने जहन्नुम से भी बुरा मंज़र था। उन लोगों ने पहले मेरी बहन को देखा था। मेरी खूबसूरत बहन के लालच में उन्होंने पहले घर में घुस कर सभी लोगों को गोली मारी फिर बारी बारी से मेरी बहन की अस्मत लूटी गई। ( यह कहते ही बेला के होंठ कांपने लगे और आंसू निकल पड़े, शिजिन ने उसे पानी दिया उसने एक घूंट पिया फिर कहने लगी) मेरी बहन के साथ दरिंदगी की हदें पार कर दी, वह चीखते चीखते मर चुकी थी फिर भी उनके जिस्म को गोली से भुना गया। इस से भी उनका दिल नहीं भरा तो घर से निकल कर पहाड़ पर चढ़ गए और वहां से हमारे घर पर बम गिरा दिया। मैने देखा मेरा घर मिट्टी में मिल चुका है साथ ही सभी लोग मलबे के नीचे दफन हो गए हैं। पहले तो मैने मेरे नन्हें भतीजे का हाथ मलबे में दबा हुआ देखा। मैं उसका हाथ पकड़ कर बेहोश हो गई थी। रात का समय था मुझे होश आता और फिर दहशत न सहते हुए मैं बेहोश हो जाती थी। भतीजा का हाथ पकड़ कर वोही बिखरे ईंटों और सीमेंट पर पड़ी रही। मुझे जब होश आया तो हमारे आर्मी आ कर लाशों को निकालने लगे थे। जब सब को निकाला गया तो मैं बस एक नज़र अपने मां, बाप भाई, भाभी, बहन दादा, दादी और भतीजे के जिस्मों को देख पाई थी के फिर से बेहोश हो गई। मेरे भतीजे का सर पूरी तरह चूर हो गया था। मेरी बहन के जिस्म में कोई कपड़ा नहीं था। उन्हें निकालते ही कफ़न से लपेट दिया गया था। मुझ में हिम्मत नहीं थी के उनके खून से लथपथ और जिस्मों के हिस्सों को कुचला हुआ देख सकूं, पता नहीं ये सब देखने के बाद भी मैं ज़िंदा कैसे बच गई। जहन्नुम देखना मेरे लिए आसान होता पर अपनों को इस तरह कीड़े मकोड़ों के तरह कुचला हुआ देखना हज़ार मौतों से भी बुरा था। जो मेडिकल स्टाफ आए हुए थे उसमें से एक महिला डॉक्टर ने रिपोर्ट बनाने वाले से मेरी बहन के बारे में बात की और मैं में सुन लिया। अब मैं ने सोच लिया था के अगर मैं ज़िंदा बच गई हूं तो मेरे ज़िंदा होने का कुछ तो सबब है। मुझे में मौत का एक ज़र्रा बारबरा भी खौफ न रहा। मेरे दिल में आग भड़क उठी और मैं चुपके से वहां से निकल गई। पहाड़ पर चढ़ने लगी। कोई सुध बुध नहीं थी बस यही था के कैसे भी कर के उनको मारना है। पहले ही कमज़ोर हो गई थी और पहाड़ चढ़ते हुए मेरी सांसे अटकने लगी। एक जगह बेहाल पड़ी थी के पता नहीं कहां से मेरे पास मोगरा आया। उसने मेरा कपड़ा खींचा और मैं लड़खड़ाते हुए उसके पीछे चली। वह मुझे पानी के झरने के पास ले जा रहा था। हम दोनों ने वहां पानी पिया और आगे चलने लगे। मोगरा मेरे साथ ही जाने लगा। मैं ने उसे कई बार चले जाने को कहा लेकिन वह मेरे साथ ही रहा। मुझे बेरों के पेड़ के पास ले गया ताकि मैं कुछ खा लूं! मैने वह बेर खाए पर मोगरा को मैने देखा के वह मोगरे का फुल खा रहा है। शायद वह फूल उसे गोश्त जैसा लगा होगा। मैने जब उसे मोगरे का फुल खाते देखा तो उसे मोगरा कह कर पुकारने लगी। उसने भी अपना नाम जल्दी ही पहचान लिया। पहाड़ के ऊपर से ही मैने वह किला देख लिया था। मैं समझ गई के यहां उन में से कोई न कोई तो रहता ही होगा पर मेरी किस्मत अच्छी थी के वहां वे ग्यारह के ग्यारह लोग मौजूद थे और अय्याशी में मस्त थे। जब मैं छुपते छुपाते किले के करीब पहुंची तो खिड़की से झांक कर देखा के अंदर शराब कबाब का माहौल गर्म है। 

To be continued......