Mera Rakshak - 7 in Hindi Fiction Stories by ekshayra books and stories PDF | मेरा रक्षक - भाग 7

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मेरा रक्षक - भाग 7

7. फ़िक्र 


"तो आप ही हैं रणविजय की नई मेहमान। क्या नाम है आपका।"




"जी मीरा, आप कौन?" मीरा की इतनी मासूम सी आवाज सुनकर रूद्र मन ही मन मीरा को अपना बनाने के ख़्वाब देखने लगा।



"मैं रणविजय का सबसे खास दोस्त, रूद्र..... रूद्र प्रताप सिंह " कहते हुए रूद्र ने मीरा की तरफ हाथ आगे बढ़ाया। मीरा ने भी रूद्र से हाथ मिला लिया। मीरा इस बात से बिल्कुल अंजान थी कि उसे और रूद्र को कोई बहुत गुस्से में देख रहा है।
रूद्र, रणविजय को इस तरह गुस्से में देखते हुए मन ही मन बहुत खुश हो रहा था। वो मीरा से अलविदा लेकर चला गया।



"चलिए मिलते है मीरा जी। बहुत जल्द ही मुलाक़ात होगी।" ये कहकर रूद्र चला गया।


मीरा पीछे मुड़ी और उसने रणविजय को खड़ा पाया।


"रणविजय, मैं घर जाना चाहती हूं। कल मेरे भाई का ऑपरेशन है मुझे जाना होगा। ये मैं नहीं ले सकती।"
 लिफाफा रणविजय को देते हुए मीरा बोली।



 "तुम कहीं नहीं जाओगी। तुम्हारे भाई का कल ऑपरेशन है, मैं कल तुम्हें हॉस्पिटल ले जाऊंगा। तब तक तुम कहीं नहीं जा सकती।" रणविजय ने गुस्से में मीरा से कहा। मीरा रणविजय की ऊंची आवाज से सहम गई और वहां से चली गई।


मीरा वापस कमरे में आ गई। थोड़ी देर में वहां Ms. Rosy भी आ गईं। उन्होंने मीरा का उदास चेहरा देखा तो उसके पास जाकर बैठ गईं।


"क्या हुआ मीरा, कोई बात तुम्हें उदास कर रही है? तुम चाहो तो मुझसे कह सकती हो, मुझे अपनी मां की तरह ही समझो।" Ms. Rosy की बात सुनकर मीरा को अपनी मां की याद आ गई।  


"Ms. Rosy मुझे यहां से जाना है। पर मुझे रणविजय ने जाने से मना कर दिया। वो ऐसे कैसे मुझे जाने से रोक सकते हैं।"


"मीरा, बाबा अगर मना कर रहे हैं तो कुछ वजह से कर रहे होंगे। वो बाहर से जैसे दिखते हैं वैसे अंदर से बिल्कुल नहीं हैं। वो ऐसे कभी थे ही नहीं, मेरे बाबा तो एक मासूम से बच्चे थे जिसे इस दुनिया ने इतना खूंखार होने पर मजबूर कर दिया है।"  ये कहकर  Ms. Rosy रोने लगीं। 


"आप रोए नहीं। ऐसा क्या हुआ जो रणविजय को ये माफिया का ग़लत रास्ता चुनना पड़ा।"


Ms. Rosy कुछ बोल पाती इससे पहले रणविजय ने कमरे का दरवाज़ा खटखटाया। मीरा ने उसे अंदर आने को कहा । रणविजय के आते ही Ms. Rosy ने अपने आंसू पोंछे और उठकर चली गईं।

"मीरा क्या हम 2 मिनट बात कर सकते हैं।"


मीरा गुस्से में थी रणविजय ने उसे घर जाने से जो मना किया था पर Ms. Rosy की बातें अभी भी उसके दिमाग में घूम रही थीं।


"हां, बोलिए।"


"मीरा आज मुझपर जो attack हुआ वो फिर से भी हो सकता है। मुझे खुद की चिंता नहीं है। (धीमी आवाज में)  मुझे तुम्हारी फ़िक्र है। उन लोगों ने तुम्हें मेरे साथ देख लिया था वो तुम्हे भी नुकसान पहुंचा सकते है। अगर तुम अभी अपने भाई के पास गईं तो शायद उसे भी कुछ कर दे वो लोग। मीरा तुम जानती हो मैं कौन हूं। मेरे हर तरफ दुश्मन हैं मैं नहीं चाहता मेरी वजह से तुम्हें या तुम्हारे लोगों को कुछ हो। मैंने हॉस्पिटल में तुम्हारे भाई की सुरक्षा बढ़ा दी है। उसे कोई ख़तरा नहीं है। कल ऑपरेशन होने से पहले मैं तुम्हे उसके पास ले जाऊंगा। और वो......sorry...... तुम पर गुस्सा किया उसके लिए।"


मीरा रणविजय को देखे जा रही थी ये इंसान कैसे माफिया हो सकता है। कैसे किसी को नुकसान पहुंच सकता है। वो रणविजय की बात समझ गई थी। वो शिव को कुछ नहीं होने देना चाहती। 


"ठीक है, मैं आज रात यहीं रुक जाती हूं।"


"थैंक यू, तुम इस घर को अपना ही घर समझो। आराम से रहो। तुम कहीं भी आ जा सकती हो बस लाइब्रेरी में नहीं जाना। वहां जाना मना है।"।  ये कहकर रणविजय वहां से चला गया।