वेटिंग रूम की खिड़की से उगते सूर्य की किरणें रमन के सामने रखी टेबिल पर पड़कर फर्श को छू रही थी।सर्दी का मौसम सुबह की गुनगनी धूप सुखद लग रही थी।वेटिंग रूम में वह अकेला था।
तभी वेटिंग रूम का दरवाजा खुला और एक औरत ने प्रवेश किया था।बेडौल शरीर और आंखों पर चश्मा और रमन को चेहरा कुछ जाना पहचाना लगा।कहाँ देखा है, और उसके दिमाग मे उथल पुथल मच गई और फिर अचानक उसके होठो पर नाम उभरा,"निशा।"
अपना नाम सुनकर वह औरत चोंक कर सामने बैठे आदमी को देखने लगी और फिर वह भी कुछ देर तक देखने के बाद बोली,"रमनआऔर तीस साल पहले का अतीत
रमन कैंटीन में बैठा था सामने मेज पर चाय का कप रखा था।वह बड़े ध्यान से किताब पढ़ रहा था।
"हाय-उसके कानों में मधुर नारी स्वर पड़ा।उसने नजरे उठाकर देखा।सामने पतले छरहरे शरीर की सुंदर युवती खड़ी थी
"मैने आपको डिस्टर्ब तो नही किया।"
"मेरी जैसी सुंदर लड़की को देखकर कौन कमख्त,"वह बोली,"सॉरी मै बकवास करने लगी।"
उसकी बात सुनकर रमन सिर्फ मुस्कराया
"मै निशा। एम सी ए कर रही हूँ।"
निशा का परिचय जानकर वह बोला,"मै रमन,एम बी ए
और इस तरह उनकी पहली मुलाकात हुई थी और पहली मुलाकात में ही दोनों में दोस्ती हो गयी थी।अक्सर वे कैंटीन में मिलते।एक दिन रमन बोला"क्या तुम दिल्ली से हो?""नहीं,"निशा बोली थी,"दिल्ली से होती तो होस्टल में क्यो रहती"।
"तुम सही कह रही हो,"रमन बोला,"फिर कहाँ से हो।"
"इंदौर,"निशा बोली,"पढ़ने के लिय यहा आयी हूँ
और उसने बात को आगे बढ़ाया था,"तुम कहा से हो?"
"जयपुर।"
"अगर सन्डे को कही घूमे तो।"
"नो प्रॉब्लम।"
और रमन व निशा सन्डे को साथ बिताने लगे।कभी कहा, कभी कहा जाने लगे।निशा खुले विचारों के साथ दिलखुश स्वभाव की थी।वह खूब हंसती और बाते करती थी।और ऐसे ही समय गुजरता गया और उनके पेपर हो गए।पेपर के बाद वे जाने लगे यानी बिछड़ने लगें तब रमन उससे बोला,"मै तुमसे कुछ कहना चाहता हूँ।"
"तो कहो न"निशा बोली थी।।"तुम मुझे अच्छी लगती हो।"
"अच्छी हूँ तो अच्छी ही लगूँगी।"
"निशा मै तुमसे प्यार करता हूँ।"
निशा उसकी बात सुनकर कुछ नही बोली थी।तब रमन1बोला," तुम्हे अपनी बनाना चाहता हूँ।""मतलब
"निशा तुम्हे अपनी जिंदगी बनाना चाहता हूँ।तुमसे शादी करना चाहती हूँ।"रमन ने अपने प्यार का इजहार करते हुए अपने दिल की बात कह दी थी।
"सॉरी।"
"सॉरी।"निशा की बात सुनकर रमन बोला था।
"रमन मेरा शादी करने का1कोई इरादा नही ह4।मै औरतों के लिये काम करना चाहती हूँ।उनके अधिकारों के लिये लड़ना चाहती हूँ।"
और वे दोनों बिछुड़ गये थे।कॉलेज में भले ही दोस्त रहे हो लेकिन कॉलेज से बिछड़ने के बाद कोई सम्पर्क नही रहा
और आज पूरे तीस साल बाद वे आमने सामने थे बीते तीस सालों में उनमें बहुत बदलाव आ गए थे।उम्र का असर साफ नजर आ रहा था पर दोनों एक दूसरे को पहचान गए थे।"
"आजकल कहाँ हो?
"पुणे में इन्फो मे काम कर रहा हूँ।"रमन ने अपने बारे में बताया था।फिर बोला,"और तुम क्या कर रही हो?,
"मैने तुम्हे बताया था कि मैं औरतों के कल्याण और बेहतरी के लिये काम करूंगी।पहले एक एन जी ओ में काम करती थी।अब खुद का ये जी ओ1 चलाती हूँ।"
"कहाँ पर?नरेश ने पूछा था
"बिलासपुर।"
"शादी कर ली।"
"मैंने फैसला किया था शादी नही करूंगी पर1अब1सोचती हूँ, यह1निर्णय गलत था,"वह बोली,"औऱ तुंमने
"नही।"
"क्यो?"
"तुंमने ही तो मना कर दिया था।
ट्रेन आयी औऱ निशा चली गयी थी।औऱ रमन अधूरी मोहब्बत पर सोचने लगा