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अनजान
अनुज पहले अपने मम्मी-पापा से मिलने आदर्श नगर पहुँचा I कुछ देर उनके साथ बैठकर बातें करने लगा तो उसके पिता ने बताया कि “वे लोग राम मंदिर जाने की योजना बना रहें हैंI” “पापा ठंड में थोड़ा सब्र करो, मौसम खुल जाए उसके बाद चले जाना, अगर बीमार हो गए तो लेने के देने पड़ जाएँगेI अब उन्हें अनुज की बात जँच गई और फिर इसी तरह थोड़ी देर और बातचीत करने के बाद, वह घर की ओर निकल गयाI रास्ते में उसने ढाबे वाले से खाना पैक करवाया और फिर सोसाइटी के अंदर गाड़ी रोकते ही जब वह गाड़ी से बाहर निकला तो देखा पटेल जी खड़े हैंI “जी कहिये, पटेल जीI” “मैं आपको एक प्रॉपर्टी डीलर का नंबर दे सकता हूँ जो आपको कोई दुकान दिलवा देगाI” अब उसने प्रॉपर्टी डीलर का नंबर फ़ोन में फीड कर लिया और लिफ्ट से अपने फ्लोर की ओर जाने लगाI जब बेल बजाने पर भी उसने गेट नहीं खोला तो उसने अपनी चाभी से गेट खोला और अंदर आ गयाI उसे अब बैडरूम से आती कोमल की आवाज सुनाई दी,
“मेरी तो किस्मत ही खराब है पर अब क्या हो सकता है, जिस आदमी पर इतना भरोसा था, उसी ने मेरा दिल तोड़ दियाI” अब सामने वाले ने पता नहीं क्या कहा पर कोमल ने जवाब दिया, “काश तुम मुझे पहले मिले होते तो ज़िन्दगी कुछ और होती I” अब अनुज ने बेडरूम का दरवाजा खोल दिया और कोमल ने सकपकाकर फ़ोन रख दियाI अनुज ने तेज़ आवाज में पूछा,
“किससे बातें कर रही थी? “
“एक दोस्त से I” कोमल ने मुँह बनाते हुए जवाब दियाI
“नाम जान सकता हूँI” अनुज उसे घूर रहा हैI
“फ़िक्र मत करो, सिर्फ दोस्त ही हैI” कोमल अब अनुज के हाथ से पैकेट लेकर किचन की तरफ चली गई और वह भी उसके पीछे-पीछे जाने लगाI
“ऐसा कौन सा दोस्त है, जिसे तुम कह रही थी कि काश तुम मुझे पहले मिले होतेI”
“वो अपनी इतनी खूबियाँ बता रहा था कि मुझसे रहा नहीं गया और मैंने यह कह दियाI” अब अनुज लगातार कोमल को घूरने लगा तो कोमल ने बात बदलते हुए बोला, “अच्छा है, तुम खाना ले लाये वरना मैं बाहर से आर्डर करने वाली थीI”
अब कुछ देर बाद दोनों डाइनिंग टेबल पर बैठकर डिनर एन्जॉय कर रहें हैंI उसने अब कोमल को इतना शांत देखते हुए कहा, “कोमल किसी अनजान को अपनी पर्सनल लाइफ की कहानियाँ मत सुना देना, तुम्हें पता नहीं, आजकल कैसे-कैसे लोग होते हैंI”
“तुम्हें हमेशा क्राइम ही क्यों सूझता हैI “ कोमल ने चिढ़कर कहाI
“क्योंकि क्राइम होता है, समझी, मुझे इतने साल हो चुके हैं, इस प्रोफेशन में कितना ग़लत देखते हुए, घर पर बैठकर न्यूज़पेपर पढ़ना बहुत आसान है पर जिनपर गुज़रती है, उसने जाकर पूछोI”
“ठीक है, मुझे तुमसे कोई बहस नहीं करनीI “ कोमल ने रोटी का निवाला मुँह में डालते हुए कहा तो उसने नरम लहज़े में उसे प्रॉपर्टी डीलर के बारे में बताया तो वह चहकते हुए बोली, “तो कब चल रहें हैं? “ “कल चार बजे के बाद मैं तुम्हें घर से पिक कर लूँगा” और फिर बड़े प्यार से निवाला उसके मुँह में डालते हुए कहा, “प्लीज भगवान के लिए अपने और मेरे लिए मुश्किलें मत बढ़ाओ, मुझे मौका दोगी, तभी तो मैं कुछ ठीक कर पाऊँगाI कोमल ने भी अब उसे वैसे ही खाना खिलाते हुए कहा, “ओके !!!”
अश्विन पहले अपने घर आया तो पहले उसने शॉवर लिया, फिर डिनर कर घर से हवा खाने निकल गयाI उसने गाड़ी हौजखास विलेज पर रोक दी और वहाँ बने पार्क में आकर वह बैठ गयाI उसे पता था कि अगर वह घर में रहा तो ड्रिंक करेगा और फिर वहीं ड्रिंक उसे नींद के आगोश में ले जायेगा पर उसे सोचना था कि सम्राट तक कैसे पहुँचा जाए, माया एक ऑप्शन थी, मगर वह एक खतरनाक ऑप्शन थीI मगर उसे कहीं न कहीं यह भी पता था कि माया उसकी मदद कर सकती है क्योंकि वह नीली आँखों वाली औरत माया ही है जो उस दिन उसका पीछा कर रही थी और जाहिर सी बात है कि वह यह सब सम्राट के कहने पर कर रही हो या फिर कोई और है जो उसी की तरह सम्राट के पीछा पड़ा हो और माया उसी के लिए काम कर रही हो और वहीँ आदमी चाहता हूँ कि अश्विन आकर उससे मिलें, आखिर कुछ भी हो सकता हैI यह सब सोचते-सोचते उसकी नज़र पार्क के पीछे बने एक कैफ़े में गई और वह एक जाने-पहचाने शख्स को देखकर चौंक गयाI उसने देखा कि सफ़ेद रंग के कुर्ते और ट्रॉउज़र पहने रोमा किसी का इंतज़ार कर रही हैI “ ज़रूर यह अपने आशिक का इंतज़ार कर रही होगीI” अब अश्विन ने एक ऐसी जगह ढूंढ ली जहाँ से उसे रोमा न देखें और फिर वह पार्क के कोने में बैठकर उसका इंतज़ार करने लगाI अब एक अधेड़ उम्र का शख्स उससे मिलने आया और रोमा ने उसके गालों पर किस किया और वह उसके पास बैठ गयाI उसकी पीठ अश्विन की तरफ है, जिसकी वजह से वह उसे देख नहीं पा रहा है, मगर उसकी पूरी कोशिश है कि वह उसे देख सकेंI
अब वह आदमी और रोमा अपने में खोए हुए बात करते जा रहें हैं और अश्विन की बेचैनी बढ़ती जा रही हैI कौन है, यह आदमी? अब जैसे ही रोमा बाहर देखने लगी तो अश्विन उसकी नज़रों से बचते हुए छुप गयाI
अनुज ने रात के बरतन माँजे और फिर कुछ सोचकर उसने अश्विन को कॉल किया तो उसने फ़ोन काटकर मैसेज किया कि वह बाद में कॉल करेंगा I अब जब वह अपने बैडरूम में गया तो देखा कि बेड पर लेटी कोमल उसी का ही इंतज़ार कर रही हैI वह भी मुस्कुराते हुए उसकी ओर बढ़ा और उसे अपनी बाँहों में भर लिया और फिर कोमल को चूमने लगा तो उसने भी उसका पूरा साथ दिया और अब दोनों एक दूसरे के तन से कपड़ों को हटाने लगें और फिर कुछ ही देर में चरम आनंद की ओर अग्रसर हो गए I
अब वह आदमी और रोमा दोनों कैफ़े से बाहर निकले तो अश्विन भी अलर्ट हो गया और उसने उस आदमी को गौर से देखा तो उसके पैरो तले ज़मीन खिसक गई, “इसका चक्कर चला रहा है, माया की माँ रोमा के साथ, बास्टर्ड I" अश्विन धीरे से बुदबुदाया I