डिनर टेबल पर नई बातें और पुरानी यादें
विशाल धीरे-धीरे बंगले के अंदर आया। अंदर आते ही उसकी नज़र डाइनिंग टेबल पर गई, जहाँ तीनों लड़कियाँ बैठी थीं—अवनी, लवली और मिताली। तीनों के चेहरे पर अभी भी हल्की घबराहट थी, लेकिन सुषमा मासी के प्यार से परोसे गए खाने ने माहौल को थोड़ा सहज बना दिया था।
सुषमा मासी ने मुस्कुराते हुए कहा, "विशाल बेटा, तुम भी आकर खाना खा लो। ठंडा हो रहा है, खाने का इंतजार करना ठीक नहीं।"
विशाल एक पल के लिए रुका। उसे लगा जैसे उसकी माँ उसे बुला रही हो। यह स्नेह, यह अपनापन—बहुत समय बाद उसने किसी से ऐसा महसूस किया था। उसकी आँखों के सामने उसकी माँ की तस्वीर तैर गई। एक समय था जब वह अपनी माँ के साथ इसी तरह बैठकर खाना खाया करता था, लेकिन वक्त ने सब कुछ बदल दिया था।
उसने सिर हिलाया और धीरे से कुर्सी खींचकर बैठ गया।
डिनर टेबल पर बातचीत
टेबल पर खाना परोसा जा चुका था। गरमा-गरम रोटियाँ, सब्जियाँ, दाल और चावल। सुषमा मासी सबको प्यार से देख रही थीं, मानो ये सब उनके अपने बच्चे हों।
"कैसा लगा खाना?" मासी ने मुस्कुराकर पूछा।
अवनी ने हल्का-सा मुस्कुराकर कहा, "बहुत अच्छा, मासी। आपने इतनी मेहनत से बनाया है, स्वादिष्ट है।"
लवली ने सहमति में सिर हिलाया, "घर की याद आ गई।"
विशाल भी एक कौर लेकर चबाने लगा। सच में, खाने में माँ के हाथों का स्वाद था। उसे लगा जैसे बरसों बाद उसने किसी के हाथ से इतना स्नेह भरा खाना खाया हो।
लेकिन विशाल का दिमाग अभी भी केस में उलझा हुआ था। उसने खाने की एक कौर उठाई, लेकिन मन ही मन सोचने लगा—क्या तीनों लड़कियाँ सच में कुछ नहीं जानतीं, या वे कोई बात छिपा रही हैं?
वह धीरे से बोला, "तुम लोगों से एक बात पूछनी थी…"
सबने उसकी ओर देखा।
"संजना के बारे में कुछ और याद आ रहा है? कुछ ऐसा जो तुमने पहले नहीं बताया?"
मिताली ने हल्की-सी सांस ली और बोली, "हमने जो कुछ भी याद था, सब तुम्हें बता दिया।"
अवनी ने भी सिर हिलाया, "हां, पार्टी में हम साथ थे। उसके बाद… बस वही हुआ जो तुम जानते हो।"
लेकिन विशाल को ऐसा लग रहा था कि कोई न कोई बात अभी भी अधूरी है। उसने चुपचाप उनकी आंखों में देखा, मानो उनके शब्दों के पीछे छिपी सच्चाई को पढ़ने की कोशिश कर रहा हो।
सुषमा मासी की ममता
मासी ने माहौल को हल्का करने के लिए कहा, "अरे बेटा, ये सब बातें तो होती रहेंगी, पहले ठीक से खाना खाओ। खाली पेट दिमाग सही से काम नहीं करता।"
विशाल ने उनकी बात मानते हुए दो-तीन कौर खाए। सुषमा मासी ने प्यार से उसकी थाली में और सब्जी परोस दी।
"तुम लोग जब तक यहां हो, चिंता मत करो। यह घर तुम्हारा भी है।" मासी ने बड़े स्नेह से कहा।
लड़कियों की आंखों में हल्का-सा सुकून दिखा। शायद वे भी अंदर ही अंदर डरी हुई थीं, लेकिन मासी के इन शब्दों ने उनके भीतर एक सुरक्षित अहसास जगा दिया।
गहरी बातचीत
थोड़ी देर बाद अवनी ने धीरे से कहा, "विशाल, हमें भी डर लग रहा है। संजना के साथ जो हुआ, वो किसी के भी साथ हो सकता था। अगर अजय सच में पीछा कर रहा था, तो वो अब भी आसपास हो सकता है… और अगर वो नहीं था, तो फिर कौन था?"
विशाल ने उसकी बात ध्यान से सुनी।
विशाल को पहली बार लगा कि लड़कियाँ भी अब सवालों के जाल में फँसने लगी हैं।
"शायद हम सब कुछ नहीं जानते…" लवली ने धीरे से कहा।
विशाल ने अपनी उंगलियाँ टेबल पर हल्के से घुमाईं और सोचा—क्या ये लड़कियाँ खुद किसी डर की वजह से कुछ छुपा रही हैं?
विशाल इस केस को लेकर जितना उल्झा था चस पर से उतना ही परेशान भी था उसे कही ना कही संजना कि भी फ्रिक भी हो रही थी क्योंकि वो एक लड़की थी और एक बार उसने ऐसा देख देखा था जहां किडनैप ने लड़की के साथ बहोत बुरा सलुक किया था | दोस्तों ने बताया था कि संजना बहोत मासूम है दुनिया अभी ठीक से जानती नही है |