I can do this in Hindi Motivational Stories by Vibhama books and stories PDF | मैं कर सकता हूँ!

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मैं कर सकता हूँ!

कहानी: "मैं कर सकता हूँ!"

यह  एक  सची घटना है एक छोटे से गाँव में "राजू" नाम का एक लड़का रहता था। वह बहुत होशियार था, लेकिन उसे अपने ऊपर विश्वास नहीं था। बचपन से ही उसके परिवार मे कुछ लोगों कि ईर्षा के कारण उसे यही सिखाया जाता था कि "तू कुछ नहीं कर सकता, राजू तुझसे कुछ नही होगा......राजू की माँ उन लोगों को कुछ नहीं कह पाती क्युंकी वो राजू की दादी और  चाची-चाचा थे, जो राजू को कुछ नहीं करने देते थे, अब राजू बड़ा हो रहा था और उसे भी धीरे-धीरे यकीन होने लगा था कि वह कुछ नहीं कर सकता है, जब भी कोई नया काम आता तो उसकी दादी पहले ही बोल देती की राजू से नहीं होगा, राजू  भी बोल देता कि "मुझसे नहीं होगा!" राजू की माँ उसे लेकर बहुत चिंतित होती थी, मगर दादी के सामने उसकी एक नहीं चलती थी.

एक दिन स्कूल में अध्यापक ने सभी बच्चों से कहा, "कल हमें दौड़ प्रतियोगिता रखनी है। जो जीतेगा, उसे इनाम मिलेगा!" राजू यह सुन कर बहुत खुश हुआ लेकिन कुछ देर बाद वह उदास हो गया, वह सोचने लगा कि दादी कहती है कि तुझसे नहीं होगा.
सभी बच्चे बहुत खुश हुए, लेकिन राजू उदास हो गया। उसने सोचा, "मैं तो कभी तेज नहीं दौड़ सकता। मैं हार जाऊँगा!"
राजू ने घर आकर माँ से सारी बातें बताई, माँ ने राजू को अपने पास बैठा कर समझौते हुए कहा कि "तुम ये बात अपनी दादी को मत बताना" और राजू को समझाने लगी 
 "बेटा, हार-जीत से ज्यादा जरूरी है कोशिश करना। अगर तुम खुद पर विश्वास रखोगे, तो जरूर अच्छा करोगे। फिर चाहे कोई दोड़ हो या कोई भी कार्य, जो भी तुम्हारे मनोबल को तोड़ता है उसे अपने किसी भी कार्य को मत बताओ"

अब राजू को ये बात अछे से समझ मे गई थी.

अगले दिन दौड़ शुरू हुई। पहले तो राजू डर रहा था, लेकिन उसने अपनी माँ की बात याद की और खुद से कहा, "मैं कर सकता हूँ!"

जैसे ही सीटी बजी, राजू ने पूरे आत्मविश्वास के साथ दौड़ना शुरू किया। धीरे-धीरे वह आगे बढ़ता गया और अंत में उसने पहला स्थान हासिल कर लिया!
सभी ने तालियाँ बजाईं, और अध्यापक ने उसे इनाम दिया। राजू बहुत खुश था और अब उसे समझ आ गया था कि

"अगर हम खुद पर विश्वास रखें, तो कोई भी काम मुश्किल नहीं होता!"

राजू खुशी से झूमता हुआ घर आया ओर चुपके से ट्रॉफी अपनी माँ के सामने रखदी, अब माँ की खुशी का ठिकाना नहीं रहा, उसने बेटे को गले लगा लिया!!!!

इस प्रकार राजू को अब कोई कार्य कठिन नहीं लगता था, राजू अपने जीवन के कठिन से कठिन काम को मेहनत और आत्मविश्वास से करते हुए एक दिन बहुत बड़ा आदमी बन गया, आज राजू को दुनिया उसकी अच्छाइयों के साथ जानती है.

इस कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है--

हमें कभी भी हार मानकर बैठना नहीं चाहिए। खुद पर विश्वास करना चाहिए. अपने आत्मविश्वास से हर कठिन से कठिन कार्य भी आसान हो जाता है! हम जो सोचते हैं, वही बनते हैं। इसलिए हमेशा खुद से कहो – "मैं कर सकता हूँ!"
                                          
Soniya Yadav…