अगली सुबह...
कमरे की खिड़की से धूप की महीन लकीरें फर्श पर गिर रही थीं।
चिड़ियों की आवाजें हल्के से कमरे में घुल रही थीं।
छोटा अभी भी अपने तकिए में मुंह छिपाए सोया था,
मगर मारिया —
वो आज जल्दी उठ गई थी।
आँखों में नींद की मिठास थी,
मगर दिल में एक अजीब सी हलचल —
बेहद नर्म, बेहद प्यारी।
वो धीरे-धीरे आईने के सामने आकर खड़ी हो गई।
थोड़ी देर तक खुद को देखती रही —
जैसे खुद से पहली बार मुलाकात हो रही हो।
हल्की सी मुस्कान उसके होठों पर आकर टिक गई —
बेहद कोमल, बेहद अनकही।
मारिया ने अलमारी खोली।
साधारण कपड़े हटा कर एक हल्की गुलाबी कुर्ता निकाल लिया —
ना ज़्यादा बनावटी, ना ज़्यादा सादा।
बस ऐसा जैसे दिल के किसी कोने की मासूमियत पहन ली हो।
उसने बालों को खुला छोड़ दिया —
कंधों पर गिरते हुए बाल जैसे किसी नर्म हवा के झोंके को छू रहे हों।
फिर अपनी कलाई पर एक पतली चूड़ी पहन ली —
जो हर हलचल पर धीमी सी आवाज़ करती थी,
जैसे दिल के अंदर बज रही नई धड़कनों का ऐलान।
आईने के सामने खड़ी होकर वो एक पल के लिए खुद को देखती रही।
कहीं न कहीं उसकी नज़रें खुद से सवाल कर रही थीं —
"ये सब क्यों?"
और फिर दिल धीमे से जवाब देता —
"क्योंकि कोई है... जो अब हर सुबह का हिस्सा बन गया है।"
मीर।
छोटे उठ गया था, आँखें मसलते हुए बोला:
"दीदी... आज बहुत सुंदर लग रही हो..."
मारिया झेंप गई।
उसने छोटे के सिर पर प्यार से हाथ फेरा और मुस्कुरा दी।
छोटा भागता हुआ बाहर चला गया —
और मारिया अकेली रह गई, अपने दिल की मुस्कान के साथ।
उसने खिड़की खोली —
बाहर एक हल्की सी हवा चली।
उस हवा में कोई नाम घुला हुआ था...
कोई एहसास... कोई वादा...
और उस खिड़की से दूर,
किसी गली के मोड़ पर,
मीर सुल्तान शायद उसी सुबह का इंतज़ार कर रहा था,
जब एक नज़र भर देख कर
उसकी पूरी दुनिया बदल जाती।
मारिया ने हल्की-सी मुस्कान के साथ किचन में हाथ चलाए।
छोटे के लिए ब्रेड सेंक रही थी और नानी के लिए चाय तैयार कर रही थी।
कमरे में हल्के-हल्के इलायची और मक्खन की खुशबू फैल रही थी।
उसी वक्त, किचन के काउंटर पर रखा मोबाइल हल्का-सा वाइब्रेट हुआ।
एक चमकती रौशनी और नोटिफिकेशन का नर्म-सा थरथराना...
बेपरवाही से मारिया ने हाथ पोंछते हुए मोबाइल उठाया।
स्क्रीन पर एक अनजान नंबर से मैसेज था।
उसने पढ़ा —
और पल भर को जैसे सारा वक़्त थम गया।
"Dear Maria,
You are invited for an audition with Mr. Naaved Khan at MS Harmony Records
Selected candidates will record a duet with him.
Congratulations!"
मारिया की साँसें रुक गईं।
आँखों की पुतलियाँ चमक उठीं,
चेहरे पर एक ऐसी ख़ुशी दौड़ गई जो शब्दों से परे थी।
उसका दिल ज़ोर से धड़कने लगा —
MS Harmony Records!
शहर का सबसे बड़ा नाम,
हर नए सिंगर का सपना —
और आज उसे वहाँ से बुलावा आया था... उसे!
हाथ काँपते हुए मोबाइल पकड़े,
वो वहीं ठिठक गई।
पलकों पर नमी सी चमक आई —
खुशी के आँसू, जो बरसने से डर रहे थे।
सबसे पहले...
उसका दिल चीख पड़ा —
"मीर को बताना है!"
वो मुस्कुराई —
बेहद मासूमियत से,
जैसे कोई बच्ची पहली बार आकाश को छूने जा रही हो।
पर अगले ही पल...
उसका चेहरा ढल गया।
"लेकिन... मीर कहाँ है?"
उसके पास न तो उसका नंबर था,
न कोई पता,
न कोई सुराग।
एक अजीब सी बेचैनी दिल में दौड़ गई।
किचन की महक, चाय की उबाल — सब एक धुंध में खो गया।
बस एक ही ख्याल...
"काश वो यहाँ होता... काश अभी सामने होता..."
छोटे भागता हुआ आया, उसकी खुशी देख कर चहकते हुए बोला:
"दीदी, कोई गुड न्यूज़ है क्या?"
मारिया ने हँसने की कोशिश की,
छोटे को अपनी बाहों में खींच लिया और हल्के से उसके बालों को चूम लिया।
दिल के किसी कोने से फूटती हुई दुआ सी निकली —
"हाँ छोटू... एक बहुत बड़ी खुशखबरी है...
बस अब दुआ करो कि जिसे सबसे पहले बताना चाहती थी, वो कहीं से सामने आ जाए..."
उसकी आँखें अब भी खिड़की की तरफ लगी थीं —
कहीं से कोई साया नज़र आए,
कोई मुस्कुराहट,
कोई आवाज़ —
"मारिया..."
लेकिन अभी सिर्फ हवा थी,
सिर्फ यादें...
और एक इंतज़ार।
मारिया का पहला कदम — सपनों की चौखट पर
शहर के सबसे आलीशान म्यूजिक स्टूडियो के सामने खड़ी,
मारिया ने गहरी साँस ली।
सामने चमचमाता हुआ "MS Harmony Records" का नाम —
जैसे उसकी हर छोटी-छोटी दुआओं का जवाब बन कर चमक रहा था।
स्टूडियो का काँच का गेट खुला,
और अंदर से महकती कॉफी की खुशबू और हल्की-हल्की म्यूजिक बीट्स का जादू मारिया को अपनी तरफ खींच ले गया।
वो धीरे-धीरे अंदर बढ़ी।
स्लीक मार्बल फ्लोर,
दीवारों पर मशहूर सिंगर्स की बड़ी-बड़ी तस्वीरें,
हर कोना खुद में कहानियाँ समेटे हुए था।
काउंटर पर एक रनर वर्कर से पूछने पर
उसने मुस्कुरा कर वेटिंग रूम की ओर इशारा कर दिया।
"ऑडिशन वेटिंग वहाँ है मैम, प्लीज़ टेक अ सीट।"
मारिया धीमे कदमों से उस वेटिंग एरिया में पहुँची —
जहाँ पहले से ही कई लड़के-लड़कियाँ अपनी बारी का इंतज़ार कर रहे थे।
कुछ अपने फोन पर गुनगुना रहे थे,
कुछ शीशे में खुद को निहार रहे थे,
तो कोई अपनी स्क्रिप्ट दोहरा रहा था।
मारिया एक खाली कुर्सी पर बैठ गई,
और आसपास की हलचल में घुलने लगी।
"क्या तुम्हें पता है?"
एक लड़की ने फुसफुसाते हुए बगल वाली को कहा,
"ये न्यू एल्बम शूट हो रही है, उसमें अरमान मलिक के साथ शूट करने का मौका मिलेगा!"
"हाँ," दूसरी लड़की ने आँखें चमकाते हुए जवाब दिया,
"मगर फीमेल एक्ट्रेस अभी फाइनल नहीं हुई है... शायद कोई भी अब तक गाने के हिसाब से परफेक्ट जमी नहीं है।"
तीसरी लड़की ने हँसते हुए कंधे उचका दिए,
"हमें क्या? हम तो सिंगर के लिए सिलेक्ट हो जाएँ, वही बहुत बड़ी बात है!"
ये बातें सुन कर मारिया का दिल और भी जोर से धड़कने लगा।
उसकी हथेलियाँ पसीजने लगीं।
खुद को सँभालते हुए उसने अपनी फाइल टाइट पकड़ी।
आज उसकी आवाज़ ही उसकी पहचान बनने वाली थी।
उसी पल, एक कोऑर्डिनेटर ने वेटिंग रूम में आकर पुकारा —
"मारिया खान?"
मारिया के नाम की पुकार वेटिंग रूम में गूँजी —
"मारिया खान?"
उसका दिल धक से रह गया।
हथेलियों की नमी को उसने कपड़ों पर हल्के से रगड़ा।
फाइल को कसकर पकड़ा और धीमे-धीमे उठ खड़ी हुई।
क़दम जैसे किसी अजनबी ज़मीन पर पड़ रहे थे।
हर नज़र उसकी तरफ उठी थी —
कोई होड़, कोई जलन, कोई तिरछी मुस्कान लिए।
लेकिन मारिया के अंदर एक अजीब सी खामोशी थी,
जैसे समंदर की सबसे गहरी लहरें अभी चुप हैं,
बस किसी पल फूट पड़ने को तैयार।
"आइए, इस तरफ़,"
रनर वर्कर ने इशारा किया।
मारिया लंबी गैलरी पार करते हुए ऑडिशन रूम के दरवाज़े तक पहुँची।
दरवाज़े पर हल्की-हल्की म्यूजिक बीट्स की थरथराहट थी —
जैसे सपनों की पहली दस्तक हो।
कमरे के अंदर कदम रखते ही,
उसने सामने एक बड़ा-सा माइक देखा,
चार-पाँच लोग जूरी की तरह बैठे थे —
उनमें से सबसे आगे बैठे शख़्स के बाल थोड़े सफेद थे, मगर आँखों में गहरी चमक थी —
नावेद साहब।
उन्होंने नर्म आवाज़ में कहा —
"आराम से साँस लीजिए...
ये कोई लड़ाई नहीं है, बस अपनी रूह को गाने दीजिए।"
मारिया की साँस थमी-थमी सी थी।
उसने आँखें बंद कीं, दिल को थामा, और पहला सुर छेड़ दिया।
"तू आता है सीने में...
जब जब साँसे भरती हूँ..."
उसकी आवाज़ जैसे नर्म बादलों पर तैरती हुई कमरे में फैलने लगी। उसकी पलकों की कम्पन, उसकी सांसों का आरोह-अवरोह, सब एक मधुर सुर में बंध गया था।
"तेरे दिल की गलियों से
मैं हर रोज़ गुज़रती हूँ..."
मारिया धीरे-धीरे खुद को उस आवाज़ में, उस एहसास में घुला रही थी... जैसे उसकी आत्मा गा रही हो। कमरे में बैठे सब लोग सांसें थामे उसे सुन रहे थे, पर दरवाजे पर खड़ा एक शख़्स था, जिसकी नज़रें सिर्फ और सिर्फ मारिया पर थीं — मीर।
मीर...
जिसका दिल उसी लम्हे धड़कना भूल गया था जब उसने मारिया को आँखें बंद किए, गाते हुए देखा था।
उसके होंठों से निकलते हर लफ्ज़, उसकी साँसों से फूटते हर सुर में एक मासूम जादू था, जो मीर के वजूद को जकड़ चुका था। वह बस खड़ा था, बिना पलकें झपकाए... जैसे अगर आँखें मूंद लीं तो ये सपना टूट जाएगा।
"हवा के जैसे बहता है तू...
मैं रेत जैसी उड़ती हूँ..."
मारिया की आवाज़ में एक दर्द था, एक बेसाख्ता चाहत, जो हर लफ्ज़ को सजीव बना रही थी। उसकी पलकों पर जमी नमी, उसके गालों पर बिखरे जज़्बात... सब कुछ कह रहे थे।
"कौन तुझे यूँ प्यार करेगा...
जैसे मैं करती हूँ..."
गाते-गाते, उस एक पल में मारिया ने अपनी आँखें धीरे से खोलीं। उसकी नजरें सीधे दरवाज़े पर गईं — और उसे देख कर उसकी धड़कन जैसे ज़मीन में गड़ गई।
मीर।
वही निगाहें, वही खामोश दीवानगी, वही सन्नाटा ओढ़े खड़ा मीर...
जिसे वो ढूँढ रही थी अपने हर सुर में, हर सांस में... वो सामने था।
दोनों की आँखें मिलीं — एक नज़ाकत भरा लम्हा, जहाँ न वक्त चल रहा था, न सांसें।
सिर्फ धड़कनों का एक गहरा, बेहिसाब सुर था — जिसमें दोनों डूब रहे थे।
मारिया का गला अचानक सूख गया। गाना रुक गया... स्टूडियो का शोर उसके कानों तक पहुँच भी न पाया।
बस... दरवाजे पर खड़ा मीर और उसके दिल की बढ़ती हुई धड़कनें।
मारिया की नज़र मीर से टकराते ही ठिठक गई थी, लेकिन उसी पल उसने खुद को संभाल लिया।
उसने जल्दी से अपनी पलकों को झुका लिया और एक गहरी साँस खींची।
स्टूडियो में बैठे बाकी लोग अब भी उसकी आवाज़ के असर में थे। एक-दो लोग तो धीमी तालियों से भी उसकी तारीफ कर रहे थे।
मारिया ने माइक से हल्के से दूर होते हुए एक प्रोफेशनल मुस्कान ओढ़ ली, और सामने खड़े म्यूज़िक डायरेक्टर नावेद साहब की तरफ देखा।
नावेद साहब ने अपनी ऐनक नीचे सरकाते हुए तारीफ भरे लहजे में कहा,
"बहुत खूब बेटा, तुम्हारी आवाज़ में एक जादू है... एक सच्चाई है जो बहुत कम सिंगर्स में दिखती है।"
मारिया ने सिर झुकाकर शुक्रिया कहा, फिर खुद को संयमित रखते हुए वहाँ से पीछे हटी।
उसने जानबूझकर मीर की तरफ एक बार भी नहीं देखा।
मीर भी वही, स्टूडियो के सीनियर प्रोड्यूसर के तौर पर अब एक सख्त प्रोफेशनल चेहरे के साथ खड़ा था।
वो जानता था — "यहाँ एक गलत इशारा भी उन्हें शक के घेरे में ला सकता है।"
स्टूडियो के कोने में खड़े होकर मीर ने सिर्फ एक नज़र मारिया पर डाली —
एक नज़र जिसमें सब्र भी था, दावा भी, और एक मौन वादा भी — "थोड़ा और इंतज़ार सही, लेकिन अब तुम दूर नहीं रहोगी।"
नावेद साहब ने बगल में खड़े मीर से कहा,
"आपके रिकमेंडेशन पर बुलाया था इसे... लगता है वाकई हीरा है।"
मीर ने धीमे से मुस्कुरा कर सिर हिला दिया, जैसे वो भी बाकी सबकी तरह पहली बार मारिया को सुन रहा हो।
"टैलेंट खुद बोलता है, सर," उसने शांत लहजे में कहा।
स्टूडियो का माहौल फिर से काम में डूब गया था।
मारिया दिल ही दिल में रब का शुक्र अदा कर रही थी कि उसने समय रहते अपने जज़्बात छुपा लिए थे...
मीर भी अपने भीतर उठते समंदर को अपने सीने में दबाए, दूर खड़ा उसे देख रहा था —
चुपचाप, बगैर किसी आवाज़ के, बगैर किसी दावे के —
बस अपनी आँखों से उसे बाँधते हुए।