आतंकवाद वह ज़हर है जिसने भारत की शांति, सुरक्षा और अखंडता को बार-बार ललकारा है। यह एक ऐसी अमानवीय और क्रूर गतिविधि है, जिसमें डर और हिंसा फैलाकर अपने नाजायज़ मकसद पूरे किए जाते हैं। यह आम लोगों की जान, सैनिकों की सुरक्षा और देश की एकता पर सीधा हमला करता है। बच्चों के बचपन छिन जाते हैं, माँ-बाप अपने जवान बेटे की लाशें कांपते हाथों से उठाते हैं, और न जाने कितने घर हमेशा के लिए वीरान हो जाते हैं।
भारत ने कई बार आतंक का यह ज़हर झेला — 1984 का पंजाब आतंकवाद, 1993 के मुंबई धमाके, 2008 का 26/11 हमला, 2016 का उरी हमला, 2019 का पुलवामा हमला और हाल ही में 22 अप्रैल 2025 को हुआ पहलगाम हमला। इन घटनाओं ने न सिर्फ हज़ारों निर्दोषों की जान ली, बल्कि देश की आत्मा तक को झकझोर दिया। कितनी माँओं की गोद सूनी हो गई, कितनी बेटियाँ अनाथ हो गईं और कितनी पत्नियों से उनका सिंदूर छिन गया। हर बार जनता ने आँसू पी लिए, हर बार भारत ने शांति का हाथ बढ़ाया, पर जवाब में बारूद मिला।
भारत ने हमेशा संयम रखा, लेकिन संयम को हमारी कमजोरी समझा गया। पड़ोसी देश पाकिस्तान, जो बार-बार कहता है कि वह आतंक के खिलाफ है, वहीं इन आतंकियों को चुपचाप पनाह और समर्थन देता रहा। पुलवामा हमले के बाद जब 40 से ज़्यादा जवान शहीद हुए, तब पूरे देश का खून खौल उठा। एक-एक भारतीय के दिल से यही आवाज़ आई — “अब बहुत हो चुका।”
इसी आग का जवाब बना — ऑपरेशन सिंदूर। यह सिर्फ एक सैन्य कार्रवाई नहीं थी, यह उन आँसूओं का जवाब था जो सालों से बहते आ रहे थे। यह उन वीरांगनाओं को सलाम था, जिन्होंने अपने सिंदूर की कीमत पर देश की रक्षा की। इस ऑपरेशन का नाम ‘सिंदूर’ उन्हीं नारियों की वीरता और बलिदान को समर्पित है। उनका मिटा हुआ सिंदूर अब राष्ट्र के माथे पर तिलक बन गया है — युद्ध का तिलक, गर्व का तिलक।
7 मई 2025 को भारत ने सीमापार आतंकी ठिकानों पर बड़ा हवाई हमला किया। यह सिर्फ तोपों और मिसाइलों से नहीं, बल्कि ड्रोन, सैटेलाइट डेटा, साइबर निगरानी, रडार सिस्टम और जीपीएस तकनीकों से लैस एक बेहद सटीक और शक्तिशाली कार्रवाई थी। पहली बार आतंकवाद के अड्डों पर इस तरह की आधुनिक और सुनियोजित जवाबी कार्रवाई देखी गई।
जब पाकिस्तान ने इसे युद्ध की धमकी बताकर पलटवार करने की कोशिश की, तब भारतीय सेना ने फिरोज़पुर जैसे सीमाई क्षेत्रों में उनके ड्रोन हमले भी नाकाम कर दिए। भारत ने साफ कर दिया — अब हम ‘शांति की प्रतीक्षा’ नहीं करते, अब हम ‘शांति स्थापित’ करते हैं।
Zero Tolerance अब भारत की नीति है। अब हम हर उस जगह को पहचानेंगे, ढूंढ निकालेंगे और नष्ट करेंगे जहाँ से आतंकवाद की बू आती है। हम अब सहने वाले नहीं, अब सहारा देने वालों को भी निशाना बनाने वाले हैं।
ऑपरेशन सिंदूर सिर्फ सैन्य शक्ति का प्रतीक नहीं है, यह भावनाओं, बलिदान और संकल्प की कहानी है। यह बदलते भारत की गूंज है — अब हम सिर झुकाकर आँसू नहीं बहाते, सिर उठाकर जवाब देते हैं। भारत अब तकनीक, साहस और दृढ़ संकल्प के साथ आतंकवाद का समूल नाश करेगा।
अब आँसू नहीं बहेंगे — अब इतिहास लिखा जाएगा।