Yaar Papa - Divya Prakash Dubey in Hindi Book Reviews by राजीव तनेजा books and stories PDF | यार पापा - दिव्य प्रकाश दुबे

Featured Books
Categories
Share

यार पापा - दिव्य प्रकाश दुबे

कुछ किताबें आपको अपने पहले पन्ने..पहले पैराग्राफ़ से ही अपने मोहपाश में बाँध लेती हैं तो कुछ किताबें आपके ज़ेहन में शनैः शनैः प्रवेश कर आपको अपने वजूद..अपनी मौजूदगी से इस हद तक जकड़ लेती हैं कि आपसे बीच में रुकते नहीं बनता है और आप किताब के अंत तक पहुँच कर ही दम लेते हैं।दोस्तों..आज मैं यहाँ लेखक दिव्य प्रकाश दुबे के 'यार पापा' के नाम से लिखे गए एक ऐसे उपन्यास की बात करने जा रहा हूँ जो अपनी कहानी के साधारण होने बावजूद भी धीरे-धीरे आपके मन-मस्तिष्क पर इस कदर हावी होता चला जाता है कि आप उसे पूरा किए बिना रह नहीं पाते।इस उपन्यास के मूल में कहानी है देश के बड़े नामी वकील मनोज साल्वे और उससे अलग रह कर पुणे में कानून की पढ़ाई कर रही, उससे नाराज़ चल रही बेटी साशा की। जिनके आपसी रिश्ते में इस हद तक उदासीनता पनप चुकी है कि वह अपने बाप से बात तक नहीं करना चाहती। राजनीतिक गलियारों एवं बॉलीवुड तक पर अपनी गहरी एवं मज़बूत पकड़ के लिए जाने जाने वाले मनोज साल्वे का अपनी बेटी से सुलह का हर प्रयास विफ़ल होता है कि इस बीच मीडिया में एक हँगामासेज ख़बर फैलती है कि मनोज साल्वे की वकालत की डिग्री नकली है। एक तरफ़ उस पर अपनी बेटी एवं पत्नी से रिश्ते सामान्य करने का दबाव है तो दूसरी तरफ़ अदालत में अपने खिलाफ़ चल रहे नकली डिग्री के मामले से भी उसे बाहर निकलना है। ऐसे में अब देखना ये है कि तमाम तरह की दुविधाओं निकलने के इस प्रयास में क्या मनोज सफ़ल हो पाता है अथवा नहीं। अर्बन यानी कि शहरी कहानी के रूप में लिखे गए इस उपन्यास को पढ़ते वक्त बीच-बीच में कुछ एक जगहों पर अँग्रेज़ी में लिखे गए वाक्यों को भी पढ़ने का मौका मिला। जिसकी वजह से बतौर पाठक मुझे इस किताब के एक ख़ास वर्ग तक ही सीमित रह जाने का अंदेशा हुआ। साथ ही इस उपन्यास की कहानी के सबसे अहम ट्विस्ट के साथ बड़ी दिक्कत ये लगी कि कोई भी इनसान किसी जाली या फर्ज़ी डिग्री के साथ इतने बड़े मुकाम तक भला कैसे पहुँच सकता है? क्या पुलिस-प्रशासन सब आँखें मूंद कर सोए पड़े थे? साथ ही सोने पर सुहागा के रूप में एक कमी ये लगी कि उसे अपनी ग़लती सुधारने और फ़िर से डिग्री हासिल करने के लिए कॉलेज में एडमिशन भी मिल जाता है?इस उपन्यास को पढ़ते वक्त कुछ एक जगहों पर प्रूफरीडिंग की छोटी-छोटी कमियों के अतिरिक्त एक-दो जगहों पर वर्तनी की त्रुटियाँ भी दिखाई दीं। उदाहरण के तौर पर पेज नंबर 79 में लिखा दिखाई दिया कि..'वh हल्के - से मुस्कुराया और करवट लेकर सो गया'यहाँ 'वh हल्के - से' की जगह 'वह हल्के से' आएगा। पेज नंबर 80 में लिखा दिखाई दिया कि..'डेविड किनारे पर बैठ हुआ था। वे दोनों को देखकर मुस्कुरा था'यहाँ 'दोनों को देखकर मुस्कुरा था' की जगह 'वह दोनों को देखकर मुस्कुरा रहा था' आएगा। पेज नंबर 89 में लिखा दिखाई दिया कि..'एक लड़की जो समझदार थी, वह अपने गुस्से से बार-बार हार जा रही थी'यहाँ 'बार-बार हार जा रही थी' की जगह 'बार-बार हार रही थी' आना चाहिए। इसी पेज पर और आगे लिखा दिखाई दिया कि..'क्योंकि तुम मम्मी को 100 प्यार करती हो और मुझे 99'यहाँ 'क्योंकि तुम मम्मी को 100 प्यार करती हो और मुझे 99' की जगह ''क्योंकि तुम मम्मी को 100 ℅ प्यार करती हो और मुझे 99℅' आएगा।पेज नंबर 133 में लिखा दिखाई दिया कि..'जैसे भारत के कुछ प्रदेश में एक समय पर कुछ अनकहे नियम थे'यहाँ 'जैसे भारत के कुछ प्रदेश में' की जगह 'जैसे भारत के कुछ प्रदेशों में' आएगा। पेज नंबर 143 की अंतिम पंक्ति में लिखा दिखाई दिया कि..'मैंने जब सायकॉलजी और फ़िलॉसफ़ी दोनों से अपने पोस्ट पोस्ट ग्रेजुएशन कर लिया'यहाँ 'दोनों से अपने पोस्ट पोस्ट ग्रेजुएशन कर लिया' की जगह 'दोनों से अपना पोस्ट पोस्ट ग्रेजुएशन कर लिया' आएगा। पेज नंबर 181 में देखा दिखाई दिया कि..'मनोज ने इशारे से कहा, बस दो मिनट और अगले दो घंटे में मनोज के 2 घंटे नहीं आए'यहाँ बात 'दो मिनट' की हो रही है। इसलिए ये वाक्य सही नहीं बना। सही वाक्य इस प्रकार होगा कि..'मनोज ने इशारे से कहा, बस दो मिनट और अगले दो घँटों में मनोज के दो मिनट नहीं आए'पेज नंबर 194 में लिखा दिखाई दिया कि..'जाओ मनोज! मीता ने कहा, "स्पेशल बैच है, इतने बड़े आदमी के साथ पास हो रहा है'दृश्य के हिसाब से यहाँ 'जाओ मनोज' के बजाय 'आओ मनोज' आना चाहिए। पेज नंबर 215 में दिखा दिखाई दिया कि..'ये ऐसे ही था जैसे रिटायर होने बाद कोई खिलाड़ी दुबारा उतरता है'यहाँ 'रिटायर होने बाद' की जगह 'रिटायर होने के बाद' आएगा। • फ़ज - फोर्ज (जालसाज़ी)• पुछ - पुंछ (आँसू) - पेज नम्बर 184223 पृष्ठीय इस उपन्यास के पेपरबैक संस्करण को छापा है हिन्दयुग्म प्रकाशन ने और इसका मूल्य रखा गया है 299/- जो कि मुझे ज़्यादा लगा। आने वाले उज्ज्वल भविष्य के लिए लेखक एवं प्रकाशक को बहुत-बहुत शुभकामनाएं।