अरुण की बात सुनकर लीला बोली,"लिव इन के बारे में मैने भी सुना है।आजकल शहरों।मे एक नया प्रचलन शुरू हुआ है।लड़के औऱ लड़की बिना शादी क़े साथ रहते हैं।तू भी रह रहा है तो ठीक है।"किकिकुछ देर तक चुप रहन्द5के बाद लीला बोलज5"तो इसमें परेशानी क्या है।शादी क़े बाद तू बहु क़े साथ अलग रहने लगना
"बात यह नही है।"माँ की बात सुनकर अरुण बोला था।
"तो क्या बात है?"
और माँ के पूछने पर
अरुण और अरुणा बिना किसी के निजी मामलों में दखल दिए साथ रह रहे थे।एक रात अरुण टी वी देख रहा था।अरुणा भी पास आ बैठी।वह एतराज फ़िल्म देख रहा था।और एक रोमांटिक द्रश्य देखकर अरुण ने हाथ पकड़कर अरुणा को अपनी तरफ खेंचा था।
"यह तुम क्या कर रहे हो?"अरुण की पकड़ से निकलते हुए अरुणा आश्चर्य से बोली थी।
"प्यार।"अरुण बोला था
"नहीं।"उसका इशारा समझते हुए वह बोली थी।
"क्यो नही?"अरुण ने प्रश्न किया था।
"क्या तुम नही जानते जो मेरे से पूछ रहे हो।"अरुणा ने उसके प्रश्न का जवाब प्रश्न से ही दिया था।"ननही जानता तो तुम ही बता दो।"
"तुम मेरे साथ अंतरंग सम्बन्ध चाहते हो"?
"हां।"अरुण ने गर्दन हिलाकर जवाब दिया था।
"क्या तुम नही जानते हमारे यहाँ, औरत और आदमी शादी करके पति पत्नी बन जाते हैं तभी उनके बीच शारीरिक सम्बन्ध बन सकते हैं।"अरुणा ने उसे समझाया था।
"जब हमें शादी करनी है।पति पत्नी बनना है तो क्या फर्क पड़ता है।शारीरिक सम्बन्ध पहले बने या बाद में।"अरुण बोला था।
"फर्क पड़ता है।बहुत फर्क पड़ता है
"क्या?"
"हर कुंवारी लड़की अपनी पहली रात का सपना देखती है।सुहागरात की मधुर स्मृतियां और प्रथन मिलन का एहसास हर विवाहिता की धरोहर होता है। यह अवसर हर औरत के जीवन मे एक ही बार आता है।मेरे में भी"अरुणा बोली थी।
"जरूरी तो नही है वह शादी के बाद आये अगर पहले आ जाता है तो इसमें क्या बुराई है।"
अरुण और अरुणा के पास अपने अपने तर्क थे और जवाब भी लेकिन आखिरकार अरुण ने अपने तर्को से अरुणा को संतुष्ट कर लिया।फिर भी मन मे एक झिझक थी उसके बावजूद अरुणा ने समर्पण कर दिया और उस दिन के बाद अरुणा ने समर्पण करने से पहले कभी भी अरुण से यह नही पूछा कि शादी कब कर रहे हो।
और अरुण बोला,"माँ, मैने अरुणा से शादी का वादा किया है।
बेटे की बात ने उसे सोच में डाल दिया।वह काफी देर तक मा को देखता रहा।फिर बोला,"माँ मैने शादी का वादा करके उसे मजबूर किया था।अगर अब मैं अपना वादा पूरा नहीं करता तो बेवफा कहलाऊंगा
बेटे की बात सुनकर लीला सोच में पड़ गयी।गहरी सोच में।एक तरफ उसका सहेली से वादा की वह अपने बेटे की शादी उसकी बेटी से ही करेगी।दूसरी तरफ उसके बेटे का विश्वास, वो विश्वास जो उसने अरुणा को दिया था।एक तरफ उसका वादा था दूसरी तरफ बेटे का।वह कुछ निर्णय नहीं कर पा रही थी
"माँ तू क्या सोच रही है।माँ इस दुनिया मे तेरे अलावा मेरा कोई नही है।अगर तू कहेगी तो मैं तेरी पसन्द की लड़की से शादी कर लूंगा,"अरुण की बात ने मा को अतीत से बाहर ला दिया"पर तु भी एक औरत है।अब तू ही बता क्या मुझे अरूण से किये वादे को भूल जाना चाहिए