The digital world and human civilization in Hindi Book Reviews by नंदलाल मणि त्रिपाठी books and stories PDF | डिजिटल दुनियां और मनवीय सभ्यता

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डिजिटल दुनियां और मनवीय सभ्यता

डिजिटल दुनिया और मानवीय
सभ्यता

तकनीकी विकास वर्तमान समय को विज्ञान वैज्ञानिक युग के परिप्रेक्ष्य में प्रामाणिकता प्रदान करते हुए नित्य पल प्रहर नव पहल करता है और कल्पनाओं को अपने अनुसंधान से साकार रूप प्रदान करता है!

विज्ञान वैज्ञानिक कल्पना के अनुसंधान की इसी वर्तमान प्रक्रिया ने समय समाज को विकास के उत्कर्ष की शिखर ऊँचाई तो प्रदान कर ही रहा है, साथ ही साथ सामाजिक संस्कृति सोच संस्कार को भी परिवर्तित कर नई संस्कृति संस्कार को जन्म दे रहा है!

निश्चित रूप से प्रत्येक अनुसंधान विकास का अपना महत्व समाज के लिए होता है, साथ ही साथ अनुसंधान एवं विकास के सापेक्ष सुखद अनुभूति तो पीड़ा दायक दुःखद अंतर्मन छिपा होता है, कारण स्पष्ट है कि प्रत्येक अनुसंधान उत्साह ऊर्जा का संचार करता हुआ मानवीय वैभव को बढ़ाता है तो जोखिमों को भी आमंत्रित करता है!

वर्तमान समय के अत्याधुनिक आविष्कारों में डिजिटल जीवन शैली है जिसने मानवीय समाज सभ्यता को नई वेदना संवेदना के साथ नए सामाजिक, राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य परिवेश को जन्म दिया है, जो सुखद संवर्धक संरक्षक सचेत जागृत का जागरण है, साथ-साथ विनाश के आपराधिक अवधारणा का भी शस्त्र शास्त्र। लेखक श्री अरशद रसूल द्वारा वर्तमान समय की डिजिटल दुनिया में बदलती सामाजिक, सांसांस्कृतिक एवं आपराधिक स्थितियों परिस्थितियों पर आधारित कालजयी कृति साइबर चेतना समाज को सचेत करती वर्तमान के विकासोन्मुख वैज्ञानिक युग में अनिवार्य अपरिहार्य सामाजिक सांस्कृतिक परिवर्तन में मानवीय मूल्यों को अक्षुण्ण अक्षय रखने का सराहनीय प्रयास करती है!

लेखक अरशद रसूल ने अपनी पुस्तक में डिजिटल दुनिया एवं सामाजिक सरोकार से संबंधित विभिन्न पहलुओं को ध्यान में रखते हुए विषय वस्तु को छब्बीस अध्याय में मशीन निर्भरता, कम होती याददाश्त से यूपीआई सेफ्टी गाइड, सुरक्षित रखें लेन-देन तक विभक्त करते हुए उसके उपयोग दुरुपयोग पर बहुत बारीक पैनी दृष्टि डाली है!

अरशद जी का उद्देश्य कालजयी कृति साइबर चेतना के लिए बहुत स्पष्ट है। उनकी हृदय की गहराइयों एवं अपनी पूरी योग्यता, दक्षता, क्षमता से यही है कि समय, समाज, राष्ट्र एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मानवीय संवेदना आधुनिक वैज्ञानिक अनुसंधान के सकारात्मक सार्थक का बोध करे एवं लाभ उठाते हुए लाभार्थी बने। अरशद रसूल जी ने अपनी कालजयी कृति साइबर चेतना के माध्यम से संपूर्ण मानवता को एवं मानवीय मूल्य को सचेत करते हुए डिजिटल दुनिया के जोखिमों के प्रति सतर्क करने का प्राण-पण से प्रयास किया है जो निश्चित रूप से अनुकरणीय एवं सराहनीय है!

लेखक ने डिजिटल पर समाज की निर्भरता के विभिन्न पहलुओं पर बहुत सारगर्भित विचार प्रस्तुत किया है। उनकी पुस्तक साइबर चेतना मानवीय सभ्यता, संस्कार को डिजिटल निर्भरता की सीमा में बाँधने का कोई प्रयास नहीं करती, बल्कि स्वच्छंद, निर्भीक डिजिटल दुनिया को मानवीय सभ्यता की आवृत्ति, आचरण के रूप में प्रस्तुत करती है। एआई, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग, दुरुपयोग एवं अपराध की नई सोच, साइबर क्राइम आदि विषयों से आद्योपांत सुरक्षित एवं सतर्क करती है!

डिजिटल दुनिया का मानवीय समाज, सभ्यता, संस्कार के सकारात्मक वैश्विक परिवर्तन को उत्साहित करती, ऊर्जा प्रदान करती है तो वात्सल्य का डिजिटलाइजेशन से सतर्क करती है, जो सभ्य सार्वभौमिक स्वतंत्र शक्तिशाली सक्षम समाज के निर्माण में बाधक है। तो साइबर अपराध से समय समाज को आगाह करती, जागरण, जागृति का संवाद, आवाहन, शंखनाद करती है!

वास्तव में अरशद रसूल जी की अनमोल कृति साइबर चेतना समय समाज की आवश्यकता भी है, जो वर्तमान वैज्ञानिक युग में मानवीय सभ्यता, संस्कार को उसके मूल सिद्धांतों से भटकने से बचाते हुए मानवीय चेतना कल्याण का पथ उजियार करती है!

नन्दलाल मणि त्रिपाठी
पीताम्बर,
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश