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स्नेहिल नमस्कार मित्रों !
हम सब जीवन के धूसर रास्तों से परिचित हैं" जीवन कभी भी सीधी सपाट रास्ते पर नहीं चलता,। उसका ऊपर-नीचे होना ही जीवन की स्वाभाविक गति है । कभी हम टीलों पर चढ़ते हैं तो कभी खाइयों को पार करते हैं ।
जीवन में सुख और दुख दोनों ही हमारी यात्रा का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। ऐसा कोई इंसान नहीं है जिसने केवल सुख ही देखा हो या केवल दुख ही देखा हो। उसके हिस्से केवल सफ़लता आई हो अथवा केवल असफलता! हम सबके जीवन में संघर्ष और परेशानियाँ जीवन का वह अहं भाग हैं जो हमें मजबूत बनाती है। हमें समझाती हैं कि हमारी क्षमताएं कितनी बड़ी हैं। ये हमारे भीतर की इच्छाशक्ति को जागृत करती हैं। हमें आत्मनिर्भर बनना सिखाती है। बिना कठिनाइयों के जीवन अधूरा है। ये हमारे व्यक्तित्व को निखार कर हमें बेहतर इंसान बनने में सहायक सिद्ध होती हैं। ये ही हमें जीवन के सुख, सफलता का महत्व बताती हैं। अगर जीवन में केवल सफलता ही हो तो कोई भी कभी भी अपने भीतर की शक्ति को पहचान नहीं सकेगा। हर सफलता के दरवाजे से असफलता झांक रही होती है और हर असफलता के झरोखे से सफलता। इसीलिए हमें किसी भी परिस्थिति में घबराना नहीं है, विबेक का आँचल नहीं छोड़ना है । विवेक वह माँ का आबचल है जो हमें अपनी कोमल सनुभूति के साये में कड़ी धूप से बचाता है । बस, हमें अपना हौसला बनाये रखनया है, विवेक को बनाए रखना है ।
दुःख को दूर करने के लिए सबसे अच्छी दवा है कि उसका चिंतन छोड़ दिया जाये। क्योंकि चिंतन से वह लगातार बढ़ता जाता है। कोई भी दुःख हमारे जीवन में बिना किसी वजह के नहीं आता है। यह एक संकेत है कि हमारे जीवन में कुछ बदलने का वक़्त आ गया है। जो हमें आत्मनिरक्षण करने, चीजों को स्वीकार करने, ध्यान केंद्रित करने, दृढ़ निश्चय बनाने और आगे बढ़ने में मदद करता है। इसलिए जीवन में सुख और दुःख दोनों अनिवार्य हैं। घोर अंधकार में जिस प्रकार हमें दीपक नन्हा सा प्रकाश मार्ग दिखा ता है उसी प्रकार दुःख का अनुभव कर लेने पर सुख का आगमन एक नवीन आशा, व ऊर्जा का संचार करता है आनंदप्रद होता है। बस। हमें इसी आनंद को प्राप्त करने के लिए जीवन में शांति व विवेक से चलते हुए आनंदपूर्ण जीवन की ओर कदम बढ़ाने हैं ।
अपने हृदय में पूरे विश्व के प्रति मंगलकाए भरकर सबके लिए जीवन शुभ, शुभ्र हो, यही चिंतन करना है सर्वे भवन्तु सुखिन : !!
इति
आप सबकी मित्र
डॉ. प्रणव भारती
अहमदाबाद