2013की समाप्ति होने को थी गाँव के लोग इस बात में डूबे थे कि हमनें 2013में क्या क्या किया और 2014 में क्या क्या करेंगे। सब 2014के आगमन पर उत्साहित थे लोगों ने 2014के आने की खुशी में रात भर जाग कर खुशियाँ मनाई ।
गांव की ही एक बूढ़ी दादी को रात भर नींद नहीं आई शायद रात शोर के कारण ,जब सुबह दादी मुझसे मिली तो उन्होंने कहा बेटा हृदय कचोट रहा है आने वाला समय गंभीर हो सकता है अपना और अपने गाँव के लोगों का ध्यान रखना , मैंने कहा-दादी बी.पी. की दवा खाई? ..मै उनकी बातें कभी गंभीरता से नहीं लेता था क्योंकि गाँव वालों का कहना था जब से उनके पति की मृत्यु हुई है तब से वो पागलों की तरह बहकी-बहकी बातें करती हैं।उन्होंने कहा-नहीं बेटा ।मैंने उनकी दवा खिलाई और कहा कि दादी आराम करो। मैं मन ही मन सोचता रहा कि पति की अकाल मृत्यु फिर बेटा अचानक लापता हो जाये तो कोई भी स्त्री पागल हो ही जाएगी ।
मैं गाँव का प्रधान था मगर साथ ही साथ B.C.A. का कोर्स भी कर रहा था तो ज्यादातर मैं गाँव में नहीं रहता दरअसल हमारा गांव छोटा सा है और प्रधान वाले सारे काम मेरे भैया देख लेते है, बस मुझको डाक्यूमेंट्स पर सिग्नेचर भर करना रहता , लेकिन गाँव में कोई भी समस्या होने पर मैं गाँव लौटता और समस्या का समाधान होने पर ही गाँव से बाहर जाता । मैं शहर में था तो पता चला कि पड़ोस के एक चाचा की अचानक मौत हो गयी, जहाँ एक तरफ लाश देखने से और कमरे की हालत देखने से लग रहा था कि आत्महत्या हो वहीं गाँव के कुछ लोग कह रहे थे कि इस मौत कारण वही दादी है। मैंने police को फोन किया और वो आयी और लाश को ले गयी। मैं बूढ़ी दादी से मिलने उसके कुटिया में गया तो देखा कि वो जमीन की तरफ ध्यान के सिर झुकाये आँखों में आँसू लिये कह रही थी अनहोंनी शुरू हो गई है ,हे भगवान ! रक्षा कर । थोड़ा तो मैं भी डर गया लेकिन फिर सोचा छोड़ो दादी पागल है,
दो दिन भी नहीं हुए तब से खबर आई की गाँव के एक आदमी की और मौत हो गई उसकी मौत गाँव के बगल के एक कंपनी में हुई जहाँ वह काम करता था, यह भी बड़ी अजीब बात थी कि 35 साल के आदमी की मौत अचानक कैसे हो गई क्योंकि उसके शरीर पर न कोई घाव मिला और न ही उसे कोई बीमारी थी हो सकता है कंपनी सही से जानकारी नहीं दे रही थी। लाश गाँव में आई उस आदमी की माँ जिसका रो रो कर बुरा हाल था लाश देखकर बेहोश हो गयी ,उसके पत्नी ने उसकेे सीने पे हाथ पटक-पटक कर चूड़िया तोड़ दी और 6 वर्ष की अबोध लड़की को तो ये भी न पता था कि उसके सिर पर अब बाप का हाथ न रहा वो तो बार -बार मुझसे ये पूछ ही थी कि पापा बाहर क्यूँ सोये है और ये सब भीड़ क्यूँ लगाए हैं भैया?अब मैं उसे क्या जवाब दूँ ,मैं बस आँखो में आँसू भरे रह गया। वहाँ पर बूढ़ी दादी भी थी वो वहाँ पर भी बस यही कह रही थी कि मौत का तांडव शुरू हो गया है रक्षा कर भगवान।
यहाँ दो मौतों से तो गाँव वाले परेशान थे ही कि तब से दूसरे सप्ताह एक 12 साल के बच्चे की भी नदी के किनारे लाश मिली उसके माता -पिता छाती पीट-पीट कर रो रहे थे इस मौत का जिम्मेदार भी बूढ़ी दादी को ठहराया जा रहा था और अब मेरा दिमाग खराब हो रहा था मैं तुरंत दादी के पास गया और गरजते हुए बोला- गाँव मे हो रहे मौत के पीछे तुम जिम्मेदार हो?उसने डरते हुए कहा -ना..फिर गुस्से से पूँछा-क्या गाँव में हो रही मौतों के बारे में तुम कुछ जानती हो?उससे पहले की मैं कुछ और कहता कि उसने डरे हुए आवाज में कहा-हाँ जानती हूँ।
अचानक से मेरे मन में ये बात आई कि अरे यार इतने बूढ़े औरत से ऐसी आवाज में बात कितनी गलत बात है फिर मैंने दादी से माफी मांगी ।उन्होंने कहा-कोई बात नहीं बेटा ,ये लगभग एक महीने पहले की बात है जब मैं अपने लापता बेटे को खोजते खोजते एक जगह से दूसरे भटक रही थी मुझें जंगल में एक परिवार मिला जो एक छोटी सी बच्ची को मार रहे थे तो मैंने उसे बचाया तो उस परिवार में से एक आदमी ने कहा इसे बचा तो रही है मगर बाद में पछतायेगी बहुत । मैंने उसकी बातें अनसुनी कर के उस लड़की को वहाँ से साथ लेकर चली गई वो लड़की पूरे रास्ते रोते रही मैंने बार - बार कहा बेटी मत रो, अब तू सुरक्षित है लेकिन वो रोती रही कुछ दूर जाने पर जंगल में एक कबीला मिला वहाँ एक औरत थी उसने कहा-अरे मूर्ख ये किसे लेकर घूम रही है? तेरा दिमाग खराब है जो इतनी बूढ़ी होकर इतनी बड़ी पत्थर की गुड़िया लेकर घूम रही है।मैंने सोचा कि कोई पागल है भला इतनी सुंदर जीती जागती बच्ची को पत्थर की गुड़िया कह रही है और बिना कोई उत्तर दिए वहाँ से चली गई ।
जब मैं उसके साथ गाँव लौटने लगीवह चुप हो गई और जैसे ही हम गाँव पहुँचे वह हँसने लगी , मुझे लगा हो सकता है अब वो खुद को सुरक्षित महसूस कर रही है तो मैंने उसके सिर पर हाथ रखा तो मुझे ऐसा लग मानो जैसे मैंने पत्थर छूआ हो । कुछ देर बाद उसने कहा मुझे भूख लगी है तो मैंने उसे दाल चावल दिया लेकिन उसने वह नहीं खाया और वहाँ से चली गयी । और फिर मुझे कभी न मिली तब मैं फिर जंगल में गयी और उस परिवार से मिली तो उन्होंने बताया जिसे तुम ले गयी हो उसके पास दो खतरनाक शक्तियां थी पहली वो बिना घाव किये बस छू कर किसी का भी खून पी जाती थी और दूसरी शक्ति थी कि वो जिस उम्र की चाहे वो उस उम्र की हो जाये इसी शक्ति से बच्ची बन उसने लोगों को अपने मदद के लिए बुलाकर उन्हें मार डालती थी और खून पी जाती थी एक दिन उसने एक आदमी को अपने जाल में फसाना चाहा मगर वो व्यक्ति एक सिध्द महात्मा निकला और उसने अपनी शक्ति से उसे इसी अवस्था में पत्थर की गुड़िया बना दी और हमें प्रेत योनि में जिंदा कर दिया ।
उस दुष्ट के रहम की बार-बार भीख मांगने पर महात्मा ने कहा जब कोई तुम्हारे लिए दया भावना दिखायेगा पत्थर की गुड़िया से इंसान बन जाओगी और जब वह तुम्हे मुक्त करा कर अपने साथ ले जाएगा तो धीरे-धीरे पूर्णतः ठीक हो जाओगी ।दादी ने कहा कि यह सब सुन कर वह बहुत डर गई और उनसे पूँछा की अब उससे कैसे बचें ?तो उन लोगों ने कहा-सिंह राशि का व्यक्ति ही उसे कैद कर सकता है लेकिन कैसे यह बात सिर्फ वो महात्मा ही जानते है।
अब मेरे सामने सवाल यह था कि उस महात्मा को कैसे ढूढें..मै जंगल गया और उन प्रेतों से मिला और उस कबीले में गया काफी लोगों से बात की तब जाकर पता लगा की वो मिर्जापुर के पास विंध्याचल पर्वत पर है। मैं वहाँ से निकला और विंध्याचल की ओर रवाना हुआ रास्ते में मुझे फ़ोन पर खबर मिली कि एक लड़की गाय चराने गयी थी और खेत में उसकी लाश मिली। अब समस्या और भी गम्भीर होती जा रही थी ,जल्द ही मैं विंध्याचल पहुँच गया ।
मेरी खोज आरंभ हो चुकी थी बहुत संघर्ष करने पर मैंने उनका पता खोज निकाला और उनसे मिलने पहुँच गया । उनसे इस बारे में बात की तो उन्होंने कहा बेटा मुझें और भी बहुत आवश्यक कार्य है इसलिए मैं तो नहीं आ सकता लेकिन ये 'नील मणि ' ले जाओ इसके मदद से कोई भी सिंह राशि का व्यक्ति उसे कैद कर सकता है इसे बस उसके मस्तक को को लगा देनाकिंतु ध्यान रहे इसका उपयोग केवल एक बार ही कर सकते हो और ये रुद्राक्ष की माला भी लो जब तक ये तुम्हारे गले में होगी तब तक वो तुम्हारा खून नहीं पी सकती ।
अब मेरे हाथ से पसीने छूट रहे थे करता भी तो क्या और कोई रास्ता भी तो नहीं था।मैं नील मणि लेकर गाँव की ओर रवाना हो गया।रास्ते में फिर फोन आया और 28 साल की जवान लड़के के मौत ही गयी, सफर खत्म कर मैं गांव आ गया और सारी बात दादी को बता दी ।
दादी ने बताया कि लोग तभी मरे है जब अकेले होते है तब हमनें तय किया कि मैं पूरे दिन व पूरे रात अकेले घूमूँगा कभी न कभी तो वो मुझे दिखेगी । करीब आधी रात के समय वो दिखी मुझे एक सुंदर सी स्त्री बन कर घूम रही थी मैं समझ गया वो मुझे अपने जाल में फसाना चाहती थी ,वो मेरे पास आई और कहने लगी अरे इतनी रात को क्यूँ घूम रहे हो , मैंने ये कहा ऐसे ही नींद नहीं आ रही थी तो उसने कहा ये बताओ कैसी लग रही हूँ ?
मैंने कहा -बहुत प्यारी ।वो हँसने लगी....और मेरे पास आईकहने लगी तुम अच्छे इंसान लग रहे हो ऐसा कह कर मेरे पास आकर खड़ी हो गई और मुझे छू कर मेरा खून पीने की कोशिश की मगर पी न पाई । तब वो समझ गयी कि कुछ तो गड़बड़ है और उसने मेरे गले मे रुद्राक्ष देखा तो मुझे पीछे धकेल दिया मैं गिर गया और जब उठने लगा तो उसने पास पड़े डंडे से मेरे गले की माला तोड़ दी अब मैं डर गया और थोड़ा पीछे हटने लगा वो मेरे पास आई और मेरे सिर को हाथ से छुई और कहने लगी अब तुझे कौन बचाएगा...
अब सच में मैं बुरी तरह डर गया था कि अब मुझे कौन बचाएगा ?मैंने भागने की कोशिश की मगर उसने तुरंत मेरा गला पकड़ लिया , मैं क्या करूँ समझ न आ रहा था ,वो मुझे हवा में टांगे जा रही थी, मेरी जान निकलने वाली थी।तभी अचानक से ध्यान आया कि नील मणि तो मेरे जेब मे ही है मैंने तुरंत उसके माथे पर उसे लगा दिया और वो कैद तो हो गई मगर मैं डर बहुत गया।सच में यह मेरे जिंदगी सबसे ख़तरनाक घटना थी।जब भी मुझे , ये याद आती हैं मेरे रोंगटे खड़े हो जाते है पर खुश हूँ
-कुमार शिवम हिंदुस्तानी