Jalot - A mysterious creature in Hindi Children Stories by Jagmal Dhanda books and stories PDF | जलोट - एक रहस्यमयी जीव

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जलोट - एक रहस्यमयी जीव

             जलोट - एक रहस्यमयी जीव

बात उन दिनों की है जब 10 - 15 साल तक के बच्चे स्कूल कॉलेज में कम और गाय, भैंस, भेड़  बकरी व चरने वाले जीवों को चराने ज्यादा जाते थे। ऐसा ही एक चरवाहे का बच्चा है जिसका नाम है दीपा। दीपा पढ़ाई में समझदार नहीं था। वह हर दिन शरारत करता रहता था। तंग आकर उसका पिता उसे अपने साथ गाय भैंस चराने ले जाता है। दीपा को एक शौक था कि वह जिस भी छोटे जीव को देखता उसको डंडों से मारने लगता। वह मुर्गी, चूहा, कबूतर, मोर व खरगोश जैसे जीवो को मारता और घर आकर अपनी मां को पका कर खिलाने को कहता।

एक दिन दीपा भैंस से चरा रहा था। भैसें, गाए अपना -2 चर रही थी। आकाश मे हल्के सफ़ेद बादलों के साथ पंछी भी उड़ान भर रहे थे। हल्की सी पवन की लहर कभी आती थी कभी धीमी हो जाती थी। एक टीले पर अपने पालतू कुत्ते के साथ बैठा दीपा चहोँ और नजर बनाए हुए था। अचानक उसकी नजर बड़े घास मे दिख रहे दो बड़े-बड़े कानों पर पड़ती है इतने बड़े कान देख दीपा लठ लेकर खड़ा हो जाता है। उसके मन में जिज्ञासा उठी कि आखिर यह जीव है कौन सा? उस दिन उसके हाथ में डंडा ना होकर लठ वह खड़ा होता है। हाथ में लठ लिए दीपा उस जीव की ओर बढ़ता है। आगे चलकर वह देखता है कि यह तो खरगोश है। लेकिन उसके बड़े-बड़े काम देखकर वह हैरान होता है। अब से पहले उसने इतने बड़े कानों वाला खरगोश कभी नहीं देखा था। दीपा धीरे से उसके पास गया उसने अपने दोनो हाथों में लिए लठ को उस खरगोश के सिर पर मारा। जैसे ही लठ उस खरगोश के सिर पर लगा। वैसे ही लठ हवा में 6 से 7 फीट ऊपर उछला। लठ को वापस हवा में वापिस उछलता देख दीपा बड़ा हैरान होता है। दीपा फिर घूमा के लठ मारता है। फिर से लठ खरगोश को लगकर हवा में उछलता है। दो लठ खाने पर खरगोश उठ खड़ा होता है। दीपा बड़ा हैरान होता है कि इसके सिर पर दो वार करने पर भी इसे कुछ नहीं हुआ। बल्कि लठ ही हवा में उछल गया। दीपा फिर लठ उठता है। तो उसे देख खरगोश भागने लगता है। दीपा अपने कुत्ते को इशारा करता है। कुत्ता खरगोश के पीछे लग जाता है। खरगोश अचानक रुक जाता है और कुत्ते को घूर कर देखने लगता है। कुत्ता डर कर पीछे हट जाता है। दीपा को कुछ समझ नहीं आता। वह खुद उसके पीछे लग जाता है। खरगोश थोड़ी दूर जाता है, फिर रुक जाता है।  जैसे ही दीपा उसके पास पहुंचता है खरगोश फिर भाग जाता है और आगे जाकर फिर रुक जाता है। जैसे ही दीपा दोबारा फिर उसके पास आता है। खरगोश फिर भाग जाता है। अंत में खरगोश ईख के खेत में घुस जाता है। जैसे ही खरगोश ईख के अंदर जाता है तो सारा एक हिलने लगता है। पूरा ईख कभी इधर डोलता है तो कभी उधर डोलता है। दीपा उस खरगोश को मारने के लिए जैसे ही ईख मे घुसने लगता है। तो पीछे से उसका पिता आवाज लगाकर बुला लेता है। वही ईख के अंदर से वह खरगोश दीपा को देख रहा था। दरअसल वह कोई खरगोश नहीं, बल्कि एक जलोट था। जलोट प्रकृति का वह जीव है जिसके पास अपना कोई शरीर नहीं होता। वह अपनी इच्छा से किसी का भी रूप धारण कर सकता है। उसका जलोट नाम भी पानी से पड़ा है। जैसे पानी को किसी भी पात्र में रखो वह रंग रूप से उसी पात्र जैसा हो जाता है। जलोट का अर्थ भी यही है जल + उट। जल = पानी व उट = मटका, घड़ा या कोई अन्य पात्र यानी जल + उट = जलोट।

     अब वह जलोटा अक्सर दीपा के आसपास भेस बदलकर रहने लगता है। जलोट कभी कुत्ते का रूप लेकर उसके सामने से निकलता है, तो कभी बिल्ली का, तो कभी कबूतर, तो कभी कोई दूसरा जीव। दीपा ऐसे ऐसे कुत्ते बिल्लों को देख देख कर बड़ा हैरान होता है। और उन्हें मारने के लिए उनके पीछे भागता है। लेकिन वह कभी उन्हें मार नहीं पता। उल्टा जलोट के प्रभाव से दीपा बहुत ज्यादा बीमार रहने लग गया। उसके पिता ने उसका इलाज हर जगह कराया। मगर कहीं से कोई फर्क नहीं पड़ा। अंत में उसका पिता उसे एक साधु के पास लेकर गया। उस साधु ने अपनी योग माया से देखा कि वह जलोटा ही उसे तंग कर रहा है। तब साधु ने दीपा को कहा कि वह उसे जलोट से क्षमा मांगे। नहीं तो वह उसे मार देगा। अब दीपा को नहीं पता था कि वह जलोट किस रूप में आ सकता है। तब उसने हर जीव की सेवा करना शुरू कर दिया ताकि वह जलोट से क्षमा मांग सके।

वह हर जीव से क्षमा मांगता है कि मुझे क्षमा कर दो। मैं आगे से ऐसा कुछ नहीं करूंगा। धीरे-धीरे दीपा की तबीयत में सुधार होने लग जाता है और अब वह पहले से ज्यादा खुश भी रहने लगता है।