alokik dipak - 3 in Hindi Love Stories by kajal Thakur books and stories PDF | अलौकिक दीपक - 3

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अलौकिक दीपक - 3

🌟 अलौकिक दीपक

भाग 1: रहस्यमयी भेट

बाबा के देहांत के बाद, आरव को उनका पुराना लकड़ी का संदूक मिला। उसमें से पुरानी किताबें, माला और एक पीतल का पुराना दीपक निकला। वह दीपक कुछ अलग ही चमक रहा था, मानो खुद कोई ऊर्जा उत्सर्जित कर रहा हो।उस दीपक के साथ एक चिठ्ठी भी थी —

"यह दीपक साधारण नहीं है, आरव। जब अंधेरा सब कुछ निगलने लगे, तब इसे जलाना... पर याद रखना, इसका उजाला सिर्फ उन्हें दिखेगा जो सच्चे हैं।"

आरव को यह सब बस बाबा की किसी धार्मिक भावना का प्रतीक लगा। पर रात को, जब बिजली चली गई और घर में अंधेरा हो गया, आरव ने दीपक को जलाने की ठानी…🔥 भाग 2: लौ में छिपा द्वार

जैसे ही आरव ने दीपक में तेल डाला और जलाया, लौ एक सामान्य दीपक की तरह न जलकर नीली हो गई। अचानक पूरा कमरा एक गहरी शांत ऊर्जा से भर गया।दीवार पर लौ की परछाई ने एक दरवाज़े का आकार ले लिया, और वो परछाई असली में बदल गई।

आरव ने डरते हुए उस दरवाज़े को छुआ — और पलक झपकते ही वह एक अनजानी जगह में पहुंच गया। वहां न सूरज था, न चाँद — पर सब कुछ चमक रहा था। हरे वृक्ष, आसमान में उड़ती चिंगारियाँ, और एक शांत सरोवर।

उसके सामने एक वृद्ध संत प्रकट हुए:

"तुमने दीपक जलाया, अब तुम चुने गए हो।"आरव स्तब्ध था, पर सवालों की बौछार उसके मन में उमड़ रही थी।✨ भाग 3: पांच तत्वों की परीक्षा

वृद्ध संत ने कहा, "यह दीपक सृष्टि के पाँच तत्वों से जुड़ा है — अग्नि, जल, वायु, पृथ्वी और आकाश। हर तत्व की परीक्षा पार करोगे, तभी दीपक का रहस्य पूर्ण रूप से प्रकट होगा।"

पहली परीक्षा थी — अग्नि की।आरव को एक अग्नि रथ में बिठाया गया और उसे एक ज्वालामुखी की ओर भेजा गया। वहां उसे अपने भीतर के क्रोध, लालच और भय को अग्नि में समर्पित करना था।बहुत कठिन था — जैसे ही उसने डर छोड़ा, अग्नि शांत हो गई और उससे एक लाल रत्न निकला।

यह अग्नि रत्न था — जो अब दीपक में खुद जाकर जुड़ गया।

अब अगली परीक्षा थी — जल की।और उसकी ओर यात्रा आरंभ हो चुकी थी

✨ अलौकिक दीपकभाग 4: जल की गहराइयों में प्रेम का प्रथम स्पर्श

जैसे ही अग्नि रत्न दीपक में जुड़ा, आरव को एक नीले प्रकाश ने घेर लिया। उसकी आँखें बंद हो गईं, और जब खोलीं — वह एक विशाल झील के किनारे खड़ा था। झील का जल इतना शांत था कि उसमें स्वर्ग का प्रतिबिंब दिख रहा था।

तभी पानी से एक मधुर स्वर सुनाई दिया।

"काफी समय हो गया, आरव... तुम लौट आए हो।"

वह एक युवती थी — स्वर्ग सी सुंदर, जल से बनी सी — पर सजीव। उसका नाम था "आध्या"।आरव उसे देखकर चकित रह गया — जैसे वह उसे जानता हो, बहुत पहले से... पर याद नहीं आ रहा।

आरव: “तुम... मुझे कैसे जानती हो?”

आध्या मुस्कुरा कर बोली: “क्योंकि मैंने ही तुम्हें इस दीपक की ओर भेजा है — कई जन्म पहले…”💧 भाग 5: बीते जन्मों की झलक

झील में एक कमल खिला, और उसकी पंखुड़ियों पर आरव को अपने पिछले जन्म की झलकें दिखीं।

वह एक साधारण ऋषिपुत्र था, और आध्या एक जलदेवी।उन्हें प्रेम हुआ था — पर देवताओं को यह स्वीकार न था।दीपक वही था जिसने उन्हें मिलाया और फिर बिछड़ने के बाद एक वादा लिया —

“जब समय सही होगा, ये दीपक फिर से जलेगा… और दो आत्माएं फिर मिलेंगी।”

अब वह समय आ चुका था।पर अभी चार तत्व और बाकी थे।🌬️ भाग 6: वायु का सत्य

अब आरव को एक तूफानी प्रदेश में ले जाया गया — जहां केवल हवा थी, रेत थी और भ्रम।वायु की परीक्षा में उसे अपने अहम, झूठ और भ्रम को त्यागना था।

तभी एक आवाज़ आई —

“सच्चे प्रेम में सबसे पहली कुर्बानी होती है — अपने अहम की।”

आध्या की छवि हवा में तैरने लगी। आरव ने आंखें मूंदी और अपने भीतर के भ्रमों को छोड़ दिया।

एक सफेद रत्न उसके हाथ में आया — वायु रत्न, जो दीपक में जाकर जुड़ गया।⛰️ भाग 7: पृथ्वी का भार

अगली परीक्षा थी पृथ्वी की।उसे एक पर्वत पर चढ़ना था, जहां हर कदम पर उसके संदेह और दुख उसे पीछे खींचते।

उसने देखा अपने बाबा की मृत्यु, अपनी असफलताएं, और अधूरे रिश्ते।

पर तभी आध्या की आवाज़ आई —

“जो अपने बीते दर्द को सहारा बनाकर चले, वही पृथ्वी का पुत्र कहलाता है।”

आरव ने हिम्मत दिखाई, और शिखर तक पहुँचा। वहां मिला पृथ्वी रत्न — एक गहरा भूरा पत्थर, जिसमें ऊर्जा धड़कती थी।🌌 भाग 8: आकाश में आत्मा की खोज

अब आरव एक शून्य में पहुंचा।न आवाज़, न दृश्य — केवल खामोशी और स्वयं का अस्तित्व।

यह आकाश तत्व था — जहां उसे खुद से मिलने की परीक्षा थी।वह अपनी आत्मा से मिला — और वहीं उसने जान लिया कि उसका प्रेम आध्या से केवल भावनात्मक नहीं, आध्यात्मिक बंधन है। वे आत्माएं हैं, जो युगों से जुड़ी हैं।

आकाश ने उसे नीला रत्न दिया — अंतिम तत्व।🔮 भाग 9: दीपक की पूर्णता और खतरे की आहट

अब पांचों रत्न दीपक में जुड़ गए। दीपक अब अलौकिक शक्तियों का स्रोत बन गया।

पर तभी एक अंधेरी छाया प्रकट हुई — "विरज", वह शक्ति जो देवताओं ने आध्या और आरव को अलग करने के लिए भेजी थी।अब वह जाग चुका था — और दीपक को छीनना चाहता था।

वह बोला:

“तुम्हारा पुनर्मिलन सृष्टि के नियम तोड़ रहा है। अब या तो दीपक दो, या फिर… एक-दूसरे को भूल जाओ।”❤️ भाग 10: प्रेम की अग्निपरीक्षा

आरव ने आध्या का हाथ थामा।

“अगर हमें फिर बिछड़ना ही है, तो मैं दीपक को नष्ट कर दूंगा… पर तुम्हें नहीं छोड़ूंगा।”

आध्या ने मुस्कराकर कहा:

“पर प्रेम में शक्ति है, आरव। चलो, दीपक की लौ से विरज का अंत करें…”

उन्होंने दीपक को हवा में उठाया। पाँचों रत्न चमक उठे।विरज की छाया जलने लगी। और अंततः एक प्रकाश विस्फोट के साथ सब शांत हो गया।

दीपक शांत हो गया — पर अब वह सिर्फ एक वस्तु नहीं, उनकी आत्माओं का संरक्षक बन चुका था।

यदि आप चाहो, तो मैं आगे की कहानी (भाग 11 से 20) में यह दिखा सकता हूँ