Lunar Blood - 6 in Hindi Thriller by Sameer Kumar books and stories PDF | Lunar Blood - 6

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Lunar Blood - 6


लाल भेड़िया, मार्कस, अपनी नई और भयानक शक्ति के साथ लिलीवुड के खंडहरों से निकला। उसका अगला कदम पूर्वनिर्धारित था, उसके भीतर की आदिम आत्मा उसे उस स्थान की ओर खींच रही थी जहाँ उसके शरीर का अंत हुआ था – वह गुफा जहाँ भेड़ियों ने उसका दिल खाया था। रात की तेज़ हवा में उसकी गंध, उसके भीतर की भूख और प्रतिशोध का संदेश लेकर जंगल में फैल रही थी। उसकी आँखें लाल अंगारों की तरह चमक रही थीं, जो अँधेरे में भी रास्ता दिखा रही थीं। मार्कस को अब किसी मार्गदर्शक की ज़रूरत नहीं थी; उसके भीतर की शक्ति उसे उसके लक्ष्य की ओर धकेल रही थी।
एक लंबी छलांग में, लाल भेड़िया पलक झपकते ही गुफा के मुहाने पर पहुँच गया। वह स्थान अभी भी खून और मृत्यु की गंध से भरा था। गुफा के भीतर, वही भेड़िये मौजूद थे जिन्होंने मार्कस का दिल खाया था। वे वहीं, गुफा के अंदर, अपनी-अपनी जगह पर बैठे थे, उनके मुँह पर अभी भी मार्कस के खून के निशान थे। वे सभी सामान्य भेड़ियों से बड़े और ज़्यादा क्रूर दिख रहे थे, उनकी आँखें रात में चमक रही थीं। लेकिन जैसे ही लाल भेड़िया गुफा के मुहाने पर दस फ़ीट की विशालकाय आकृति में खड़ा हुआ, उनकी क्रूरता अचानक भय में बदल गई।
लाल भेड़िया की आँखें उन भेड़ियों पर टिकीं, एक-एक करके, जैसे वह उनकी आत्माओं को छेद रहा हो। भेड़ियों ने, जो खुद को जंगल का सबसे शक्तिशाली शिकारी मानते थे, कभी ऐसी शक्ति का अनुभव नहीं किया था। वे दहशत में आ गए। उनमें से एक भेड़िया, जो झुंड का सरदार था और जिसने मार्कस का दिल खाया था, धीरे-धीरे ज़मीन पर झुक गया। उसकी आँखें अब लाल नहीं, बल्कि डर से काँप रही थीं। एक-एक करके, सभी भेड़िये अपनी गर्दनें झुकाकर, लाल भेड़िया के सामने एक अजीबोगरीब श्रद्धा और भय के साथ पेश आए, जैसे वे किसी देवी या देवता के सामने झुक रहे हों। यह जंगल का नियम था; सबसे शक्तिशाली के सामने सिर झुकाना।
लाल भेड़िया ने एक गहरी साँस ली, और उसकी गर्जना गुफा में गूँज उठी, जो केवल एक आवाज़ नहीं थी, बल्कि एक चेतावनी थी। वह धीरे-धीरे भेड़ियों की ओर बढ़ा, उसके हर कदम से ज़मीन हिल रही थी। उसकी लाल आँखें गुस्से से भरी थीं, लेकिन उनमें एक अजीब सी गणना भी थी। यह सिर्फ़ बदला नहीं था; यह शक्तियों का संतुलन था, एक ऐसा अनुष्ठान जो पूरा होना ही था।
लाल भेड़िया ने अचानक अपने सामने झुके हुए सरदार भेड़िया को उठाया। भेड़िया का शरीर उसकी पकड़ में किसी खिलौने जैसा लग रहा था। सरदार भेड़िया चीखा, लेकिन उसकी आवाज़ लाल भेड़िया की पकड़ में दब गई। बिना किसी हिचकिचाहट के, लाल भेड़िया ने अपने विशाल पंजों से सरदार भेड़िया के सीने को चीर दिया। उसकी मांसपेशियाँ फटीं, हड्डियाँ टूटीं, और खून का फव्वारा गुफा के फ़र्श पर फैल गया। उसने सरदार भेड़िया का अभी भी धड़कता हुआ दिल अपने हाथों में लिया और बिना किसी हिचकिचाहट के, उसे अपने मुँह में डाल लिया और चबाने लगा। उसके भीतर की आत्मा ने उस दिल से ऊर्जा को अवशोषित किया, जो उसे और शक्तिशाली बना रही थी। यह एक भयानक और आदिम दृश्य था, जो एलारिया के सबसे गहरे रहस्यों में से एक था – शक्ति का स्थानांतरण।
जैसे ही लाल भेड़िया ने सरदार भेड़िया का दिल खाया, गुफा में मौजूद बाकी भेड़िये दहशत में आ गए। उन्होंने पहले कभी ऐसी क्रूरता नहीं देखी थी, ऐसी शक्ति नहीं देखी थी। उनके डर ने उनके सम्मान को कुचल दिया। एक पल भी बर्बाद किए बिना, सभी भेड़िये अलग-अलग दिशाओं में भागे, अपनी जान बचाने के लिए। वे नहीं जानते थे कि कहाँ जाएँ, बस इस राक्षस से दूर जाना चाहते थे।
लेकिन लाल भेड़िया उन्हें इतनी आसानी से जाने देने वाला नहीं था। उसकी गति अविश्वसनीय थी। एक झटके में, वह गुफा के एक कोने में भागे हुए भेड़िये के पास पहुँच गया। भेड़िये ने अपनी पूरी ताक़त लगाकर हमला करने की कोशिश की, लेकिन लाल भेड़िया ने उसे आसानी से पकड़ लिया, जैसे कोई छोटा जीव हो। फिर से, एक ही क्रूर वार में, लाल भेड़िया ने उसका सीना चीर दिया और उसका दिल खा गया। यह सिलसिला जारी रहा। लाल भेड़िया, अपनी भयानक गति और अदम्य शक्ति के साथ, एक-एक करके सभी भेड़ियों का पीछा करता रहा। उसने किसी को नहीं छोड़ा।
गुफा के भीतर, खून और चीखों का तांडव मच गया। लाल भेड़िया हर भेड़िये को दबोचता रहा, उनका सीना चीरता रहा, और उनका दिल खाता रहा। हर दिल के साथ, उसकी शक्ति और ज़्यादा बढ़ती गई, उसकी आँखें और ज़्यादा लाल होती गईं, और उसके भीतर की आदिम आत्मा और ज़्यादा शक्तिशाली होती गई। यह सिर्फ़ बदला नहीं था, यह वेयरवोल्फ की प्राचीन शक्ति का पुनरुत्थान था। भेड़ियों ने मार्कस का दिल खाकर अनजाने में एक ऐसे जानवर को जगा दिया था जो उनकी कल्पना से भी ज़्यादा भयानक था। वे अब अपने ही किए कर्मों का फल भुगत रहे थे।
जब सभी भेड़िये मर चुके थे, और उनके दिल लाल भेड़िया के पेट में समा चुके थे, तो गुफा में भयानक सन्नाटा छा गया। लाल भेड़िया अब उस गुफा के केंद्र में खड़ा था, उसके शरीर से भाप निकल रही थी और उसकी मांसपेशियाँ हर पल फैलती और सिकुड़ती महसूस हो रही थीं। उसका विशालकाय शरीर अब और भी ज़्यादा गठीला और शक्तिशाली लग रहा था। उसकी आँखें अब केवल लाल नहीं थीं; उनमें एक गहरी, प्राचीन चमक थी, जो ब्रह्मांड की आदिम ऊर्जा को दर्शाती थी।
उसने अपने चारों ओर देखा, खून और लाशों से पटी गुफा में। उसके भीतर का प्रतिशोध अब तक शांत नहीं हुआ था, बल्कि और ज़्यादा बढ़ गया था। यह सिर्फ़ शुरुआत थी। अब वह एलारिया पर अपना कहर बरपाने के लिए तैयार था।
लाल भेड़िया ने अपनी गर्दन आकाश की ओर उठाई। बादलों से घिरा लाल चाँद अभी भी अपनी लालिमा बिखेर रहा था। उसने अपनी पूरी शक्ति को इकट्ठा किया और एक भयानक हाउल (गरजना) की, जो इतनी ज़ोरदार थी कि उसने गुफा की दीवारों को हिला दिया और जंगल के पेड़ों को अपनी जड़ों से हिला दिया। यह गर्जना सिर्फ़ एक आवाज़ नहीं थी; यह एक घोषणा थी। यह एलारिया के हर कोने तक पहुँची, वैम्पायरों के गढ़ों तक, सम्राट ड्रेकोनियस के महल तक, और वेयरवोल्फ साम्राज्य के केंद्र तक।
यह गर्जना कह रही थी:
“मैं वापस आ गया हूँ। मैं लाल भेड़िया हूँ। मेरा बदला शुरू हो चुका है। एलारिया, अब मेरा कहर देखेगी!”
इस हाउल ने एलारिया के सभी शक्तिशाली प्राणियों को एक बार फिर हिला दिया। ड्रैकुला ने अपने गढ़ में इस हाउल को सुना और उसकी आँखें गुस्से से लाल हो गईं। सम्राट ड्रेकोनियस ने अपने महल में इसे सुना और उनके सलाहकार भयभीत हो गए। वेयरवोल्फ सम्राट ग्रेगोर ने भी इसे सुना, और उनके भीतर का भेड़िया सम्मान और चिंता के साथ उछल पड़ा। हर कोई जानता था कि अब एलारिया में कुछ बहुत बड़ा होने वाला था। मार्कस, अब लाल भेड़िया, अपनी यात्रा के अगले चरण के लिए तैयार था, एक ऐसी यात्रा जो उसे एलारिया के सबसे अँधेरे कोनों तक ले जाएगी और उसका नाम इतिहास में दर्ज कर देगी।