Meera Prem ka Arth - 9 in Hindi Love Stories by sunita maurya books and stories PDF | मीरा प्रेम का अर्थ - 9 - मैं चला जाऊंगा

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मीरा प्रेम का अर्थ - 9 - मैं चला जाऊंगा

मीरा गोल घूम रही थी उसके ऊपर फूलो की बारिश हो रही थी... उसके चेहरे पर एक बड़ी सी मुस्कान थी। जिसे देख माधव के चेहरे पर भी एक मुस्कान आ गई। और उसकी मुस्कान को केमरे में कैद करने लगा ......सभी उसको मुस्कुराते हुए देख रहे थे। मीरा रुकी और मुस्कुराते हुए माधव की तरफ देखने लगी....... मीरा को अपनी तरफ देखता देख माधव की नज़र भी कैमरे से हट कर मीरा पर आ गई। दोनो एक दूसरे को मुस्कुराते हुए कुछ पल यूहीं देखते रहे .......माधव ने फोटो खिंचने के लिए एक बार कब्रिस्तान की तरफ और फिर मीरा की तरफ देखा तो मीरा अचानक उसकी आंखो के सामने से गायब हो गई। माधव इधर उधर अपने नजरे घुमाने लगा और मीरा को ढूंढने लगा....इधर उधर जाने लगा .जब वो पीछे मुड़ने लगा तो अचानक उसके सामने कोई आ गया .वो कोई और नहीं बल्की मीरा थी .....मीरा उसको देख मुस्कुरा रही थी। जिसे देख माधव के सांसों में सांस आई .और उसने राहत की सांस ली और मीरा से पूछने लगा ......कहाँ चली जाती हो मैं कितना परेशान हो गया था पता है ........

माधव आगे कुछ बोलता उसने पहले मीरा ने उसको चुप कराने के लिए उसके होठों पर अपना हाथ रख दिया। मीरा के हाथों का स्पर्श होते ही माधव अचानक शांत हो गया और मीरा को देखने लगा। उसके पेट में एक मीठी मीठी सी गुदगुदी महसूस होने लगी। .

.....मीरा ने अपने हाथ माधव के होठों से हटाये और इशारों में बोलना शुरू किया... ..अरे मैं तो इधर ही थी तुम्हें दिखाई नहीं दी क्या। फ़िर उसके सर पर एक टपली मारते हुए बोली.... ध्यान कहाँ रहता है अच्छा छोड़ो अब आओ मेरे साथ...मीरा ने उस का एक हाथ पकड़ा और ले जाके उस को वहां बनी एक छोटी दीवार पर बैठा दी। और अपने हाथ में लिए एक कपड़ा जो और कुछ नहीं बल्की राजस्थान में बांधी जाने वाली पारंपरिक पगड़ी थी.... जिसे मीरा ने माधव के सर पर बांधना शुरू कर दिया.... माधव ने कुछ नहीं कहा वो एक छोटे बच्चे की तरह बस मीरा का चेहरा देख रहा था ....पगड़ी बांधते हुए मीरा बीच बीच में माधव को देखती और मुस्कुरा कर अपने काम में लग जाती . ....

मीरा ने उसकी पगड़ी बांधी और फिर मुस्कुराते हुए उसकी तरफ देखने लगी... और उसने अपनी आंखों की किनारे से काजल निकाला और माधव के कान के पीछे लगा कर उसकी बलाय लेली....और फिर उसका हाथ पकड़ के सबके सामने ले आई .,.....माधव को देख के उसके सारे दोस्त सब उसकी तारीफ करने लगे और कुछ सिटिया बजाने लगे .........तभी अचानक किसी ने मीरा के सर पर एक पगड़ी रख दी। मीरा ने पीछे देखा तो वहा नाच रही कुछ औरते खड़ी उन्ही औरतों ने बाकी सबको भी वो पगड़ी पहना दी... और सभी मिलके नाचने लगे। सभी ने माधव के कैमरे से काफी सारी फोटो क्लिक करवाई।सभी एक साथ पूरे पैलेस में घुमने लगे... हंसते खेलते कब दोपहर से शाम हो गई किसी को पता नहीं चला। शाम के 5 बज रहे थे. सभी लोग घूम कर सिटी पैलेस के बाहर आ गये। ......बाहर आने के बाद वो लोग जाने के लिये सब अपनी अपनी बाइक पर बैठ गए। माधव भी अपनी बाइक पर बैठा वो हेलमेट पहन रहा था तभी उसके कंधे पर मीरा ने थपथपाया तो उसने मीरा की तरफ देखा और पूछा.... क्या हुआ मीरा?....

मीरा ने माधव की तरफ देखा और अपने पेट पर हाथ रख कर इशारे में बोली......मुझे भूख लगी है...माधव ने मीरा का इशारा समझ लिया और बोला...... अच्छा चलो बैठो अभी रास्ते में कोई होटल या ढाबा देखते हैं ठीक है .......मीरा ने भी हा में सर हिलाया और वो माधव के पीछे बाइक पर बैठ गई। और सब वहां से चल दिये ......रास्ते में वो लोग एक होटल पर रुके, वहां पर खाना पीना किया और फिर सुधा और मीरा को उसके हॉस्टल के बाहर छोड़ दिया .......माधव ने अपने दोस्तों को जाने का इशारा किया। माधव के इशारा पाकर वो लोग चले गए। माधव मीरा के पास आया और बोला.......मीरा कैसा रहा आज का दिन? मतलब तुम्हें अच्छा तो लगा ना......

माधव के इस सवाल के जवाब में मीरा मुस्कुराई और अपने इशारों में बोली... हा आज का दिन मेरे लिए बहुत अच्छा था और मुझे बहुत मजा आया। फिर माधव की देखते हुए बोली..... वो सब तो ठीक है लेकिन मेरा गिफ्ट कहा है वो दिख नहीं रहा ये तो सरप्राइज था ना.... लेकिन मेरा गिफ्ट .......

मीरा की बात सुन माधव थोड़ा निराश हो गया लेकिन वो बोला... अरे मुझे पहले से पता होता कि तुम्हारा जन्मदिन है तो मैं कुछ अच्छा सा गिफ़्ट लेता तुम्हारे लिए ...लेकिन ना तुमने मुझे बताया और ना ही इसने.... माधव सुधा की तरफ इशारा करते हुए बोला.......लेकिन तुम चिंता मत करो मैं तुम्हारे लिए कोई अच्छा सा गिफ्ट लेके जरूर आउंगा...बताओ तुम्हें क्या पसंद है?......मैं तुम्हें तुम्हारी पसंद का गिफ्ट दूंगा......

मीरा ने माधव को देखा और मुस्कुराते हुए इशारों में बोली.....आज जो तुमने मेरे लिए किया वही सबसे अच्छा गिफ्ट था। मेरे आजतक के जन्मदिन पर सबसे अच्छा गिफ़्ट था। फिर कुछ सोचते हुए मीरा बोली... और अगर तुम मुझे कुछ देना ही चाहते हो तो तुम एक काम कर सकते हो ......माधव ने मीरा की तरफ देखा और बोला.... क्या ?....मीरा ने अपनी बात आगे बढ़ाते हुई बोली....यहीं की तुम एक अच्छे, मेहनती, और काबिल ओफीसर बनो। और अपनी जिंदगी में कामयाबी हसिल करो। क्या तुम मुझे यह गिफ़्ट दे सकते हो ?........

मीरा की बात सुन माधव भी मुस्कुराया और बोला....अरे बस इतनी सी बात थी अरे ये तो मैं कर ही सकता हूँ...और मैं तो अभी से काबिल,मेहनती। और इमानदार हूं....और ऑफिसर तो मैं बन ही जाऊंगा और एक दिन एक अच्छे पोस्ट पर भी आऊंगा देखा ना तुम। लेकिन क्या तुम भी मुझसे एक वादा करोगी.........माधव की बात सुन मीरा ने कन्फ्यूज होके पहले सुधा को देखा और फिर माधव की तरफ देखकर इशारे में बोली......कैसा वादा?...

फिर माधव मीरा के थोड़ा करीब आया और धीरे से बोला...... यहीं की हम हमेशा ऐसे ही साथ रहेंगे। देखो मैं कोई भी बात दिल में नहीं रखता जो होता सब बता देता हूं। इसलिए ये बात भी मैं तुम्हें बताना चाहता हूं उसके बाद मैं ये फैसला तुम पर छोड रहा हू कि ये बात सुनने के बाद तुम मेरे साथ रहना भी चाहोगी या नहीं ........फिर एक लंबी सांस छोड़ता हुए मीरा की आंखों में देखकर बोला....मीरा तुम्हारे साथ रहते रहते मुझे तुमसे प्यार हो गया मैं ये कैसे कहूँ मीरा आई लव यू.....माधव ने अपनी बात ख़तम की लेकिन ये कहते हुए उसकी सांसे काफी तेज़ हो गई थी। पेट में अजीब सी गुदगुदी महसूस हो रही थी....मीरा ने माधव की बात सुनी और फिर हेरानी से माधव को देखने लगी फिर एक नजर सुधा को देखी फिर मुड़कर माधव को देखने लगी... .....

मीरा को अपनी तरफ ऐसा देखता हुआ देख माधव और भी ज्यादा नर्वस हो गया और बोला... क्या हुआ ऐसा क्यों देख रही हो। मैंने कहा तो है मुझे इस तरह से मत देखा करो ........तभी मीरा ने माधव को रुकने का इशारा किया और बोली...... क्या कहा तुमने कि तुम मुझसे ........ इतना कहकर मीरा रुक गई। और इतनी बात सुनके माधव की सांसे अटक गयी उसको लगा मीरा शायद गुस्सा हो गई है अब वो शायद उससे कभी बात भी ना करे साथ रहने की तो दूर की बात है। ये बात माधव के दिमाग में आते ही है, माधव हड़बड़ी में मीरा को समझाने की कोशिश करने लगा..

....मीरा देखो प्लीज गुस्सा मत होना। मैं तुमसे कोई बात छुपाना नहीं चाहता था इसलिए मैंने तुमसे अपने मन की बात कह दी। मेरी फ़िलिंगस मैंने तुम्हे बता दी ...... लेकिन तुम गुस्सा मत करो... अच्छा मैंने जो बोला मैं उसको वापस लेता हूं ...... ठीक है ...... माधव हड़बड़ी में बोलने लगा .. मीरा उसको ध्यान से देख रही थी .जब उसको लगा कि माधव की बाते ख़त्म हो गई तो मीरा कुछ कहने की कोशिश करने लगी तभी सुधा ने मीरा का हाथ पकड़ के उसको पीछे खींचा और गुस्से से माधव से कहने लगी....... पागल हो गए हो तुम क्या बोल रहे हो प्यार वो भी मीरा से। तुम्हें तो सिर्फ उंगली पकड़ने के लिए कहा था तुम तो सीधे हाथ ही पकड़ रहे हो। तुम्हें सिर्फ दोस्ती करने के लिए कहा था। ये प्यार व्यार नहीं समझे। फिर मीरा की तरफ गुस्से से देखते हुए बोली.....

मीरा मैंने कहा था , इसके जैसे लड़कों से दोस्ती करने के लिए लेकिन तुम नहीं मानी। अब देखो अब कह रहा है इसको तुमसे प्यार हो गया है। उसकी बात सुन माधव कुछ कहने वाला था उसकी बात काटते हुए सुधा ने कहा....... तुम कुछ बोलना मत मैं सब समझती हूँ तुम बस मीरा से सिनपैथी दिखा के ये सब बोल रहे हो। फिर उसको गुस्से से अपनी उंगली दिखाते हुए बोली। ....ये मत भूलना कि मैं उसके साथ हु मेरे रहते तुम उसके साथ कुछ भी बुरा नहीं का सकते समझे। ...और आज के बाद मीरा से मिलने की कोशिश मत करना समझे तुम। ......इतना कहकर सुधा ने मीरा का हाथ पकड़ा और उसको अपने साथ ले जाने लगी...मीरा ने भी सुधा को काफी रोकने की कोशिश की लेकिन वो किसी कि सुन ही नहीं रही थी. माधव ने भी सुधा को काफी समझाने की कोशिश की। उस को शांत रहने के लिए कहने लगा। सुधा के साथ चलते हुए वो उसको समझने की कोशिश कर रहा था। तब तक सुधा मीरा का हाथ पकड़ के हॉस्टल के गेट से अंदर चली। और माधव को सिक्यूरिटी गार्ड ने गेट पर ही रोक लिया .....माधव बस निराश होकर मीरा को जाते हुए देख रहा था। मीरा भी परेशान होकर पीछे खड़े माधव को देखने लगी। माधव मीरा की आँखों में दर्द साफ देख पा रहा था और ये भी की मीरा भी कुछ कहना चाहती थी.....लेकिन क्या ?.....

जाती हुई मीरा भी माधव को देखकर परेशान हो रही थी। मीरा के दिल में भी माधव के लिए फीलिंगस आने लगी थी। वो भी उसके साथ खुश रहती थी। उसके साथ अपने आपको महफूज समझती थी.. मीरा को माधव के साथ रहना उससे बातें करना अच्छा लगता था। और आज जो भी उसने माधव के लिए महसूस किया था। वो भी वो माधव से शेयर करना चाहती थी। लेकिन अब वो ऐसा नहीं कर सकती थी. यहीं सब मीरा सोचते हुए हॉस्टल के गलियारे से होते हुए सुधा उसको मीरा के कमरे तक ले आई। और बाहर खड़ा माधव बस यही सोच में था कि ऐसा भी क्या बोल दिया उसने। ....फिर अपने चेहरे से परेशानी हटाते हुए अपने ही मन में बोला....कुछ भी हो जाए मैं बात तो करके रहूंगा .मुझे किसी से कुछ लेना देना नहीं मुझे बस मीरा का फैसला सुनना है कि वो क्या चाहती है......ये सोचते हुए माधव ने अपने कदम पीछे ले लिए और वहां से चला गया...

यहा मीरा अपने कमरे में फ्रेश होके बाथरूम से आई और बालकानी में आके खड़ी हो गई अब तक अंधेरा हो चुका था चारो तरफ उजाला हो रखा था लेकिन आज मीरा चेहरे की चमक फिकी पड़ी हुई थी। सुधा ने मीरा को देखा और बोली....मीरा आओ सो जाओ...... सुधा की बात मीरा कानो में तो पड़ी थी लेकिन दिमाग तक नहीं पहुंची थी.... इसलिए सुधा अपनी जगह से उठी और धीरे से मीरा के पास जाके खड़ी हो गई और उसके कंधे पर हाथ रखकर उससे पूछने लगी। ..मीरा तुम ठीक तो हो ना.... इस बात का मीरा ने कोई जवाब नहीं दिया बस बालकनी से बाहर की तरफ देखे जा रही थी....फिर अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए सुधा ने मीरा से कहा....... मीरा देखो तुम्हारे लिए यहीं अच्छा होगा कि तुम माधव से दूर रहो। ऐसे लड़के बस फ़ायदा उठाना जानते हैं देखा ना तुमने। पहले उसने दोस्ती के लिए कहा और आज कह रहा है वो तुमसे प्यार करता है। सब झूठ है भला कुछ ही महीनों में किसी को प्यार हो सकता है...ये बात सुनके मीरा ने सुधा की तरफ देखा...मीरा को अपनी बात पर रिएक्ट करता देखा सुधा ने कहा.. सही कहा ना मीरा इतने कम समय में कैसे किसी को प्यार हो जाएगा। मैं तो नहीं मानती.... ये कह कर जब सुधा बिस्तर की तरफ जाने लगी तो मीरा ने सुधा का हाथ पकड़ लिया .

....सुधा ने मीरा की तरफ मुड़कर देखा। मीरा की आँखो में आंसू थे। जिसे देख सुधा समझ गई कि वो क्या कहना चाहती थी ....सुधा मीरा की बचपन की दोस्त थी। वो उसकी भाषा के साथ-साथ उसके मन में क्या चल रहा हैं वो भी अच्छे से समझ लेती थी.....सुधा मीरा के पास आई और उसके गालों पर प्यार से अपने हाथों में लेते हुए बोली...... मीरा कहीं तुम्हें भी तो माधव से... सुधा अपनी बात को कहते कहते रुक गयी। ...इस्के जवाब में मीरा ने अपनी आँखे बंद कर ली. जिस्से उसके आंसू आंखो से लुढक कर नीचे गालो तक आगये... सुधा ने मीरा की हालत देखी और उसको बाजू से पकड़ के उसको बिस्तर पर बैठा दिया। अब तक मीरा की आंसुओं की रफ़्तार भी बहुत तेज़ हो चुकी थी। होठों की खामोशी ने सिसकियों का रूप ले लिया था। मीरा बिस्तर पर बैठ गई .उसके दोनो हाथ उसकी गोद में थे और चेहरे की नीचे की तरफ था ......

सुधा मीरा के पास बैठ गई और मीरा का चेहरे को अपनी तरफ करते हुए बोली... मीरा तुम ऐसा नहीं कर सकती हो तुम्हें पता है ना। वो लोग तुम्हें ऐसा नहीं करने देंगे। ये बात सुन मीरा का रोना एक दम से बंद हो गया और वो सुधा को निराशा भरी आंखो से देखने लगी। ....फिर अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए सुधा ने मीरा से कहा...मीरा मैंने तुम्हें रोकने की कोशिश की थी लेकिन तुम मानी नही ....

मीरा ने सुधा की बात सुनी और फिर अपने हाथों को हवा में लहराते हुए इशारों में बोलना शुरू किया...,.. लेकिन सुधा मुझे उसका साथ अच्छा लगता है। उसके साथ रहना उस से साथ बात करना उसकी बा ते सुन्ना. तुम्हारे बाद सिर्फ माधव है जो मुझे समझता है मेरी बातों को मेरी फीलिंग को .तुम तो जानती हो ना मेरी इस कमी की वजह से सब मुझे पसंद तो करते हैं लेकिन कोई मुझे बात करना या मेरे साथ बैठना पसंद नहीं करता। ... लेकिन उसने क्या किया वो मुझसे बात कर सके इसके लिए उसने साइन लैंग्वेज सिखी. और तो और अपने बिजी शेड्यूल में उसको जो आराम करने का समय मिलता है उसमें भी वो मुझ से मिलने आता है .......तुम्ही बताओ ऐसे कैसे प्यार नहीं होगा ऐसा इंसान जो इतना एफर्ट करता है सिर्फ मुझसे बात करने के लिए ,मुझे देखने के लिए ......ये कहते ही मीरा की आँखों से आंसू बहने लगे......मीरा को ऐसे रोता देख सुधा खड़ी हुई और मीरा को अपने सीने से चिपका लिया। मीरा ने भी अपने दोनों हाथ सुधा की कमर पर रख लिया। .......कुछ देर तक सुधा मीरा ने माथे पर हाथ सहलाती रही। जब मीरा थोड़ी शांत हुई तो सुधा ने मीरा से कहा......लेकिन मीरा अगर उन्हें पता चला तो वो क्या करेंगे तुम्हारे साथ। इस्लिए मीरा अगर तुम माधव को खुद कहो कि वो तुमसे ना मिले तो शायद वो ना आये...और फिर अपने आप से अलग करके कहा... यहीं तुम्हारे लिए सही होगा मीरा। ....ये बात सुन मीरा ने सुधा की तरफ देखा। मीरा की पलकें पूरी तरह से गिली और आंखे लाल हो चुकी थी। और धीरे धीरे सिस्किया ले रही थी. जिसे देख सुधा ने अपने हाथों से मीरा की आंसू पोछे और प्यार से उसके सर को सहलाने लगी।.....

फिर अपने दोनों हाथों में मीरा का चेहरा लेकर सुधा ने समझाते हुए कहा...... ठीक है, अभी शुरुआत है अगर अभी पीछे हट जाओगी तो ज्यादा अच्छा होगा। तुम्हारे लिए भी और माधव के लिए भी। ..सुधा की बात सुन मीरा ने कुछ नहीं कहा बस उसकी नम आंखो से एक आंसू गिर कर उसके गालों तक चला गया। ......

मीरा का कॉलेज...... मीरा अपने एक कमरे में बैठी उसके हाथ में एक किताब थी। कमरे में हवा आ रही थी. जिसे कि उस किताब के पन्नो लगातार इधर से उधर हो रहे थे जिसकी आवाज से पूरा कमरा गूंज रहा था.ये वही जगह थी जहां अक्सर मीरा अपने डांस की प्रैक्टिस करती थी। किताबों के पन्ने इधर उधर हो रहे थे लेकिन मीरा पर कोई असर नहीं था। क्योंकि उसका ध्यान किताब पर नहीं कहीं और ही था। वो किसी सोच में पड़ी थी। हवाये उसके बालो के साथ खेल रही थी। वही सुधा भी बैठी बस मीरा को देख रही थी। तभी उसने देखा कि मीरा ने अपनी पलकें झपकाई और कमरे के गेट की तरफ देखने लगी। फिर सुधा ने भी हेरानी से गेट की तरफ देखा तो वहा से माधव आ रहा था ......वो आज अपनी पूरी यूनिफॉर्म में था ...उसने भारतीय सेना की पोशाक पहनी थी। सर पर कैप, पेरो में लेदर शूज, चेहरे पर कोई भाव नहीं थे ,मस्कुलर बॉडी,जिससे उस पर यूनिफॉर्म और भी ज्यादा अच्छी लग रही थी .....माधव अपनी जूतो की आवाज करते हुए मीरा की तरफ बढ़ने लगा। ये देख मीरा भी हडबड़ी में खड़ी हो गई.....उसके साथ-साथ सुधा भी खड़ी हो गई वो दोनो लगातार अपनी तरफ आ रहे माधव की तरफ देखने लगी। कुछ ही देर में माधव उन दोनों के बिल्कुल सामने खड़ा था ........कुछ देर के लिए मीरा और माधव की नज़र एक दूसरे से टकराई। माधव ने ध्यान से देखा तो मीरा की आँखों में उदासी थी .और कुछ कुछ लाल भी थी .और आज उससे मिलने के बाद मीरा के चेहरे पर कोई भी मुस्कुराहट नहीं थी. .....जिसे देख माधव सोचने लगा कि शायद मीरा को उसकी बातों का बुरा लगा .....उसने मीरा से कुछ कहना चाहा... मीरा तुम ठीक हो ना आज तुम्हारी तबीयत कुछ ठीक नहीं लगती मुझे . बताओ ना क्या हुआ.... माधव मीरा के माथे को छूने लगा। ....तभी सुधा ने माधव का हाथ पकड़कर झटकते हुए कहा। .......

तुम्हें मना किया था ना मीरा से मिलने की कोशिश मत करना। तुम फिर भी आ गये आज। ....उसके जवाब में माधव ने इरिटेट होते हुए सुधा से कहा। ...... मैं मीरा से मिलने आया हूं जो कि मैं हमेशा करता हूं। और ये कोई गलत काम नहीं है और वैसे भी तुम्हारे कहने से क्या मैं तुम्हारी बात मान जाऊंगा कभी नहीं समझी। फिर मीरा की तरफ देखते हुए बोला...मीरा तुम ठीक तो हो ना .......

सुधा फिर से माधव की बात काटते हुई बोली।.....मीरा बिल्कुल ठीक है और तुम्हें मीरा की इतनी चिंता करने की जरूरत नहीं है। ...चलो अब जाओ यहाँ से !...

सुधा की इस बात पर माधव ने अपनी आवाज़ को थोड़ा क करते हुए कहा... मैं चला जाऊंगा!...







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