O Mere Humsafar - 3 in Hindi Drama by NEELOMA books and stories PDF | ओ मेरे हमसफर - 3

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ओ मेरे हमसफर - 3

( प्रिया एक विशेष लड़की है जो लंगड़ाकर चलती है, इसलिए हर रिश्ता टूट जाता है। सिंघानिया परिवार भी उसे रिजेक्ट कर देता है, जिससे परिवार में दुख छा जाता है। प्रिया हिम्मत नहीं हारती और मृणालिनी की मंगनी में जाती है, जहां उसकी पहली मुलाकात कुणाल राठौड़ से होती है — एक बहादुर और आकर्षक युवक, जो गुंडों से एक लड़की को बचाता है। प्रिया उसके व्यक्तित्व से प्रभावित होती है, लेकिन जल्दबाज़ी में अपनी कार समझकर कुणाल की कार में बैठ जाती है, जिससे एक हल्की-फुल्की शर्मनाक पर दिलचस्प टक्कर होती है।)

प्रिया अपने बिस्तर पर लेटी थी, लेकिन उसका मन कहीं और था। उसकी सोच बार-बार कुणाल के इर्द-गिर्द घूम रही थी। उसका चेहरा उसकी आंखों के सामने बार-बार उभर रहा था। एक हल्की मुस्कान उसके होठों पर आ गई।

बिना सोचे-समझे वह उठी और कमरे से बाहर निकल आई।

जैसे ही वह बाहर आई, किचन से आती सुगंध ने उसे रोक दिया। माँ ने आज हर चीज़ बड़े प्यार से बनाई थी — रसीले पकोड़े, मीठे गुजिया, मसालेदार सब्ज़ी।

प्रिया ने एक पकोड़े की तरफ हाथ बढ़ाया ही था कि माँ की आवाज़ गूंज उठी —

"खबरदार! ये सबसे पहले रिया खाएगी।"

प्रिया का चेहरा थोड़ा लटक गया, लेकिन उसने माँ को गुस्से से देखा। ये देख वैभव हँस दिया।

उसी समय दरवाजे की घंटी बजी। प्रिया ने झट से जाकर दरवाज़ा खोला। सामने खड़ी थी उसकी बड़ी चचेरी बहन — रिया, सुंदर, शांत, और सजीव।

"रिया दीदी आ गई!" प्रिया चहक उठी।

दोनों बहनों ने गले मिलकर हालचाल पूछा।

रिया जितनी संजीदा थी, प्रिया उतनी ही चुलबुली। नौकर रिया का सामान उसके कमरे में रख आए। रिया ने वैभव और कुमुद के पैर छुए।

"बेटियाँ पैर नहीं छूतीं," वैभव ने मुस्कुराकर टोका।

"जी चाचू, अगली बार से ध्यान रखूँगी," रिया ने कहा।

कुमुद ने उसका माथा चूमते हुए पूछा, "पढ़ाई कैसी चल रही है?"

"ठीक चल रही है, छह महीने में परीक्षा है," रिया ने जवाब दिया।

"वाह! फिर तो मैं आईएएस अफसर की बहन बन जाऊंगी!" प्रिया ने मज़ाक किया। सब हँस पड़े।

रात के खाने पर रिया की पसंद का सब कुछ था। वैभव ने कहा,

"तुम आ गई हो तो अच्छा है। प्रिया का पढ़ाई में मन नहीं लगता, शायद तुमसे कुछ प्रेरणा मिले।"

यह सुनकर प्रिया का चेहरा उतर गया। रिया ने मुस्कुराकर कहा,

"हमारी प्रिया शायद किसी और बड़े मकसद के लिए बनी हो।"

"हर असफलता यही नहीं कहती कि किसी और काम के लिए बने हो," वैभव ने गंभीरता से कहा।

कुमुद ने कहा, "कल मंदिर चलना है। दोनों बहनें साथ चलना।"

...

रात को रिया न्यूज चैनल देख रही थी।

"दीदी, एक दिन बिना न्यूज देखे रह नहीं सकतीं क्या?"

"आईएएस की तैयारी में यह ज़रूरी है," रिया बोली।

टीवी पर उद्घोषक ने कहा,

"स्वागत कीजिए — बिजनेस टायकून कुणाल राठौड़ का!"

कुणाल की एंट्री होते ही प्रिया का ध्यान उसकी ओर खिंच गया। वह हल्की मुस्कान के साथ उसे देखती रही। रिया ने भी उसकी उत्सुकता नोट की।

---

अगली सुबह - मंदिर प्रकरण

पूरे परिवार ने मंदिर में पूजा की। पूजा के बाद वैभव ने कहा,

"तुम दोनों घर जाओ, हमें पुजारी जी से कुछ बात करनी है।"

रिया और प्रिया बाहर पार्किंग में कार का इंतजार करने लगीं।

"तू यहीं रुक, मैं कार देखकर आती हूँ," रिया ने कहा।

प्रिया अकेली खड़ी थी। तभी एक युवक ने अचानक उसके गले से चैन झपट ली।

प्रिया गिरने ही वाली थी कि एक मजबूत हाथ ने उसे थाम लिया। उसने आँखें बंद कर लीं। डरते-डरते जब उसने आँखें खोलीं, सामने कुणाल था।

"त...तुम?" प्रिया हकलाई।

"गले में चोट लगी है," कुणाल ने शांति से कहा।

ड्राइवर ने फर्स्ट एड बॉक्स लाकर दिया। कुणाल ने खुद दवा लगाई।

तभी एक आदमी स्नैचर को पकड़कर ले आया।

"बॉस, पुलिस के हवाले कर दें?"

स्नैचर गिड़गिड़ाने लगा —

"बहनजी, माफ कर दीजिए। अब ऐसा कभी नहीं करूंगा।"

प्रिया ने सख्ती से कहा —"ठीक है, पर अगली बार मत करना!"

कुणाल ने इशारा किया, "छोड़ दो, जब इसने माफ कर दिया तो..."

स्नैचर झट से भाग गया। कुणाल ने प्रिया को घूरा। शायद यह बात उसे पसंद नहीं आई।

प्रिया ने "थैंक्यू" कहा, लेकिन कुणाल उसे इग्नोर कर कार में बैठ चुका था।

जैसे ही वह कार निकली, सामने उसकी अपनी कार आ गई। प्रिया आगे बढ़कर उसमें बैठ गई।

1. क्या प्रिया की शारीरिक कमी उसकी सच्ची मोहब्बत का रास्ता रोक पाएगी?

2. क्यों बार-बार किस्मत प्रिया और कुणाल को आमने-सामने लाती है?

3. क्या प्रिया को वाकई वो हमसफ़र मिलेगा, जो उसे उसकी कमजोरी नहीं, उसकी ताकत समझेगा?

जानने के लिए पढ़ते रहिए "ओ मेरे हमसफ़र"।