नेहा: 24 वर्ष की एक महत्वाकांक्षी लड़की, कॉर्पोरेट जॉब में नई-नई शामिल हुई है।
रिया: 27 साल की उसकी मैनेजर, सख्त, पर अंदर से बहुत अकेली।
करण: नेहा का कॉलेज वाला बॉयफ्रेंड, जो अब उससे शादी करना चाहता है।
नेहा ऑफिस में बैठी है, पर रिया से नज़रें नहीं मिला पा रही। पार्टी के बाद से दोनों के बीच अजीब सी चुप्पी है। वो रात अब भी उसके मन में धुंध की तरह बसी है। रिया उससे वैसे ही बात कर रही है जैसे एक सीनियर करती है — प्रोफेशनल, ठंडी और साफ़।
लेकिन नेहा के दिल में तो उबाल है।
नेहा (मन में):
"क्या सबकुछ सिर्फ उस रात तक था? क्या वो सिर्फ एक नशे का असर था?"
उधर करण नेहा को लगातार कॉल और मैसेज कर रहा है। जब नेहा जवाब नहीं देती, तो वो ऑफिस के बाहर पहुँच जाता है।
करण:
"किसी और की वजह से मुझे इग्नोर कर रही हो न? कोई लड़की...? तुम बदल गई हो नेहा..."
वो नेहा के फोन से कुछ पुरानी तस्वीरें निकालता है — कॉलेज के टाइम की — और उसे ब्लैकमेल करता है कि वो उसके पापा को सब कुछ बता देगा।
उस रात नेहा रोते हुए रिया के पास पहुँचती है।
नेहा (टूटती हुई):
"आप क्यों आई थीं मेरी ज़िंदगी में, अगर छोड़ देना था...?"
रिया उसका चेहरा थामती है।
रिया (धीरे से):
"क्योंकि मैं चाहती थी कि तुम मुझसे बेहतर ज़िंदगी जियो… जो मैंने कभी नहीं जी..."
दोनों के बीच सन्नाटा फैल जाता है।
नेहा आगे बढ़ती है और रिया को गले लगा लेती है। एक लंबा आलिंगन… कोई शब्द नहीं, सिर्फ धड़कनों की गूँज।
नेहा करण से मिलती है, और साफ कहती है:
"मुझे जिस तरह की ज़िंदगी चाहिए, वो तुमसे नहीं मिलेगी। और अब मैं किसी से डरूंगी नहीं।"
वो घर वालों को भी सच्चाई बता देती है — और खुद के लिए एक नई शुरुआत करती है।
रिया और नेहा अब भी साथ काम कर रहे हैं। दोनों ने अब तक कुछ नया शुरू नहीं किया — लेकिन एक इमोशनल बंधन, बिना नाम का, बिना परिभाषा का — अब उनके बीच ज़िंदा है।
नेहा ऑफिस से लौट रही होती है। रिया उससे थोड़ी दूर रह रही है, लेकिन दोनों के बीच अब भी एक नाज़ुक रिश्ता पनप रहा है। जैसे ही नेहा अपने घर पहुंचती है, उसका फोन बजता है।
एक अनजान नंबर से मैसेज आता है:
“रिया वो नहीं है जो तुम समझ रही हो… उसका अतीत खून से लिखा है।”
नेहा सिहर जाती है। वो रिया को कॉल करती है — लेकिन फोन स्विच ऑफ आता है।
नेहा (धीरे से खुद से):
"क्या मैं फिर किसी धोखे में जा रही हूँ…?"
रिया एकदम सन्न रह जाती है।
रिया (धीरे से, आँखों में नमी):
"तो ये सब करण का गेम था...? और वो लड़की... वही थी जिसने मेरी रिपोर्टिंग के वक़्त फोटो लीक की थी..."
नेहा अब टूट चुकी है, लेकिन इस बार वो चुप नहीं।
नेहा:
"मैंने सोचा था कि मैं ही टूटी हूँ... पर अब लग रहा है, तुम भी वैसा ही दर्द छुपा रही हो, जैसा मैं..."
रिया धीरे से नेहा के पास आती है। एक लंबी चुप्पी, फिर बस एक हल्की सी झप्पी — जिसमें गुस्सा नहीं, बस सुकून है।
आगे की कहानी पूरी होंगी नए मोड पे।