पहला प्यार... यह वो एहसास होता है जो ज़िन्दगी में बस एक बार आता है, लेकिन उसकी यादें ताउम्र हमारे दिल में बसी रहती हैं। कुछ अधूरी, कुछ मासूम, कुछ बेहद खास।
ये कहानी है रिया और आरव की। रिया एक छोटे से कस्बे की सीधी-सादी लड़की थी। पढ़ाई में होशियार, लेकिन दिल की बेहद कोमल। आरव, उसी स्कूल का सबसे चर्चित लड़का था – हैंडसम, होशियार और हर लड़की का क्रश।
रिया कभी भी ऐसी नहीं थी जो भीड़ में नज़र आए, लेकिन उसकी आंखों में एक अलग चमक थी। वो चुपचाप क्लास में सबसे आगे बैठती, टीचर्स के सवालों का जवाब देती और फिर अपनी किताबों में खो जाती। आरव की नजरें उस पर कभी-कभी ठहर जातीं, लेकिन उसने कभी कुछ कहा नहीं।
एक दिन, स्कूल में वार्षिक उत्सव की तैयारी हो रही थी। रिया को भाषण प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए चुना गया और आरव को मंच सजाने का ज़िम्मा मिला। दोनों को कई बार साथ काम करना पड़ा। धीरे-धीरे, उनकी बातचीत शुरू हुई। पहले "हाय", फिर "कैसे हो?", और फिर घंटों बातें।
आरव को रिया की सादगी बहुत पसंद आई। वो पहली लड़की थी जो उसकी शोहरत से प्रभावित नहीं थी, बल्कि उसे समझने की कोशिश करती थी। रिया को भी आरव का ख्याल रखना, उसकी बातें करना अच्छा लगने लगा था। दोनों की दोस्ती गहराने लगी, लेकिन उन्होंने कभी एक-दूसरे से कुछ कहा नहीं।
वार्षिक उत्सव के दिन रिया ने मंच पर जो भाषण दिया, उसमें उसने ‘प्यार’ के बारे में कुछ शब्द कहे, जो सीधे आरव के दिल तक पहुंच गए –
“प्यार वो एहसास है जो कहे बिना भी समझ आता है, जो आंखों में भी मुस्कराता है, और जो पास न होकर भी साथ होता है।”
शायद रिया ने अनजाने में अपनी फीलिंग्स ज़ाहिर कर दी थीं, और शायद आरव ने उसे महसूस भी कर लिया था।
कुछ दिन बाद, स्कूल खत्म हो गया। रिजल्ट आया और दोनों अलग-अलग शहरों की कॉलेज में चले गए। ना कोई आख़िरी मिलना, ना अलविदा कहने का मौका। बस एक अधूरी सी याद रह गई।
समय बीतता गया। रिया अब एक प्रोफेसर बन चुकी थी और आरव एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर। जिंदगी आगे बढ़ गई थी, लेकिन उस स्कूल के कोने, वो किताबों के पन्ने, और वो अधूरी बातचीत अब भी उनके दिलों में जिंदा थी।
एक दिन रिया फेसबुक पर स्क्रॉल कर रही थी कि उसे एक परिचित चेहरा दिखा—आरव। दिल एक पल को रुक गया। उसने प्रोफाइल खोली, देखा कि वह अब भी उसी मुस्कान के साथ था, बस अब थोड़ा परिपक्व दिखता था।
रिया ने सोचा बहुत साल हो गए, एक मैसेज तो बनता है। उसने लिखा,
“Hi Aarav, remember me?”
कुछ ही देर में जवाब आया –
“How can I forget? The girl who gave the best speech on love.”
दोनों की बातचीत फिर शुरू हुई। अब दोनों बड़े हो चुके थे, पर वो मासूमियत आज भी जिंदा थी। उन्होंने मिलने का प्लान बनाया, और वही पुराना स्कूल चुना। सालों बाद जब दोनों उस स्कूल के गेट पर मिले, तो समय जैसे कुछ पल के लिए रुक गया।
आरव ने रिया की आंखों में देखकर कहा,
“पहला प्यार आज भी वहीं है, बस अब हमें समझ आ गया कि उसे कभी खोना नहीं चाहिए था।”
रिया मुस्कराई और बोली,
“शायद कुछ प्यार कभी खत्म नहीं होते, बस वक़्त के साथ और गहरे हो जाते हैं।”
उनकी कहानी अधूरी तो कभी थी ही नहीं… वो तो बस कुछ वक़्त के लिए ठहर गई थी।