कविता का सफ़र
कविता के सफ़र में कवि चाँद सितारों से आगे निकल गया l
आकाशगंगा की अद्भुत क़ायनात को देखकर बहल गया ll
आज खूबसूरती का मैला लगा हुआ लगता है की कवि l
महफिल में एक से बढ़कर एक हुस्न को देख बहक गया ll
जाने क्या बात होती है मस्ती भरी हुस्न की अदाओं में l
निगाहों की मादकता भरे इशारों के आग़ाज़ से छलक गया ll
कविता के हाज़िर होने का एहसास ही लगता खूबसूरत l
मुकम्मल गुलशन की खुशबु के आने से शमा महक गया ll
कल्पना, ख्यालों और ख्वाबों की कायनात में कवि का l
मनभावन हमसफ़र के साथ बड़ा ही हसीन सफ़र गया ll
१-७-२०२५
रात बरसात की
हुस्न आसमाँ से छलका रही हैं l
रात बरसात की बहका रही हैं ll
शीत बयार की लहरें चौतरफा l
से फिझाओ को महका रही हैं ll
प्यार की मादकता को घोलके l
जोर शोर से इश्क़ बरसा रही हैं ll
रिमझिम सी बौछार के साथ ही l
बादलों से मिलके गरजा रही हैं ll
सावन भादों की घनघोर रजनी l
तन मन में आग दहका रही हैं ll
२-७-२०२५
फूल की अभिलाषा
फूल की अभिलाषा है क़ायनात को महकाता रहे l
सुगंधी बयारों में घोलके सारा ब्रमांड बहकाता रहे ll
मातृ भूमि के वीर सपूत की शहादत पर चढ़के यूही l
राह में पुष्पों की जाजम बिछाकर सर सरहाता रहे l
जानता है बहुत कम वक्त क़िस्मत में लिखवा लाया l
मनमोहक खुशबु से खुशियों को सदा छलकता रहे ll
ना जाने कौन से पल में क्या हो जाए सोच के यही l
जहां भी रहता सभी के दिलों को वह बहलाता रहे ll
थोड़े ग़म थोड़ी सी खुशियां बस यहीं जिन्दगी है l
जो भी हो जहां पर हो मुस्कराते रहो समजाता रहे l
३-७-२०२५
सपने सात रंग के
सपने सात रंग के अलबेला अजनबी दिखा गया l
ख्वाबों और ख्यालों को हकीकत में मिला गया ll
जन्मों जन्म की प्यास बुझाने के लिए वो आज l
सपनों में निगाहों से प्रेम का प्याला पिला गया ll
युगों से दुनिया में फुरकत अकेला भटकता रहा l
सावन भादों की बौछार से तृष्णा को मिटा गया ll
तबस्सुम होंठों को दे गया मुलाकात का वादा l
ख्वाबों में ही सही पलभर दिलासा दिला गया ll
जीवन में इन्द्रधनुष के रंग सा खूबसूरत होगा l
हिजाब हटाके तसव्वुर ने वचन निभा गया ll
४-७-२०२५
घरौंदा मेरी यादों का
घरौंदा मेरी यादों का कश्ती का किनारा हैं l
खुशी से मुस्कराते हुए जीने का सहारा हैं ll
पतझड़ में भी बसंत का मज़ा देता है तो l
कैसे भी हो रिश्ता शिद्दत से निभाना हैं ll
यादें चैन और सुकून से सोने नहीं देती l
नीद ना आने का रोज का ये बहाना हैं ll
दिल को बहला और बहका देने वाला l
देखो तो सुहाना खूबसूरत नज़ारा हैं ll
कोई रहता नहीं टिककर सदा के लिए l
सामने जो है उससे दिल लगाना हैं ll
५-७-२०२५
चाय तो सिर्फ़ बहाना है बातें करने का l
जरिया है मन को खुशियों से भरने का ll
मोका भी है दस्तूर भी है साथ बैठ के l
खुशनुमा मौसम के नशें में सरने का ll
हरियाली छाई है बहुत दिनों बाद ये l
खूबसूरत शमा के लुफ़्त को हरने का l
मन पतंग उड़ा जा रहा है अनजाने देश l
वक्त है दिल और दिमाग को भरने का ll
बहा जा रहा है, पीना चाहो तो पी लो l
प्यार छलक रहा निगाहों के झरने का ll
६-७-२०२५
सपनों
सपनों ने आशा की किरणो को जगाया हैं l
आज हौसलों ने बड़ी शिद्दत से पुकारा हैं ll
मुद्दतों के इन्तज़ार बाद, मुलाकात के वक्त l
खुशी से बाहों के शजर ने गले से लगाया हैं ll
सरे महफिल में दोस्तों से छुपते छुपाके l
फिर चुपके से आकर कानों में बताया हैं ll
दो दिलों और चार निगाहों ने मिलकर आज l
सपनों का खूबसूरत आशियाना बनाया हैं ll
ना जाने कबसे गहरी नींद में सोये हुए थे कि l
सपनों को मुकम्मल करने नीद से जगाया हैँ l
७-७-२०२५
मंज़िल
अनजानी मंज़िल की और निकल पड़े हैं l
अनजाने लोगों को देखकर उछल पड़े हैं ll
दूर दूर तक अकेलेपन का मेला लगा हुआ l
जाने पहचाने चहरों के लिए तरस पड़े हैं ll
ना जानते थे ऊबड़खाबड़ राह होगी कि l
बीच रास्ते में हौसले भी गरज़ पड़े हैं ll
थोड़े से क़दमों की दूरी रह गई है और l
तमन्ना, उम्मीदें, अरमान लरज़ पड़े हैं ll
एकाएक हमराही राह में मिल गया तो l
निगाहों से खुशी के अश्क़ छलक पड़े हैं ll
८-७-२०२५
बर्बाद
महफिल बर्बाद करने आनेवाला ख़ुद बर्बाद होकर गया l
हुस्न से निगाहें चार क्या हुईं इश्क़ में दिल खोकर गया ll
असली चहरा छुपाके बेनमून कर्तव्य दिखा कर बच्चों को l
खूब हँसाकर सरकस से भीगी आँखैं लिए जोकर गया ll
नशे में धूत जिंदगी की बाज़ी हारकर आया हुआ शराबी l
जुगार खेलते रंगे हाथों बरबादी में हाथ धोकर गया ll
ना पूछ मोहब्बत में मिलने वाली रुसवाई का सबब की l
मदहोशी के हाल में गहरी नींद में रातभर सोकर गया ll
जिसकी फितरत ही हरदम रोने की रही हो आज वहीं l
ख़ुदा की इनायत से बहुत कुछ पानेवाला रोकर गया ll
९-७-२०२५
बेशुमार
बेशुमार प्यार की दौलत से छलक रहे हैं l
नशीली निगाहें चार होते ही बहक रहे हैं ll
खूबसूरत हुस्न से भरी हुई महफिल में l
अनजाने में जरा सा छूने से महक रहे हैं ll
बेपनाह मोहब्बत की इंतिहा तो देखो कि l
अकीदत के दामन में हुस्न पनप रहे हैं ll
जरा सी माथे पर सिकन क्या देखी ओ l
बाहों में समाने के अरमान गरज़ रहे हैं ll
पूरी क़ायनात में बस एक ही जगह माँ के l
आचल में चैन औ सुकून से बहल रहे हैं ll
अकीदत- सन्मान
१०-७-२०२५
शोर
भीतर के उफान से खामोशी शोर बन गई हैं l
मौन गुलशन में चारो और से शोर भर गई हैं ll
फिझाओ में अजीब सी शांति छाई थी ओ l
तेज रफ्तार हरतरफ कोलाहल कर गई हैं ll
भीतर ना जाने कौन सा बवंडर उठा की l
अपनी मस्ती में चैन सुकून को हर गई हैं ll
कई बर्षों का दिल पर बोझ बना हुआ था l
आसपास की दुनिया तूफान से डर गई हैं ll
बहुत नजरअंदाज किया है हसरतों को की l
आज वक़्त बदला तमन्नाएं भड़क गई हैं ll
११-७-२०२५
फ़िर से सावन याद राधा रानी की लेकर आया ll
शाम ढलते वो साथ राधा रानी की लेकर आया ll
सावन
रात सावन की याद साजन की लेकर आई हैं l
साथ खुशियों की रिमझिम बौछार लाई हैं ll
कोयल की पुकार ओ पपीहें की पुकार ने l
फिझाओ में मधुर नशीली रागिनी गाई हैं ll
जब बरसी बदली तो भीगा है तन मन ओ l
मुलाकात की उम्मीदों ने आशा जगाई हैं ll
कलियों पर है उभार, भँवरा भी चहका है।
झूलों के मौसम ने दोस्ती खूब निभाई हैँ ll
विरहन की आँखों को आशाओ ने घेरा है ।
दिल की धड़कनों ने हाथों में महेंदी रचाई हैं ll
११-७-२०२५
कहानी
हर मोहब्बत की बनती एक कहानी हैं l
सदियों से चलती आती रीत पुरानी हैं ll
कुछ खोकर पाना, कुछ पाकर खोना l
दायरे में रहके दुनियादारी निभानी हैं ll
सब को सबकुछ नहीं मिलता है यहां l
कैसे भी दिल को ये बात म'आनी हैं ll
किसीको फ़ुरसत नहीं किसीको सुने l
खुद को खुद की दास्तान सुनानी हैं ll
अपनी मर्जी से कहां अपना सफ़र के l
हाथ की लकीरें भाग्य की निशानी हैं ll
पढ़ को तो चहरा पढ़ना सीख लो कि l
बात जो कहते सालों की तर्जुमानी हैं ll
भीड़ में भी अकेला हो गया है इन्सां l
दिलों में मानवता की लौ जगानी हैं ll
१३-७-२०२५
मेरी तरह तुम भी मेरी तलाश करो l
नाराजगी मिटाके दूर खराश करो ll
खामोशी से बैठो महफिल में सखी l
लोगों के सामने ना तमाश करो ll
सुनो बाहिर ढूढ़ने से ना मिलेगी l
खुशियो को भीतर ही तराश करो ll
औरों को जगाने से पहेले ही ज़रा l
खुद के आसपास ही प्रकाश करो ll
ज़िदगी में सफल होना है जल्द ही l
भीतर अंतर्मन का विकास करो ll
१४-७-२०२५
इश्क़ मज़ाक नहीं है
इश्क़ मज़ाक नहीं है बस इतना समझ ले l
आग का दरिया है हो सके तो सम्भल ले ll
बहुत सारे ग़म, थोड़ी सी ख़ुशी मिलेंगी l
गर है हौंसला तो मोहोब्बत में तड़प ले ll
आदत है हुस्न की फिसल जाने की तो l
जितना भी वक्त मिले बाहों में जकड़ ले ll
बारहा नहीं मिलता नसीब में आया है तो l
जहां भी प्यार मिले वहां पर सरक ले ll
मौसम भी है और दस्तूर भी है सखी l
आज मौके का फ़ायदा उठाके गरज़ ले ll
१५-७-२०२५