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उसने दरवाज़ा नहीं खटखटाया। बस सीधे अंदर आ गई — शांत, संतुलित, और उस किस्म की खामोशी के साथ, जिससे कमरा उसके अनुसार ढलने लगा… न कि वो कमरे के अनुसार।
राखी सूद। नाम जितना साधारण, व्यक्तित्व उतना ही गूंजदार। उसकी मौजूदगी ज़ोरदार नहीं थी, पर उसमें एक ऐसा ठहराव था कि बिना कुछ कहे ही नज़रें उस पर टिक जातीं। लगभग 5 फ़ुट 3 इंच की, कंधों को छूते लंबे बाल, जो खूबसूरती से बंधे थे। रंग गोरा, आँखें गहरी काली और तीक्ष्ण — और एक ऐसा चेहरा जो दिखावे की मुस्कुराहटों से कोसों दूर था। वो सिर्फ तब मुस्कुराती थी जब ज़रूरत हो, और वो भी बेहद कम।
उसने एक सधी-साधाई, परिष्कृत फॉर्मल ड्रेस पहनी थी। न कोई चटकदार गहना, न किसी तरह की बेचैनी। उसकी आत्मविश्वास कोई दिखावा नहीं था — वो भीतर से नपा-तुला, अभ्यास से सीखा हुआ और स्वाभाविक था। वो किसी ऐसे इंसान की तरह लगती थी जो ‘दूसरे मौके’ में यकीन नहीं रखती — और शायद ज़रूरत भी कभी नहीं पड़ी।
राखी सिर्फ कमरे में दाख़िल नहीं होती थी — वो उन्हें पढ़ लेती थी, गहराई से, बिना बोले।
और इस कमरे में, उसे पता था — यह एक परीक्षा है।
राज ने जैसे ही उसकी आहट सुनी, हाथ में पकड़ी फ़ाइल से नज़र उठाई। उसका शरीर भले ही सहज मुद्रा में था, पर नज़रें परखती हुई। उसने पहले भी कई महत्वाकांक्षी चेहरे देखे थे — ज़्यादातर लोग स्वीकृति पाने की चाह में आते थे। पर यह लड़की... यह ऐसी थी जैसे उसे मंज़ूरी की ज़रूरत ही न हो।
राज ने सीट की ओर इशारा करते हुए कहा, “बिलकुल टाइम पर। या तो तुम जुनूनी हो... या तुम टूटने वालों में से नहीं हो।”
राखी ने सहजता से बैठते हुए उत्तर दिया, “उसके बारे में तो मैं नहीं जानती, पर किसी के समय का सम्मान करना मुझे पसंद है।”
राज हल्के से मुस्कराया, “शालीन और चतुर — ख़तरनाक कॉम्बिनेशन।”
वो उसे देखने लगा। न पैर चुराना, न नज़रें घुमाना। बस एकदम स्थिर फोकस।
“तो... राखी सूद। MBA, कई भाषाओं में निपुण, एक ही CEO के अंडर काम किया... फिर भी एक और मौका लेना चाहती है..! वाह।”
राखी के चेहरे पर कोई दिखावटी भाव नहीं था, “ज़िंदगी हर बार नई शुरुआत का मौका नहीं देती।”
राज हल्के से हँसा, “तुम्हें आत्मविश्वास है।”
“मैं तैयार हूँ।”
राज आगे झुका, “रोनित सर को देरी, बहाने या वादे पसंद नहीं। वो हर चीज़ नोटिस करते हैं — आपकी आवाज़ से लेकर आपके टाइपिंग के अंदाज़ तक। एक बार उन्होंने किसी को सिर्फ इसलिए निकाल दिया था क्योंकि उसने वीडियो कॉल पर ज़ोर से सांस ली थी।”
राखी उससे भी तेज़ निकली, “तो अच्छा है कि मैं बहुत धीरे साँस लेती हूँ।”
राज हँसा, लेकिन अब उसकी आवाज़ गंभीर हो चुकी थी, “मान लो... तुम कार में रोनित सर के साथ हो। अचानक वो कहते हैं — ‘बोर्ड मीटिंग कैंसिल करो। इन्वेस्टर डिनर आगे बढ़ाओ। और पता लगाओ मेरा पायलट फोन क्यों नहीं उठा रहा।’ - तुम क्या करोगी?”
राखी ने बिना पलक झपकाए जवाब दिया, “बोर्ड मीटिंग को किसी स्ट्रैटेजिक रीजन से कैंसिल करूंगी, डिनर को किसी और एक्सक्लूसिव प्राइवेट लोकेशन पर शिफ्ट करूंगी, पायलट का आख़िरी फोन लोकेशन ट्रैक करूंगी, और अगर कुछ भी न हो पाया... तो पूछ लूंगी — क्या आपको चाहिये कि मैं खुद प्लेन उड़ाऊँ?”
राज की भौंहें ऊपर उठ गईं, “तुम सीरियस हो?” क्योंकि वो खुद गंभीर था। इस लड़की में कुछ तो वैसा था... जैसा उसके बॉस में था।
“मैं यहाँ हूँ, क्या यही काफी नहीं?”
वो कहीं न कहीं... रोनित कपूर की ही फीमेल वर्जन लग रही थी।
राज ने कुर्सी से पीठ टिका ली। “हम्म... ज़्यादातर लोग यहाँ डर के इत्र से महकते हुए आते हैं।
तुम ऐसे आई हो जैसे चाबी पहले से तुम्हारे पास हो।”
राखी ने हल्के से सिर हिलाया, “फैसला तो मैंने पहले ही कर लिया था। अब बस आपको मनाना बाकी है।”
राज धीमे से मुस्कराया, “लगता है तुमने मना लिया। रोनित जल्दी भरोसा नहीं करते — पर... शायद उन्हें तुम पसंद आ जाओ। और वही बात मुझे डरा रही है।”
“तो फिर कुछ तो सही कर रही हूँ।”
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राखी
दो दिन हो चुके हैं NEXORA में मेरी जॉब को। मैं रोनित कपूर की असिस्टेंट बनी हूँ। लेकिन अब मेरे बॉस ने मुझे ड्राइवर बना दिया है! Mr. Raj ने मुझे ये बात पहले क्यों नहीं बताई?
मतलब, अपने रिश्तेदारों को खुद पिकअप करना चाहिए ना... Come on!
खैर, जैसे ही हॉस्पिटल पहुँची, उन्होंने मुझे एक अजीब-सा काम पकड़ा दिया। बहुत ही अजीब। उन्होंने कहा कि उन्हें एक न्यूज़ चाहिए — जो अभी पोस्ट होने वाली है... और किसी आदमी को पुलिस स्टेशन से फेंक दिया गया था, उसी से जुड़ी खबर।
मैं हैरान थी — लेकिन मैंने ज़ाहिर नहीं होने दिया। और सच में — उन्होंने सही पकड़ा था। ऐसा कुछ था।
वो आदमी उसी बारे में बात कर रहा था... मैंने उनके रिश्तेदारों की बातचीत के बीच में दखल दिया — और उसे एक फोन थमा दिया।
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Continues in the next episode.....