कई क्षेत्रों में नेहरू द्वारा की गई भूलों की एक पूरी श्रृंखला के चलते-ऐसा कहना जरा भी अतिशयोक्ति नहीं होगी कि उन्होंने बड़े पैमाने पर भूलें कीं। भारत, जो उनके कार्यकाल की समाप्ति तक बेहद तेजी से एक चमकदार, समृद्ध और विकसित राष्ट्र बनने की राह पर होता और निश्चित रूप से 1980 के दशक के प्रारंभ तक उसने यह मुकाम हासिल कर लिया होता—बशर्ते कि नेहरू का वंश उनके बाद सत्ता में न आया होता। बेहद अफसोस की बात है कि नेहरू के युग ने भारत की गरीबी और दुर्दशा की नींव रखी और इसे हमेशा एक विकासशील, तीसरे दर्जे का और तीसरी दुनिया का देश बनने के लिए अभिशप्त कर दिया। यह पुस्तक इन भूलों को लिपिबद्ध करके हमें जो दिखाई देता है, उसके पीछे की वास्तविकता को उजागर करती है।
इस पुस्तक में ‘भूल’ शब्द का प्रयोग एक सामान्य शब्द के रूप में किया गया है, जिसमें असफलता, उपेक्षा, गलत नीतियाँ, गलत निर्णय, कुत्सित और शर्मनाक कार्य, अनर्जित पदों को प्राप्त करना इत्यादि शामिल हैं।
इस पुस्तक का उद्देश्य नेहरू के प्रति आलोचनात्मक होने का बिल्कुल भी नहीं है, लेकिन ऐसे ऐतिहासिक तथ्यों को व्यापक रूप से सामने लाने का है, जिन्हें या तो तोड़-मरोड़ दिया गया है या फिर छिपाया गया है या दबाया गया है, ताकि भविष्य में उन गलतियों को दोहराया न जाए और भारत का उज्ज्वल भविष्य हो।
तथ्यों के आधार पर नेहरू की स्तुति करने में असमर्थ रहने वाले कई प्रशंसक नित नए प्रतिवादों का सहारा लेते हैं, जैसे—“अगर नेहरू नहीं होते तो भारत एकजुट और धर्मनिरपेक्ष नहीं रहता या देश में लोकतंत्र ही नहीं होता और नागरिकों को स्वतंत्रता का आनंद ही नहीं मिला होता।” (कृपया अध्याय 13 देखें) अगर तथ्य आपकी सहायता नहीं करते हैं तो अनुमानों और संभावनाओं का सहारा लें! कैसा रहे, अगर कोई एक वैकल्पिक प्रतितथ्यात्मक जवाब दे और बहस करे कि क्या प्रधानमंत्री के रूप में एक वैकल्पिक व्यक्ति (जैसेकि सरदार पटेल अथवा सी. राजगोपालाचारी या फिर डॉ. बी.आर. आंबेडकर) भारत को अधिक एकजुट, अधिक सुरक्षित, अधिक धर्मनिरपेक्ष और सांप्रदायिकता से मुक्त, अधिक लोकतांत्रिक और कहीं अधिक समृद्ध देश बना सकते थे, जो 1964 तक ही विकसित देशों की श्रेणी में आ गया होता!
नेहरू का नेतृत्व न केवल उपलब्धियों की कमी या संभावित और वास्तविकता के बीच के बड़े अंतर या फिर दूसरे समकक्ष राष्ट्रों की तुलना में बेहद खराब प्रदर्शन के मामले में अद्वितीय है, बल्कि उनके द्वारा की गई भूलों के मामले में भी अद्वितीय है। अन्य नेता भी गलतियाँ करते हैं, लेकिन नेहरू उन्हें बड़ी आसानी से पीछे छोड़ सकते हैं। नेहरूवादी भूलों की संख्या, सीमा और व्यापकता की बराबरी नहीं की जा सकती है। व्यापक? अन्य नेता सिर्फ दो या तीन क्षेत्रों में भूल करते हैं, पर नेहरू नहीं। उनका प्रदर्शन तो 360 डिग्री का था। डनिंग-कूगर प्रभाव (डी.के.ई.— कृपया भूल-95 देखें) से पीड़ित और खुद को अहंकार के साथ दूसरों से कहीं अधिक समझदार और सर्वांगीण विशेषज्ञ मानते हुए, उन्होंने हर चीज में अपनी टाँग अड़ाई और वास्तव में प्रत्येक क्षेत्र (और उप-क्षेत्रों में भी और कई तरीकों से) में जबरदस्त भूलें कीं—बाह्य सुरक्षा, आंतरिक सुरक्षा, विदेश नीति, अर्थव्यवस्था, शिक्षा, संस्कृति... और यह एक अंतहीन सूची है। उनके कीर्तिमानों का एक परीक्षण आपको अचंभे में डाल देगा। एक मौलिक नेहरू को चिह्नित करने के लिए बेहद गूढ़ वर्गीकरण किया गया है— “अनभिज्ञता का नवाब।”
नेहरू ने अपने पीछे एक बेहद विषैली राजनीतिक (वंशवादी और अलोकतांत्रिक), आर्थिक (समाजवादी), औद्योगिक (अकुशल और बोझिल सार्वजनिक और राजकीय क्षेत्र), कृषि (उपेक्षित और भूखे), भौगोलिक (अधिकांश सीमाएँ असुरक्षित), प्रशासनिक (अक्षम और भ्रष्ट बाबूराज), ऐतिहासिक (मार्क्सवादियों और वामपंथियों द्वारा तोड़ा-मरोड़ा गया), शैक्षिक (आभिजात्य और बिना किसी सार्वभौमिक साक्षरतावाला) और सांस्कृतिक (जिसे भारतीय विरासत पर कोई गर्व नहीं) विरासत छोड़ी।
अब कोई पूछ सकता है “आखिर नेहरू पर इतनी अधिक मेहनत क्यों? उन्हें गए हुए तो लंबा समय हो गया।”
शारीरिक रूप से गए हुए तो बेहद लंबा समय। लेकिन दुर्भाग्य से, उनकी अधिकांश सोच और नीतियाँ तो अभी भी बची हुई हैं। यह समझना बेहद आवश्यक है कि उन्होंने एक गलत रास्ते पर चलने का फैसला किया और देश को उन विचारों से स्वतंत्रता प्राप्त करते हुए आगे बढ़ने की आवश्यकता है। इसमें कुछ भी व्यक्तिगत नहीं है। किसी के पास भी नेहरू के लिए एक व्यक्ति के रूप में कुछ भी नहीं है। लेकिन उनकी नीतियों की बदौलत, देश पूरी तरह से बरबादी की कगार पर चला गया और करोड़ाें लाेगों ने इसका दंश झेला और उनकी इन्हीं नीतियों की निरंतरता की बदौलत, करोड़ाें लोग आज की तारीख में भी भुगत रहे हैं तो यह सिर्फ एक ऐतिहासिक सवाल नहीं रह जाता है। बहुत सी नेहरूवादी नीतियों के चलते कई क्षेत्रों में ऐसा नासूर बढ़ता गया, जिसे हटाना लगभग नामुमकिन है। नेहरू ने हमारे युवा देश के बचपन और किशोरावस्था पर ऐसा कहर ढाया कि उन प्रारंभिक वर्षों की भूलों को उलट पाना और उन बुरी आदतों, कार्य-प्रणालियों और नीतियों और सोच को परे हटाना तथा उन निहित स्वार्थों को बाहर निकाल फेंकना बेहद कठिन हो चुका है, लेकिन जितना जल्दी हो सके, उतनी जल्दी कुछ-न-कुछ किया जाना बेहद आवश्यक है और ऐसा करने के लिए हर किसी को पूर्ण स्पष्टता के साथ इन भूलों को जानना बेहद आवश्यक है, इसलिए यह पुस्तक वर्तमान समय में भी बहुत अधिक प्रासंगिक है।
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[ नेहरू की 127 ऐतिहासिक गलतियाँ ]
अनुक्रम
1. आजादी के पूर्व की भूलें
भूल-1 : सन् 1929 में कांग्रेस अध्यक्ष पद को हड़पना।
भूल-2 : जिन्ना को पाकिस्तान की राह दिखाना।
भूल-3 : आत्मघाती कदम उठाना, मंत्रियों के इस्तीफे, 1939
भूल-4 : जिन्ना और मुसलिम लीग (ए.आई.एम.एल.) की सहायता करना।
भूल-5 : असम की सुरक्षा से समझौता।
भूल-6 : प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में नेहरू का अलोकतांत्रिक चयन।
भूल-7 : संयुक्त भारत के लिए बनाई गई ‘कैबिनेट मिशन योजना’ को विफल करना।
भूल-8 : सन् 1946 की एन.डब्ल्यू.एफ.पी. भूल।
भूल-9 : हिंदू सिंधियों के साथ यहूदियों जैसा व्यवहार। भूल-10 : पाकिस्तान को 55 करोड़ रुपए देना।
भूल-11 : स्वतंत्रता पूर्व वंशवाद को बढ़ावा।
भूल-12 : किन परिस्थितियों ने भारतीय स्वतंत्रता का रास्ता साफ किया?
भूल-13 : ब्रिटिश जेल : वी.आई.पी. के रूप में नेहरू और अन्य गांधीवादी बनाम दूसरे कैदी।
भूल-14 : विभाजन, पाकिस्तान और कश्मीर की भूल से बेखबर।
भूल-15 : बेहद बुरा या कहें तो आपराधिक, कुप्रबंधित विभाजन।
भूल-16 : कोई सार्थक नीति संरूपण नहीं!
2. रियासतों का एकीकरण
भूल-17 : ब्रिटिशों पर निर्भर स्वतंत्र भारत।
भूल-18 : नेहरू ने पेशकश किए जाने पर जम्मू-कश्मीर के विलय को ठुकरा दिया था।
भूल-19 : कश्मीर को लगभग खो ही दिया था।
भूल-20 : बिना शर्त जम्मू-कश्मीर के विलय को सशर्त बना दिया।
भूल-21 : कश्मीर मसले का अंतरराष्ट्रीयकरण।
भूल-22 : संयुक्त राष्ट्र में जम्मू-कश्मीर मामले अनाड़ी की तरह सँभालना।
भूल-23 : नेहरू के चलते पी.ओ.के.
भूल-24 : जम्मू-कश्मीर में नेहरू की शर्मनाक निष्ठुरता।
भूल-25 : नेहरू की देन अनुच्छेद–370
भूल-26 : जम्मूव कश्मीर के लिए अनुच्छेद-35ए : एक बार फिर नेहरू के चलते।
भूल-27 : धोखा देने वाला नेहरू का रक्त भाई।
भूल-28 : महाराजा से अपनी खुशामद करवाने की चाह।
भूल-29 : कश्मीरी पंडित बनाम कश्मीरी पंडित।
भूल-30 : उस व्यक्ति को किनारे करना, जो जम्मू कश्मीर मसले को सँभाल सकता था।
भूल-31 : जूनागढ़ : सरदार पटेल बनाम नेहरू–माउंटबेटन।
भूल-32 : तो एक और पाकिस्तान (हैदराबाद) होता
3. बाह्य सुरक्षा
भूल-33 : तिब्बत को देश के दर्जे से हटाना।
भूल-34 : पंचशील : तिब्बत को बेचा, खुद का नुकसान किया।
भूल-35 : चीन के साथ सीमा विवाद को नहीं निबटाना।
भूल-36 : हिमालय पर की गई गलती : भारत-चीन युद्ध।
भूल-37 : रक्षा और बाह्य सुरक्षा की आपराधिक उपेक्षा।
भूल-38 : सेना का राजनीतिकरण।
भूल-39 : सशस्त्र बल-विरोधी।
भूल-40 : निष्क्रिय खुफिया तंत्र और कोई योजना नहीं।
भूल-41 : सत्य को कुचलना।
भूल-42 : हिमालयी भूलें, लेकिन कोई जवाबदेही नहीं।
भूल-43 : गोवा की विलंबित मुक्ति।
भूल-44 : परमाणु हथियारों को नेहरू की ‘ना’
भूल-45 : पाकिस्तान के साथ कोई समाधान नहीं।
भूल-46 : एक प्रकार से सन् 1965 के युद्ध के लिए भी जिम्मेदार।
भूल-47 : असुरक्षित सीमाओं के मामले में अंतरराष्ट्रीय पहचान।
4. विदेश नीति
भूल-48 : नेहरू-लियाकत समझौता 1950
भूल-49 : ग्वादर को जाने देना।
भूल-50 : सिंधु जल संधि : हिमालयी भूल।
भूल-51 : श्रीलंका की तमिल समस्या पर कोई पहल नहीं की।
भूल-52 : नेहरू युग के त्रुटिपूर्ण मानचित्र।
भूल-53 : अपनी कीमत पर चीन की संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् सदस्यता की वकालत करना।
भूल-54 : समय पर काम आने वाले मित्र इजराइल काे झिड़कना।
भूल-55 : दक्षिण-पूर्वी एशिया की उपेक्षा करना।
भूल-56 : भारत बनाम अमेरिका और पश्चिम।
भूल-57 : राष्ट्रीय हितों से कोई सरोकार नहीं।
भूल-58 : विदेश नीति के लिए अजनबी।
5. आंतरिक सुरक्षा
भूल-59 : असम में समस्याओं को बढ़ाना।
भूल-60 : पूर्वोत्तर की उपेक्षा।
भूल-61 : अवैध धर्म-परिवर्तन को नजरअंदाज करना।
भूल-62 : अशासित क्षेत्र।
भूल-63 : कमजोर तबके की असुरक्षा।
6. अर्थव्यवस्था
भूल-64 : नेहरूवादी (‘हिंदू’ नहीं) वृद्धि दर।
भूल-65 : कभी न खत्म होने वाली गरीबी और जीवन-स्तर।
भूल-66 : औद्योगिकीकरण का गला घोंटना।
भूल-67 : कृषि की उपेक्षा।
भूल-68 : ‘आधुनिक’ भारत की भूल।
भूल-69 : दयनीय भारत बनाम अन्य देश।
भूल-70 : नेहरू का समाजवाद : विफल हो चुका ‘भगवान्’
भूल-70 (क) : नेहरू और समाजवाद को लेकर अन्य लोगों ने क्या कहा।
7. कुशासन
भूल-71 : दुर्बल बाबूराज और दंडात्मक न्याय-प्रणाली।
भूल-72 : वह अजीब भारतीय जंतु : वी.आई.पी. और वी.वी.आई.पी.
भूल-73 : पुराने ‘अच्छे’ दिनों में भ्रष्टाचार।
भूल-74 : पुराने ‘अच्छे’ दिनों में भाई-भतीजावाद।
भूल-75 : नेहरू और जातिवाद।
भूल-76 : राज्यों का अस्त-व्यस्त पुनर्गठन।
भूल-77 : घटिया नेतृत्व और प्रशासन।
भूल-78 : जीवन में एक बार सामने आने वाले मौके को गँवा देना।
8. शैक्षिक और सांस्कृतिक कुप्रबंधन
भूल-79 : शिक्षा की अनदेखी, विशेषकर सार्वभौमिक शिक्षा।
भूल-80 : भाषा के मुद्दे से खिलवाड़ करना और हिंदी-विरोधी होना।
भूल-81 : उर्दू और फारसी-अरबी लिपि को बढ़ावा देना।
भूल-82 : संस्कृत की उपेक्षा।
भूल-83 : मुफ्तखोर वामपंथी—‘फिबरल’ (फर्जी उदारवादी) वर्ग का उदय।
भूल-84 : मानसिक और सांस्कृतिक दासता।
भूल-85 : विकृत, स्वार्थपूर्ण धर्मनिरपेक्षता और अल्पसंख्यकवाद।
भूल-86 : नेहरू और समान नागरिक संहिता (यू.सी.सी.)
भूल-87 : ‘सिक्युलरिज्म’ बनाम सोमनाथ मंदिर।
भूल-88 : तो सांप्रदायिक आरक्षण होता।
भूल-89 : ब्रिटिशों से क्षतिपूर्ति की माँग न करना
भूल-90 : इतिहास से की गई छेड़छाड़ को दूर करने की दिशा में कुछ न करना।
भूल-91 : इतिहास के साथ ‘रचनात्मक’ होना (विकृत करना)
भूल-92 : नेहरू और निषेधमात्रवाद।
भूल-93 : खुद नेहरू द्वारा भारतीय इतिहास को बिगाड़ना। भूल-94 : हिंदू-विरोधी होना।
9. वंशवादतंत्र और तानाशाही प्रवृत्तियाँ
भूल-95 : नेहरू के तानाशाही तरीके।
भूल-96 : नेहरू-सत्ता सिद्धांतों को पीछे छोड़ देती है।
भूल-97 : नेहरू ने अभिव्यक्ति की आजादी का गला घोंटा। भूल-98 : ‘लोकतंत्र’ नेहरू की देन?—असत्य है।
भूल-99 : नेहरू ने लोकतंत्र को नहीं, बल्कि वंशतंत्र को आगे बढ़ाया।
भूल-100 : प्रधानमंत्री के कार्यकाल को सीमित न करना।
भूल-101 : उत्तराधिकारी घोषित न करना, जानते-बूझते।
भूल-102 : चुनावी फंडिंग और प्रचार।
भूल-103 : आत्म-प्रचार और वंशवाद स्मरण को सुनिश्चित करना।
भूल-104 : सांप्रदायिक, वोटबैंक की राजनीति।
भूल-105 : अक्षम और चापलूसों को आगे बढ़ाना।
10. नेहरू का वैश्विक नजरिया, जिसने भारत को नुकसान पहुँचाया
भूल-106 : नेहरू का दूषित वैश्विक नजरिया।
भूल-107 : नेहरूवाद और नेहरू का ‘आइडिया अॉफ इंडिया’
11. घमंड, दूसरों के साथ गलत व्यवहार
भूल-108 : मामूली अकादमिक उपलब्धियाँ, महत्त्वपूर्ण मुद्दों की शोचनीय जानकारी, फिर भी...
भूल-109 : लॉर्ड वाले तौर-तरीके : गांधीवादी सादगी को अलविदा।
भूल-110 : अभिमानी, दंभी और घमंड से भरे हुए।
भूल-111 : भारत रत्न : सुपात्रों को नजरअंदाज करना।
भूल-112 : नेहरू और नेताजी सुभाष का रहस्य।
भूल-113 : नेहरू और नेताजी का चोरी किया गया युद्ध खजाना।
भूल-114 : आजाद हिंद फौज (आई.एन.ए.) के प्रति दुर्व्यवहार।
भूल-115 : नेताजी सुभाषचंद्र बोस के प्रति दुर्व्यवहार।
भूल-116 : भगत सिंह और आजाद के प्रति दुर्व्यवहार।
भूल-117 : वीर सावरकर के प्रति दुर्व्यवहार।
भूल-118 : सरदार पटेल के प्रति दुर्व्यवहार।
भूल-119 : सरदार पटेल की पुत्री मणिबेन के प्रति दुर्व्यवहार।
भूल-120 : डॉ. आंबेडकर के प्रति दुर्व्यवहार।
भूल-121 : डॉ. श्यामा प्रसाद मुकर्जी के प्रति दुर्व्यवहार।
भूल-122 : डॉ. राजेंद्र प्रसाद के प्रति दुर्व्यवहार।
भूल-123 : पुरुषोत्तम दास टंडन के प्रति दुर्व्यवहार और कैसे नेहरू ने निरंकुश शासन की कामना की।
भूल-124 : बोरदोलोई के प्रति दुर्व्यवहार।
भूल-125 : जनरल थिमय्या के प्रति दुर्व्यवहार।
भूल-126 : जनता के प्रति दुर्व्यवहार।
भूल-127 : एडविना माउंटबेटन के लिए विशेष प्रबंध।
12. और अधिक भूल और उनसे संबंधित पहलू
(बी1) नेहरू ने उपहार-स्वरूप दी काबो घाटी।
(बी2) नेहरू, नेहरू का राजवंश और नेपाल।
(बी3) बलूचिस्तान की गलती।
(बी4) बाबर को सम्मान देना।
(बी5) वर्ष 1948 में महाराष्ट्र में हुआ ब्राह्मणों का नर-संहार।
13. नेहरू का आकलन करना
14. ग्रंथ-सूची