Mahabharat ki Kahaani - 134 in Hindi Spiritual Stories by Ashoke Ghosh books and stories PDF | महाभारत की कहानी - भाग 134

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महाभारत की कहानी - भाग 134

महाभारत की कहानी - भाग-१३६

चौदहवें दिन की रात में कौरवसेना के खिलाफ अर्जुन और घटोत्कच की भयानक लड़ाई

 

प्रस्तावना

कृष्णद्वैपायन वेदव्यास ने महाकाव्य महाभारत रचना किया। इस पुस्तक में उन्होंने कुरु वंश के प्रसार, गांधारी की धर्मपरायणता, विदुर की बुद्धि, कुंती के धैर्य, वासुदेव की महानता, पांडवों की सच्चाई और धृतराष्ट्र के पुत्रों की दुष्टता का वर्णन किया है। विभिन्न कथाओं से युक्त इस महाभारत में कुल साठ लाख श्लोक हैं। कृष्णद्वैपायन वेदव्यास ने इस ग्रंथ को सबसे पहले अपने पुत्र शुकदेव को पढ़ाया और फिर अन्य शिष्यों को पढ़ाया। उन्होंने साठ लाख श्लोकों की एक और महाभारत संहिता की रचना की, जिनमें से तीस लाख श्लोक देवलोक में, पंद्रह लाख श्लोक पितृलोक में, चौदह लाख श्लोक ग़न्धर्बलोक में और एक लाख श्लोक मनुष्यलोक में विद्यमान हैं। कृष्णद्वैपायन वेदव्यास के शिष्य वैशम्पायन ने उस एक लाख श्लोकों का पाठ किया। अर्जुन के प्रपौत्र राजा जनमेजय और ब्राह्मणों के कई अनुरोधों के बाद, कृष्णद्वैपायन वेदव्यास ने अपने शिष्य वैशम्पायन को महाभारत सुनाने का अनुमति दिया था।

संपूर्ण महाभारत पढ़ने वाले लोगों की संख्या बहुत कम है। अधिकांश लोगों ने महाभारत की कुछ कहानी पढ़ी, सुनी या देखी है या दूरदर्शन पर विस्तारित प्रसारण देखा है, जो महाभारत का केवल एक टुकड़ा है और मुख्य रूप से कौरवों और पांडवों और भगवान कृष्ण की भूमिका पर केंद्रित है।

महाकाव्य महाभारत कई कहानियों का संग्रह है, जिनमें से अधिकांश विशेष रूप से कौरवों और पांडवों की कहानी से संबंधित हैं।

मुझे आशा है कि उनमें से कुछ कहानियों को सरल भाषा में दयालु पाठकों के सामने प्रस्तुत करने का यह छोटा सा प्रयास आपको पसंद आएगा।

अशोक घोष

 

चौदहवें दिन की रात में कौरवसेना के खिलाफ अर्जुन और घटोत्कच की भयानक लड़ाई

रात के अंधेरे में भ्रमित होकर अपना सैनिकों ने एम दुसरे को मार डाल रहा था देखकर दुर्योधन ने अपने पैदल सेना को कहा, "तुमलोग अस्त्र छोड़कर अपने हाथ में जलते हुए दीपक ले लो।" पैदल सेना ने दीपक पकड़ा तो युद्ध के मैदान का अंधेरा हट गया। पांडवों भी पैदल सेना का हाथ में दीपक दिया। प्रत्येक हाथी की पीठ पर सात, रथ पर दस, घोड़े की पीठ पर दो और सेनाओं के पाश में, पीछे और झंडा के डांडा पर दीपक जला दिया।

उस भयावह रात के युद्ध में एक बार पांडव तो दूसरा बार कौरव पक्ष जीतने लगा। स्वयंवर सभा में आने वालों के नाम जैसा घोषित होता हैं ऐसा राजाओं ने अपने नाम और पहचान बताकर विपक्षी सैनिकों के खिलाफ लड़ना शुरू कर दिया। अर्जुन का तीरों के बारिश मे भयभीत होकर कौरवसेना को भागते हुए देखकर दुर्योधन ने द्रोण और कर्ण से कहा, "अर्जुन ने जयद्रथ को मार डाला इस लिए आपने क्रोधित होकर रात में यह युद्ध शुरू किया।" पांडवसेना हमारे सैनिकों को नष्ट कर रही है और आप इसे अक्षम की तरह देखते हैं। मैं जानना चाहूंगा, अगर आप मुझे छोड़ना चाहते हैं तो आपको मुझे आश्वस्त नहीं करना चाहिए था। आपके इरादे मालुम होता तो मैं इस सेना बिनाशकारी युद्ध शुरू नहीं करते। यदि आप मुझे नहीं छोड़ना चाहते हैं तो युद्ध में अपने विक्रम को व्यक्त किजिए। दुर्योधन की बातों में द्रोण और कर्ण एक घायल बाघ की तरह लड़ने के लिए चले गए।

कर्ण का तीरों के बारिश में पांडवसेना को डरकर भागते हुए देखकर युधिष्ठिर ने अर्जुन से कहा, "हमारे सेनानी आतंकित होकर भाग रहा हैं, कर्ण के तीर फेंकने में कोई बिराम नहीं है, कर्ण आज निश्चित रूप से हमें नष्ट कर देगा।" अर्जुन, कर्ण को वध करने के लिए जो करना चाहिए वह करो। अर्जुन ने कृष्ण से कहा, "हमारे रथीओं भाग रहे हैं और कर्ण निडर होकर उसके उपर तीरों का बारिश कर रहा हैं, मैं इसे बर्दाश्त नहीं कर सकता।" कृष्ण, जल्द ही रथ को कर्ण के पास ले चलिए, या तो मैं उसे मारूंगा नहीं तो वह मुझे मारेगा।

कृष्ण ने कहा, "तुम या राक्षस घटोत्कच छोड़कर और कोई भी कर्ण से नहीं लड़ सकता है।" अब मुझे नहीं लगता कि तुमको उसके साथ लड़ना चाहिए, क्योंकि उसके पास इंद्र का दिया हुया शक्ति अस्त्र है, कर्ण तुमको मारने के लिए हमेशा इस भयानक हथियार अपना साथ रखते है। इसलिए, घटोत्कच उसके साथ लड़े। भीम का इस बेटे के पास देवता, राक्षस और असुर सभी प्रकार के हथियार हैं, और मुझे संदेह नहीं है कि वह कर्ण पर विजय प्राप्त करेगा।

कृष्ण बुलाने से सशस्त्र घटोत्कच आकर बधाई दी। कृष्ण ने घटोत्कच से कहा, "बेटा घटोत्कच, अब केवल तुम्हारा विक्रम दिखाने का समय हुआ है।" तुम्हारा रिश्तेदार खतरे में हैं, तुम उनकी रक्षा करो। कर्ण पांडवसेना नष्ट कर रहे हैं, क्षत्रिय वीरों को मार रहे हैं, इस रात पांचालों शेर के डर से हिरण की तरह भाग रहे हैं। तुम्हारा पास विभिन्न हथियार और राक्षस माया है और राक्षस रात में अधिक बलवान होता हैं।

अर्जुन ने कहा, " घटोत्कच, मुझे लगता है कि सभी सैनिकों में से तुम, सत्यकी और भीम यह तीन सबसे अच्छे हैं।" तुम इस रात में कर्ण के साथ दीयारथ से द्वैरथ युद्ध करो, सात्यकी तुम्हारा रक्षक होगा।

घटोत्कच ने कहा, "मैं कर्ण, द्रोण और अन्य क्षत्रिय वीरों को अकेले जीत सकता हूं।" मैं ऐसा लड़ूंगा कि लोग उसके बारे में हमेशा के लिए बात करेंगे। मैं कोई वीरों को नहीं छोड़ूंगा, डरकर हाथ जोड़ने से भी नहीं, मैं राक्षस धर्म के अनुसार सभी को मार दूंगा। यह कहते हुए, घटोत्कच कर्ण की ओर धाबित हुया।

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(धीरे-धीरे)